गोवा

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गोवा / Goa

गोवा क्षेत्रफल में भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से दूसरा सबसे छोटा राज्य है। पूरी दुनिया में गोवा अपने खूबसूरत समुंद्र के किनारों और मशहूर स्थापत्य कला के लिये जाना जाता है। गोवा पहले पुर्तगाल का एक उपनिवेश था। पुर्तगालियों ने गोवा पर लगभग 450 साल तक शासन किया और दिसंबर 1961 में यह भारतीय प्रशासन को सौंपा दिया गया।

महाभारत में गोवा का उल्लेख 'गोपराष्ट्र' अर्थात 'गाय चराने वालों का देश' के रूप में मिलता है। दक्षिण कोंकण का उल्लेख गोवा राष्ट्र के रूप में मिलता है। संस्कृत के कुछ प्राचीन स्त्रोतों में गोवा को 'गोपकपुरी' और 'गोपकपट्टन' कहा गया है जिनका उल्लेख अन्य ग्रंथों के अलावा 'हरिवंशम्' और स्कंद पुराण में प्राप्त होता है। गोवा को बाद में कहीं कहीं 'गोअंचल' भी कहा गया है। अन्य नामों में गोवे, गोवापुरी, गोप का पाटन, और गोमंत प्रमुख हैं। टॉलमी ने गोवा का उल्लेख ईस्वी सन 200 के लगभग 'गोउबा' के रूप में किया है। अरब के मध्ययुगीन यात्रियों ने इसे 'चंद्रपुर' और 'चंदौर' का नाम दिया है जो मुख्य रूप से एक तटीय नगर था। जिस स्थान का नाम पुर्तगालियों ने गोवा रखा वह आज का छोटा सा समुद्र तटीय शहर 'गोअ-वेल्हा' है। कालान्तर में उस क्षेत्र को गोवा कहा जाने लगा जिस पर पुर्तगालियों ने कब्जा किया।

जनश्रुति के अनुसार गोवा जिसमें कोंकण क्षेत्र भी है और जिसका विस्तार गुजरात से केरल तक माना जाता है, की रचना परशुराम ने की थी। कहावत है कि परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणों की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था। लोगों का कहना है कि इसी वजह से आज भी गोवा में बहुत से स्थानों का नाम वाणावली, वाणस्थली इत्यादि हैं। उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भी भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।

इतिहास और भूगोल

गोवा प्राचीनकाल में गोमांचल,गोपकपट्टनम, गोपपुरी, और गोमांतक आदि कई नामों से विख्‍यात रहा है। इस प्रदेश की लंबी ऐतिहासिक परंपरा रही है। गोवा के प्रारंभिक इतिहास के संबंध में स्‍पष्‍ट जानकारी नहीं है। ईसा पूर्व पहली शताब्‍दी मे गोवा सातवाहन साम्राज्‍य का इस पर शासन रहा। 14वीं शताब्‍दी के अंत में यादवों का साम्राज्‍य समाप्‍त हुआ और दिल्‍ली के खिलजी वंश ने इस पर अपना अधिकार किया। इस प्रकार गोवा मुस्लिम शासकों के अधीन रहा। सन 1489 में वास्‍कोडिगामा द्वारा भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज के बाद पुर्तगाली यात्री भारत पहुंचे। सन 1510 में एल्‍फांसो द अलबुकर्क ने विजयनगर के सम्राट की सहायता से गोवा पर आक्रमण करके इस पर कब्‍जा कर लिया। सन 1542 में जेसुइट संत फ्रांसिस जेवियर के आगमन से गोवा में धर्म परिवर्तन आरंभ हुआ। 17 वीं शताब्‍दी के उत्तरार्द्ध के कुछ वर्षो को छोड़कर, जब शिवा जी ने गोवा और उसके आसपास के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था, पूरे क्षेत्र पर पुर्तगालियों का शासन रहा। भारत के स्‍वतंत्र होने पर भी गोवा पुर्तगालियों के ही अधिकार में रहा। अंतत: 19 दिसंबर, 1961 को गोवा को मुक्‍त कर दिया गया और इसे दमन तथा दीव के साथ मिलाकर केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। 30 मई, 1987 को गोवा को पूर्ण राज्‍य को दर्जा मिला और दमन तथा दीव को अलग केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया।

गोवा भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसके उत्तर में तेरेखोल नदी बहती है जो गोवा को महाराष्‍ट्र से अलग करती है। इसके दक्षिण में कर्नाटक का उत्तर कन्‍नड़ जिला और पूर्व में पश्चिमी घाट और पश्चिम में अरब सागर है। पणजी, मड़गांव, वास्‍को, मापुसा, तथा पोंडा राज्‍य के प्रमुख शहर हैं।

कृषि

यहां की मुख्‍य खाद्य फसल चावल हैं। इसके अतिरिक्त दालें, रागी और अन्‍य खाद्य फसलें भी उगाई जाती हैं। नारियल, काजू, सुपारी तथा गन्‍ने जैसी नकदी फसलों के साथ-साथ यहां अनन्‍नास, आम और केला भी होता है। राज्‍य में 1,424 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में घने वन हैं।

सिचाई और बिजली

राज्‍य में 'सेलाउलिम' और 'अंजुनेम' जैसे बांधों और अन्‍य लघु सिंचाई परियोजनाओं के होने से सिंचित क्षेत्र बढ़ता जा रहा है। इन परियोजनाओं से अब तक कुल 43,000 हेक्‍टेयर की सिंचाई क्षमता उपलब्‍ध हो सकी है। राज्‍य के सभी गांवों में बिजली पहुँचाई जा चुकी है और शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्‍य प्राप्‍त किया जा चुका है।

उद्योग तथा खनिज

  • राज्‍य में लघु उद्योगों की संख्‍या 7110 है।
  • 20 औद्योगिक परिसर हैं। राज्‍य के खनिज उत्‍पादों में फैरो मैंगनीज, बॉक्‍साइट, लौह-अयस्‍क आदि शामिल हैं और इनके निर्यात से राज्‍य की अर्थवस्‍था में महत्‍वपूर्ण योगदान मिलता है।

परिवहन

  • राज्‍य में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 224 किलोमीटर तथा प्रांतीय राजमार्गों की लंबाई 232 किलोमीटर है। इसके अलावा 815 किलोमीटर जिला मार्ग हैं।
  • गोवा कोंकण रेलवे के माध्‍यम से मुंबई, मंगलोर और तिरुवनंतपुरम से जुड़ा है। इस रेलमार्ग पर अनेक तेज-रफ्तार रेलगाडियां शुरू की गई हैं। वास्‍कोडिगामा दक्षिण मध्‍य रेलवे के बैंगलौर और बेलगांव स्‍टेशनों से जुड़ा है। इस मार्ग का प्रयोग माल यातायात के लिए होता है।
  • डबोलिम हवाई अड्डे से मुंबई, दिल्‍ली, तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, चेन्‍नई, अगाती और बैंगलौर के लिए नियमित विमान सेवाएं हैं।
  • मरमुगांव राज्‍य का प्रमुख बंदरगाह है। यहां मालवाहक जहाजों के लिए सुविधाएं उपलब्‍ध है। इसके अलावा पणजी, तिराकोल, चपोरा बेतूल और तालपोना में भी छोटे बंदरगाह हैं, मगर इनमें से पणजी प्रमुख व्‍यस्‍त बंदरगाह है। यहां जहाजों के लिए एक पत्तन (पोर्ट) भी प्रारम्भ हो गया है।

पर्यटन स्‍थल

  • अंजुना बीच गोवा
  • बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस
  • गोवा के महत्‍वपूर्ण पर्यटन स्‍थल हैं- कोलावा,कालनगुटे, वागाटोर, बागा, हरमल, अंजुना और मीरामार समुद्र तट:,
  • पुराने गोवा में बैसीलिका ऑफ बोम जीसस और से-केथेड्रल चर्च;
  • कावलेम, मारडोल, मंगेशी तथा बनडोरा मंदिर;
  • अगुडा तेरेखोल, चपोरा और काबो डि रामा किले;
  • प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध दूधसागर और हरवालेम जलप्रपात तथा माएम झील हैं।
  • राज्‍य में समृद्ध वन्‍यप्राणी उद्यान हैं, जैसे- बोंडला, कोटीगांव तथा मोलेम वन्‍यप्राणी उद्यान और चोराव में डा. सलीम अली पक्षी उद्यान, जिसका कुल क्षेत्रफल 354 वर्ग किलोमीटर है।

ज़िले

गोवा राज्‍य 2 जिलों में विभाजित है, जिनका क्षेत्रफल, जनसंख्‍या इस प्रकार है-

  1. उत्तरी गोवा - क्षेत्रफल 1,736 वर्ग कि.मी.- जनसंख्‍या 758,573 (2001 जनगणना के अनुसार) और मुख्यालय पणजी है।
  2. दक्षिणी गोवा - क्षेत्रफल 1,966 वर्ग कि.मी.- जनसंख्‍या 589,095 (2001 जनगणना के अनुसार) और मुख्यालय मारगांव है।