छत्तीसगढ़

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छत्तीसगढ़ / Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ भारत का २६वां राज्य है । भारत में विशेषत: दो ऐसे क्षेत्र हैं जिनका नाम विशेष कारणों से धीरे धीरे बदल गया -

  1. 'मगध' जो 'बौद्ध विहारों' के कारण 'बिहार' बन गया और
  2. 'दक्षिण कौशल' जो छत्तीस गढ़ों को अपने में समाहित रखने के कारण 'छत्तीसगढ़' बन गया।

ये दोनों ही क्षेत्र प्राचीन काल से भारत को गौरवान्वित करते रहे हैं। 'छत्तीसगढ़' पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ के प्राचीन मन्दिर तथा उनके भग्नावशेष बताते हैं कि यहाँ वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध के साथ ही साथ अनेक आर्य तथा अनार्य संस्कृतियों का समय समय पर प्रभाव रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन 1 नवंबर 2000 को हुआ था।

इतिहास और भूगोल

मध्‍य प्रदेश से बनाया गया यह राज्‍य भारतीय संघ के 26 वें राज्‍य के रूप में 1 नवंबर, 2000 को पूर्ण अस्तित्‍व में आया। प्राचीन काल में इस क्षेत्र को 'दक्षिण कोशल' के नाम से जाना जाता था। इस क्षेत्र का उल्‍लेख रामायण और महाभारत में भी मिलता है। छठी और बारहवीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। कलचुरी और नागावंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया कलचुरियों ने छत्तीसगढ़ पर सन 980 से लेकर 1791 तक राज किया सन 1854 में अंग्रेजों के आक्रमण के बाद महत्‍व बढ़ गया सन 1904 में संबलपुर उड़ीसा में चला गया और 'सरगुजा' रियासत बंगाल से छत्तीसगढ़ के पास आ गई। छत्तीसगढ़ पूर्व में दक्षिणी झारखंड और उड़ीसा से, पश्चिम में मध्‍य प्रदेश और महाराष्‍ट्र से, उत्तर में उत्तर प्रदेश और पश्चिमी झारखंड और दक्षिण में आंध्र प्रदेश से घिरा है। छत्तीसगढ़ क्षेत्रफल के हिसाब से देश का नौवां बड़ा राज्‍य है और जनसंख्‍या की दृष्टि से इसका 17वां स्‍थान है।

कृषि

राज्‍य में 80 प्रतिशत आबादी कृषि और उससे जुडी गतिविधियों में लगी है। 137.9 लाख हेक्‍टेयर भौगोलिक क्षेत्र में से कुल कृषि क्षेत्र कुल क्षेत्र का लगभग 35 प्रतिशत है। खेती का प्रमुख मौसम ख़रीफ हैं। चावल यहां की मुख्‍य फसल है। अन्‍य महत्‍वपूर्ण फसलें हैं- मक्‍का, गेंहू कच्‍चा अनाज, मूंगफली और दलहन। राज्‍य में धान का सर्वाधिक भंडार है। लगभग 3.03 लाख हेक्‍टेयर में बागवानी फसलें उगाई जाती हैं।

उद्योग

छत्तीसगढ़ में वन, खनिज और भूजल जैसे प्राकृतिक संसाधनों का असीम भंडार है। पिछले कुछ वर्षो से राज्‍य में उद्योगों का विस्तार हो रहा है। छत्तीसगढ़ में देश का लगभग 15 प्रतिशत इस्‍पात तैयार होता है। भिलाई इस्‍पात संयंत्र, राष्‍ट्रीय खनिज विकास निगम, साउथ-ईस्‍टर्न कोल फील्‍ड्स लिमिटेड एन.टी.पी.सी. जैसे भारत सरकार और ए.सी.सी. गुजरात अंबुजा, ग्रासिम, एल एंड टी सी सी आई और फ्रांस के ला-फार्गे जैसे बड़े सीमेंट प्‍लांट तथा 53 इस्‍पात परियोजनाएं क्रियान्‍वयन के विभिन्‍न चरणों में है। राज्‍य में लगभग 133 इस्‍पात ढालने के कारखाने, अनेक लघु इस्‍पात संयंत्र, 11 फैरो-एलॉय कारखाने, इंजीनियरिंग और फैब्रीकेशन इकाइयों सहित बड़े पैमाने पर कृषि आधारित और खाद्य प्रसंस्‍करण, रसायन, प्‍लास्टिक, भवन निर्माण सामग्री और वनोत्‍पाद पर आधारित कारखाने हैं। अनुकूल औद्योगिक वातावरण के कारण छत्तीसगढ़ में विशाल औद्योगिक निवेश हो रहा है। नए उद्योगों की स्‍थापना और विद्यमान औद्योगिकी इकाइयों के विस्‍तार के लिए 85,000 करोड़ रुपए के 80 आशय-पत्रों पर हस्‍ताक्षर हुए हैं। राज्‍य में जनवरी-दिसंबर 2006 के बीच 1,07,899 करोड़ रुपए के प्रस्‍तावित निवेश होने के कारण छत्तीसगढ़ को भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय की औद्योगिकी उद्यमशीलता ज्ञापन रिपोर्ट में प्रथम स्‍थान मिला।

भारत के केंद्र में स्थित छत्‍तीसगढ़ राज्‍य कारखानों को हर समय बिजली उपलब्‍ध कराने में सक्षम है। राज्‍य में कोयले के विशाल भंडार (देश के 17 प्रतिशत) के कारण से राज्‍य के पास कम लागत पर बिजली उत्‍पादन के अवसर हैं और अन्‍य के पास 50,000 मेगावॉट की बिजली उत्‍पादन क्षमता है। एन.टी.पी.सी बिलासपुर जिले में अपना सबसे बड़ा बिजली उत्‍पादन संयंत्र स्‍थापित कर रहा है। एन.टी.पी.सी. ने सीपट में 2,640 मेगावॉट और कोरबा में 600 मेगावॉट के सुपर ताप बिजलीघर का निर्माण शुरू हो गया है। कई अन्‍य राज्‍य भी यहां अपने संयंत्र लगाना चाहते हैं। निजी क्षेत्र के 25,000 मेगावॉट से अधिक के संयंत्रों के अनुबंध-पत्र (एम.ओ.यू) विचाराधीन हैं। छत्तीसगढ़ औद्योगिक विकास निगम लि., रायपुर ने राज्‍य में लगभग 3,500 हेक्‍टेयर औद्योगिक जमीन के विकास, रखरखाव और प्रबंधन का काम अपने हाथ में ले लिया है। निगम द्वारा विकसित जमीन में 925 से अधिक उद्योग खुल गये हैं जिन पर 1,800 करोड़ रुपए से भी अधिक का निवेश है और इनमें 80,000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

सूचना प्रौद्योगि‍की

चिप्‍स (छत्‍तीसगढ़ इंफोटेक एंड बायोटेक प्रोमोशन सोसायटी) उच्‍चाधिकार प्राप्‍त परिषद है जो मुख्‍यमंत्री की अध्‍यक्षता मेंगठित है और इसका कार्य राज्‍य में सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी को प्रोत्‍साहित करना है। ई-शासन की सारी नागरिक सेवाएं ‘चॉइस’ (छत्‍तीसगढ़ ऑनलाइन इंफॉर्मेशन फॉर सिटीजन एंपावरमेंट) नामक परियोजना के अंतर्गत हैं। छत्‍तीसगढ़ को, नागरिकों की बेहतरी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके तैयार की गई मानव विकास रिपोर्ट के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र विकास कार्यक्रम पुरस्‍कार, 2007 मिला है।

खनिज संसाधन

छत्तीसगढ़ में आग्‍नेय, कायांतरित और तलछटी क्षेत्रों में अनेक प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। कोयला, कच्‍चा लोहा, चूना पत्‍थर, बॉसाक्‍साइट डोलोमाइट, तथा टिन के विशाल भंडार राज्‍य के विभिन्‍न हिस्‍सों में हैं। रायपुर जिले में डाइमंडीफैरस किंबरलाइट्स में से बहुत मात्रा में हीरा प्राप्‍त किया जाता हैं।इसके अलावा सोना, आधार धातुओं, बिल्‍लौरी पत्‍थर, चिकना पत्‍थर, सेटाइट, फ्लूरोराइट, कोरूंडम, ग्रेफाइट, लेपिडोलाइट, उचित आकार की एम्‍लीगोनाइट के विशाल भंडार मिलने की संभावना है। राज्‍य में देश के कुल उत्पादन का 20 प्रतिशत इस्‍पात और सीमेंट का उत्‍पादन किया जाता है। कच्‍चे टिन का उत्‍पादन करने वाला यह देश का एकमात्र राज्‍य है। यहां खनिज संसाधनों से उत्‍खनन, खनिज आधारित उद्योग लगाने और रोजगार के अवसर बढ़ाने की अपार क्षमता है। छत्तीसगढ़ विश्‍व का सबसे अधिक किंबरलाइट भंडार का क्षेत्र है।

सिंचाई और बिजली

जब यह राज्‍य अस्तित्‍व में आया तब यहां कुल सिंचाई क्षमता 13.28 लाख हेक्‍टेयर (1 नवम्‍बर 2000 के अनुसार) थी। दो वर्ष और नौ माह बाद 1.25 लाख हेक्‍टेयर की अतिरिक्‍त क्षमता का सृजन किया गया। प्रमुख रूप से पूरी की गई परियोजनाएं हैं तंडुला, कोदार और पेयरी। हसदेव, महानदी रिजर्वायर परियोजना, सोंधुर और जोंक कुछ अन्‍य परियोजनाएं हैं। राज्‍य बिजली बोर्ड की कुल क्षमता 1,68,1.05 मेगावाट है, जिसमें से 1,260 मेगावाट तापबिजली और शेष पनबिजली है। राज्‍य बिजली बोर्ड ने कोरबा में 500 मेगावाट की अतिरिक्‍त स्‍थापित उत्‍पादन क्षमता (2x250 मेगावाट यूनिट) बढ़ाई है। निजी क्षेत्र को बिजलीघर बनाने और उसे राज्‍य से बाहर बेचने के लिए प्रोत्‍साहित किया जा रहा है। राज्‍य के कुल 19,270 बसे हुए गांवों में से 93 प्रतिशत गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है।

परिवहन

  • राज्‍य में सड़कों की कुल लंबाई 34,930 कि.मी. है। राष्‍ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 2,225 कि.मी., प्रांतीय राजमार्गों की लंबाई 3,213.50 कि.मी., जिला सड़कों की लंबाई 4,814 कि.मी.और ग्रामीण सड़कों की लंबाई 27,001 कि.मी. है। उत्तर-दक्षिण को जोड़ने वाले दो तथा पूर्व-पश्चिम को जोड़ने वाले चार सड़क गलियारे बनाए जा रहे हैं जिनकी कुल लंबाई 3,106.75 कि.मी.है।
  • रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांद गांव, रायगढ़ और कोरबा यहां के प्रमुख रेल स्‍टेशन है।
  • रायपुर नई दिल्‍ली, नागपुर, मुंबई और भुवनेश्‍वर के साथ दैनिक उडानों द्वारा जुड़ा है। बिलासपुर, भिलाई, रायगढ़, जगदलपुर, अम्बिकापुर, कोरबा, जशपुरानगर और राजनांदगांव में हवाई पट्टियां हैं।

त्‍योहार

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध त्‍योहार हैं- पोला, नवाखाई, दशहरा, दीपावली, होली, गोवर्धन पूजा को बड़े उत्‍साह और धूमधाम से मनाया जाता है।

पर्यटन स्‍थल

  • भारत के हृदय में स्थित छत्‍तीसगढ में समृद्ध सांस्‍कृतिक पंरपरा और आकर्षक प्राकृतिक विविधता है।
  • राज्‍य में प्राचीन स्‍मारक, दुर्लभ वन्‍यजीव, नक्‍काशीदार मंदिर, बौद्धस्‍‍थल, महल जल-प्रपात, पर्वतीय पठार, रॉक पेंटिंग और गुफाएं हैं।
  • बस्‍तर अपनी अनोखी सांस्‍कृतिक और भौगोलिक पहचान के साथ पर्यटकों को एक नई ताजगी प्रदान करता हो।
  • चित्रकोट के जल-प्रपात जहां इंद्रावती नदी का पानी 96 फुट ऊंचाई से गिरता है।
  • कांगेर नदी के सौ फुट की ऊंचाई से गिरने से बने तीरथगढ प्रपायात नयनभिराम दृश्‍य उपस्थित करते हैं।
  • अन्‍य प्रमुख स्‍थल हैं: केशकल घाटी, कांगेरघाट राष्‍ट्रीय पार्क, कैलाश गुफाएं औ कुडंबसर गुफाएं जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जानी जाती हैं।

बिलासपुर में रतनपुर का महामाया मंदिर, डूंगरगढ में बंबलेश्‍वरी देवी मंदिर, दांतेवाडा में दंतेश्‍वरी देवी मंदिर और छठी से दसवीं शताब्‍दी में बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र रहा सिरपुर भी महत्‍वपूर्ण पर्यटन स्‍थल हैं। महाप्रभु वल्‍लभाचार्य का जन्‍मस्‍थान चंपारण, खूटाघाट जल प्रपात, मल्‍लाहार में डिंडनेश्‍वरी देवी मंदिर, अचानकमार अभयारण्‍य, रायपुर के पास उदंति अभयारण्‍य, कोरबा जिले में पाली और कंडई जल प्रपात भी पर्यटकों के मनपसंद स्‍थल हैं। खरोड जंजगीर चंपा का साबरी मंदिर, शिवरीनारायण का नरनारायण मंदिर, रंजिम का राजीव लोचन और कुलेश्‍वर मंदिर, सिरपुर का लक्ष्‍मण मंदिर और जंजगीर का विष्‍णु मंदिर महत्‍वपूर्ण धार्मिक स्‍थलों में हैं।