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*बंग-भंग के विरुद्ध आंदोलन में चिदंबरम पिल्लई ने स्वदेशी का प्रचार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करते रहे।  
 
*बंग-भंग के विरुद्ध आंदोलन में चिदंबरम पिल्लई ने स्वदेशी का प्रचार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करते रहे।  
 
*[[1907]] की [[सूरत]] कांग्रेस के बाद जब दल में विभाजन हुआ तो सरकार को [[बाल गंगाधर तिलक|तिलक]] सहित अनेक नेताओं और कार्यकर्त्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई का अवसर मिल गया।
 
*[[1907]] की [[सूरत]] कांग्रेस के बाद जब दल में विभाजन हुआ तो सरकार को [[बाल गंगाधर तिलक|तिलक]] सहित अनेक नेताओं और कार्यकर्त्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई का अवसर मिल गया।
*चिदंबरम पिल्लई भी राजद्रोह का अभियोग लगा कर गिरफ्तार किए गए और उन्हें आजीवन कारावास की सजा हो गई। अपील करने पर हाईकोर्ट ने सजा को 6 वर्ष की कर दिया था।  
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*चिदंबरम पिल्लई भी राजद्रोह का अभियोग लगा कर गिरफ्तार किए गए और उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा हो गई। अपील करने पर हाईकोर्ट ने सज़ा को 6 वर्ष की कर दिया था।  
 
*जेल से छूटने पर उन्होंने गैर-[[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] के संगठन ‘मद्रास प्रेसिडेंसी एसोसिएशन’ को आगे बढ़ाने में सक्रिय भाग लिया।  
 
*जेल से छूटने पर उन्होंने गैर-[[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] के संगठन ‘मद्रास प्रेसिडेंसी एसोसिएशन’ को आगे बढ़ाने में सक्रिय भाग लिया।  
 
*[[1920]] में जब कांग्रेस की बागडोर [[महात्मा गाँधी|गाँधी जी]] के हाथों में आई तो तिलक के ये अनुयायी उनके विचारों से सहमत न होकर कांग्रेस से अलग हो गए।  
 
*[[1920]] में जब कांग्रेस की बागडोर [[महात्मा गाँधी|गाँधी जी]] के हाथों में आई तो तिलक के ये अनुयायी उनके विचारों से सहमत न होकर कांग्रेस से अलग हो गए।  

11:21, 27 अगस्त 2011 का अवतरण

  • वी. ओ. चिदंबरम पिल्लई (जन्म- 5 सितंबर, 1872 ई.- मृत्यु- 3 नवंबर, 1936 ई.) समाज-सुधारक और तमिल भाषा के विद्वान थे। प्रसिद्ध तमिल ग्रंथ तिरुकुरल पर उनका भाष्य बहुत प्रसिद्ध हुआ।
  • चिदंबरम पिल्लई का जन्म 5 सितंबर, 1872 ई. को तमिलनाडु के तिरुनेलवेली ज़िले में हुआ था।
  • चिदंबरम पिल्लई 1895 में क़ानून के स्नातक बने और तूतीकोरन में वकालत करने लगे। फिर वे विजयराघवाचारी के प्रभाव से कांग्रेस में सम्मिलित हो गए।
  • बंग-भंग के विरुद्ध आंदोलन में चिदंबरम पिल्लई ने स्वदेशी का प्रचार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करते रहे।
  • 1907 की सूरत कांग्रेस के बाद जब दल में विभाजन हुआ तो सरकार को तिलक सहित अनेक नेताओं और कार्यकर्त्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई का अवसर मिल गया।
  • चिदंबरम पिल्लई भी राजद्रोह का अभियोग लगा कर गिरफ्तार किए गए और उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा हो गई। अपील करने पर हाईकोर्ट ने सज़ा को 6 वर्ष की कर दिया था।
  • जेल से छूटने पर उन्होंने गैर-ब्राह्मणों के संगठन ‘मद्रास प्रेसिडेंसी एसोसिएशन’ को आगे बढ़ाने में सक्रिय भाग लिया।
  • 1920 में जब कांग्रेस की बागडोर गाँधी जी के हाथों में आई तो तिलक के ये अनुयायी उनके विचारों से सहमत न होकर कांग्रेस से अलग हो गए।
  • 3 नवंबर 1936 में चिदंबरम पिल्लई का निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 280।


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