किशन महाराज

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पंडित किशन महाराज (अंग्रेज़ी: Pt. Kishan Maharaj, जन्म: 3 सितंबर, 1923 - मृत्यु: 4 मई, 2008) भारत के सुप्रसिद्ध तबला वादक हैं। ये बनारस घराने के वादक थे। इन्हें कला क्षेत्र में योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा सन 1973 में पद्म श्री और सन 2002 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। किशन महाराज तबले के उस्ताद होने के साथ साथ मूर्तिकार, चित्रकार, वीर रस के कवि और ज्योतिष के मर्मज्ञ भी थे।

जीवन परिचय

किशन महाराज का जन्म काशी के कबीरचौरा मुहल्ले में 3 सितंबर 1923 को एक संगीतज्ञ के परिवार में हुआ। कृष्ण जन्माष्टमी पर आधी रात को जन्म होने के कारण उनका नाम किशन पड़ा। उन्होंने अपने प्रारंभिक वर्षों में पिता पंडित हरि महाराज से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा प्राप्त की। पिता के देहांत के बाद उनके चाचा एवं पंडित बलदेव सहाय के शिष्य पंडित कंठे महाराज ने उनकी शिक्षा का कार्यभार संभाला।

तबला वादन

किशन महाराज ने तबले की थाप की यात्रा शुरू करने के कुछ साल के अंदर ही उस्ताद फैय्याज खान, पंडित ओंकार ठाकुर, उस्ताद बड़े गुलाम अली खान, पंडित भीमसेन जोशी, वसंत राय, पंडित रवि शंकर, उस्ताद अली अकबर खान जैसे बड़े नामों के साथ संगत की। कई बार उन्होंने संगीत की महफिल में एकल तबला वादन भी किया। इतना ही नहीं नृत्य की दुनिया के महान हस्ताक्षर शंभु महाराज, सितारा देवी, नटराज गोपी कृष्ण और बिरजू महाराज के कार्यक्रमों में भी उन्होंने तबले पर संगत की। उन्होंने एडिनबर्ग और वर्ष 1965 में ब्रिटेन में कॉमनवेल्थ कला समारोह के साथ ही कई अवसरों पर अपने कार्यक्रम प्रस्तुत कर प्रतिष्ठा अर्जित की। उनके शिष्यों में वर्तमान समय के जाने माने तबला वादक पंडित कुमार बोस, पंडित बालकृष्ण अय्यर, सुखविंदर सिंह नामधारी सहित अन्य नाम शामिल हैं।

सम्मान और पुरस्कार

लय भास्कर, संगीत सम्राट, काशी स्वर गंगा सम्मान, संगीत नाटक अकादमी सम्मान, ताल चिंतामणि, लय चक्रवती, उस्ताद हाफिज़ अली खान व अन्य कई सम्मानों के साथ पद्मश्रीपद्म विभूषण अलंकरण से उन्हें नवाजा गया ।

निधन

किशन महाराज 3 सितम्बर 1923 की आधी रात को ही इस धरती पर आए थे और 4 मई, 2008 की आधी रात को ही वे इस धरती को छोड़, स्वर्ग की सभा में देवों के साथ संगत करने हमेशा के लिए चले गए। उनके जाने से भारत ने एक युगजयी संगीत दिग्गज को खो दिया।


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