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*इसके अलावा शास्त्रीय संगीत की गुरु-शिष्य परंपरा में प्रत्येक [[गुरु]] वा उस्ताद अपने हाव-भाव अपने शिष्यों की जमात को देता जाता है।  
 
*इसके अलावा शास्त्रीय संगीत की गुरु-शिष्य परंपरा में प्रत्येक [[गुरु]] वा उस्ताद अपने हाव-भाव अपने शिष्यों की जमात को देता जाता है।  
 
*घराना किसी क्षेत्र विशेष का प्रतीक होने के अलावा, व्यक्तिगत आदतों की पहचान बन गया है, यह परंपरा ज़्यादातर संगीत शिक्षा के पारंपरिक तरीके <ref>जिसमें शिष्य गुरु के घर पर ही रहकर प्रशिक्षण प्राप्त करता था</ref> तथा संचार सुविधाओं के अभाव के कारण फली-फूली, क्योंकि इन परिस्थितियों में शिष्यों की पहुँच संगीत की अन्य शैलियों तक बन नहीं पाती थी।   
 
*घराना किसी क्षेत्र विशेष का प्रतीक होने के अलावा, व्यक्तिगत आदतों की पहचान बन गया है, यह परंपरा ज़्यादातर संगीत शिक्षा के पारंपरिक तरीके <ref>जिसमें शिष्य गुरु के घर पर ही रहकर प्रशिक्षण प्राप्त करता था</ref> तथा संचार सुविधाओं के अभाव के कारण फली-फूली, क्योंकि इन परिस्थितियों में शिष्यों की पहुँच संगीत की अन्य शैलियों तक बन नहीं पाती थी।   
 
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13:09, 12 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण

घराना (परिवार), हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की विशिष्ट शैली है, क्योंकि हिंदुस्तानी संगीत बहुत विशाल भौगोलिक क्षेत्र में विस्तृत है, कालांतर में इसमें अनेक भाषाई तथा शैलीगत बदलाव आए हैं।

  • इसके अलावा शास्त्रीय संगीत की गुरु-शिष्य परंपरा में प्रत्येक गुरु वा उस्ताद अपने हाव-भाव अपने शिष्यों की जमात को देता जाता है।
  • घराना किसी क्षेत्र विशेष का प्रतीक होने के अलावा, व्यक्तिगत आदतों की पहचान बन गया है, यह परंपरा ज़्यादातर संगीत शिक्षा के पारंपरिक तरीके [1] तथा संचार सुविधाओं के अभाव के कारण फली-फूली, क्योंकि इन परिस्थितियों में शिष्यों की पहुँच संगीत की अन्य शैलियों तक बन नहीं पाती थी।

हिंदुस्तानी संगीत के प्रमुख घराने

  1. ग्वालियर घराना
  2. आगरा घराना
  3. किराना घराना
  4. बनारस घराना
  5. जयपुर-अतरौली घराना
  6. रामपुर-सहस्वान घराना
  7. पटियाला घराना
  8. दिल्ली घराना
  9. भिंडी बाज़ार घराना
  10. मेवाती घराना


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जिसमें शिष्य गुरु के घर पर ही रहकर प्रशिक्षण प्राप्त करता था

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख