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*गदाधर सिंह [[शाक्त]] (शक्ति का उपासक) था, इसलिए उसने [[वैष्णव|वैष्णवों]] का उत्पीड़न किया और वैष्णव गोसाइयों को कुचल डाला।  
 
*गदाधर सिंह [[शाक्त]] (शक्ति का उपासक) था, इसलिए उसने [[वैष्णव|वैष्णवों]] का उत्पीड़न किया और वैष्णव गोसाइयों को कुचल डाला।  
 
*उसने गौहाटी में कचेरी घाट के बिल्कुल सामने [[ब्रह्मपुत्र]] के एक द्वीप में उमानंदा मन्दिर का निर्माण कराया।  
 
*उसने गौहाटी में कचेरी घाट के बिल्कुल सामने [[ब्रह्मपुत्र]] के एक द्वीप में उमानंदा मन्दिर का निर्माण कराया।  
*[[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] और [[हिन्दू]] मन्दिरों को भूमिदान किया, कई राजमार्गों का निर्माण कराया, पत्थर के दो पुल बनवाये, तालाब खुदवाए और आसाम में जोतों का विस्तृत सर्वेक्षण आरम्भ कराया।<ref>(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-118</ref>
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*[[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] और [[हिन्दू]] मन्दिरों को भूमिदान किया, कई राजमार्गों का निर्माण कराया, पत्थर के दो पुल बनवाये, तालाब खुदवाए और आसाम में जोतों का विस्तृत सर्वेक्षण आरम्भ कराया।<ref>पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-118</ref>
  
 
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12:12, 27 जुलाई 2011 का अवतरण

  • गदाधर सिंह उन्नीसवाँ अहोम राजा था, जिसने असम पर पन्द्रह वर्षों (1681-96 ई.) तक राज्य किया।
  • गदाधर सिंह ने सबसे पहले 1832 ई. में गौहाटी को मुग़ल आधिपत्य से मुक्त कराया और औरंगज़ेब को मोनास नदी अहोम राज्य की सीमा मानने के लिए मज़बूर किया।
  • मोनास नदी आधुनिक गोलपाड़ा और कामरूप ज़िलों के बीच बहती है।
  • गदाधर सिंह बहुत ही शक्तिशाली शासक था।
  • गदाधर सिंह ने सभी आन्तरिक षड़यंत्रों और उपद्रवों का दमन किया, आसाम में राज्य की गिरी हुई प्रतिष्ठा को ऊँचा उठाया, मीरा और नागा विद्रोहियों को कुचला और सामन्तों की शक्ति को तोड़ा।
  • गदाधर सिंह शाक्त (शक्ति का उपासक) था, इसलिए उसने वैष्णवों का उत्पीड़न किया और वैष्णव गोसाइयों को कुचल डाला।
  • उसने गौहाटी में कचेरी घाट के बिल्कुल सामने ब्रह्मपुत्र के एक द्वीप में उमानंदा मन्दिर का निर्माण कराया।
  • ब्राह्मणों और हिन्दू मन्दिरों को भूमिदान किया, कई राजमार्गों का निर्माण कराया, पत्थर के दो पुल बनवाये, तालाब खुदवाए और आसाम में जोतों का विस्तृत सर्वेक्षण आरम्भ कराया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-118