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*[[महाराष्ट्र]] के इन तीनों चापेकर बन्धुओं ने बाल गंगाधर तिलक के प्रभाव में आकर देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
 
*[[महाराष्ट्र]] के इन तीनों चापेकर बन्धुओं ने बाल गंगाधर तिलक के प्रभाव में आकर देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
*बालकृष्ण तथा दामोदर चापेकर ने [[जून]], [[1897]] ई. में [[महारानी विक्टोरिया]] के 'हीरक जयन्ती' समारोह के अवसर पर दो ब्रिटिश अधिकारियों रैण्ड और ले. एम्हर्स्ट की हत्या कर दी थी।
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*बालकृष्ण तथा दामोदर चापेकर ने [[जून]], [[1897]] ई. में [[महारानी विक्टोरिया]] के '[[हीरक जयंती|हीरक जयन्ती]]' समारोह के अवसर पर दो ब्रिटिश अधिकारियों रैण्ड और ले. एम्हर्स्ट की हत्या कर दी थी।
*इस हत्याकाण्ड के बाद दोनों भाईयों को गिरफ़्तार कर फांसी दे दी गयी।
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*इस हत्याकाण्ड के बाद दोनों भाईयों को गिरफ़्तार कर फाँसी दे दी गयी।
 
*तीसरे भाई वासुदेव चापेकर ने गणेश शंकर द्रविड़ की हत्या कर दी, जिसने दामोदर और बालकृष्ण को गिरफ़्तार करवाया था।
 
*तीसरे भाई वासुदेव चापेकर ने गणेश शंकर द्रविड़ की हत्या कर दी, जिसने दामोदर और बालकृष्ण को गिरफ़्तार करवाया था।
*वासुदेव चापेकर को [[8 मई]], [[1899]] ई. में गिरफ़्तार करके फांसी दी गयी।
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*वासुदेव चापेकर को [[8 मई]], [[1899]] ई. में गिरफ़्तार करके फाँसी दी गयी।
 
*तीनों भाईयों ने [[भारत]] की आज़ादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया और सदा के लिए अमर हो गये।
 
*तीनों भाईयों ने [[भारत]] की आज़ादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया और सदा के लिए अमर हो गये।
  

07:12, 6 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

चापेकर बन्धु के रूप में 'दामोदर हरी चापेकर' (1869-1898 ई.), 'बालकृष्ण चापेकर' (1873-1899 ई.) और 'वासुदेव चापेकर' (1880-1899 ई.) भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध हैं। ये तीनों भाई बाल गंगाधर तिलक से अत्यधिक प्रभावित थे।

  • महाराष्ट्र के इन तीनों चापेकर बन्धुओं ने बाल गंगाधर तिलक के प्रभाव में आकर देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
  • बालकृष्ण तथा दामोदर चापेकर ने जून, 1897 ई. में महारानी विक्टोरिया के 'हीरक जयन्ती' समारोह के अवसर पर दो ब्रिटिश अधिकारियों रैण्ड और ले. एम्हर्स्ट की हत्या कर दी थी।
  • इस हत्याकाण्ड के बाद दोनों भाईयों को गिरफ़्तार कर फाँसी दे दी गयी।
  • तीसरे भाई वासुदेव चापेकर ने गणेश शंकर द्रविड़ की हत्या कर दी, जिसने दामोदर और बालकृष्ण को गिरफ़्तार करवाया था।
  • वासुदेव चापेकर को 8 मई, 1899 ई. में गिरफ़्तार करके फाँसी दी गयी।
  • तीनों भाईयों ने भारत की आज़ादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया और सदा के लिए अमर हो गये।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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