छत्रसाल

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  • बुंदेला सरदार चम्पतराय के पुत्र और उत्तराधिकारी का नाम छत्रसाल था।
  • छत्रसाल ने शिवाजी के विरुद्ध मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब की फ़ौजों का साथ दिया, लेकिन बाद में उसे इस मराठा नेता से प्रेरणा मिली।
  • अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित करने की आशा के साथ उसने शिवाजी की तरह साहस और जोख़िमपूर्ण जीवन बिताने का फ़ैसला किया।
  • दक्षिण के फ़ौजी अभियान से लौटने के बाद छत्रसाल ने बुंदेलखण्ड और मालवा के असंतुष्ट हिन्दुओं के हितों की रक्षा का बीड़ा उठाया।
  • मुग़लों के ख़िलाफ़ उसने कई लड़ाइयाँ जीतीं और 1671 ई. तक पूर्वी मालवा में अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिया।
  • उसने अपनी राजधानी पन्ना को बनाया और 1731 ई. तक मृत्यु पर्यन्त शासन किया।
  • छत्रसाल स्वयं कवि थे।
  • छत्तरपुर इन्हीं ने बसाया था। इनकी प्रसिद्धि कला प्रेमी और भक्त के रुप में थी।
  • बुंदेलखंड की शीर्ष उन्नति इन्हीं के काल में हुई।
  • छत्रसाल की मृत्यु के बाद बुंदेलखंड राज्य भागों में बँट गया था। एक भाग हिरदेशाह, दूसरा जगतराय और तीसरा पेशवा को मिला।
  • छत्रसाल की मृत्यु 13 मई सन 1731 में हुई थी।
  • छत्रसाल के समय तक बुंदेलखंड की सीमायें अत्यंत व्यापक थीं। इस प्रदेश में उत्तर प्रदेश के झाँसी, हमीरपुर, जालौन, बाँदा, मध्य प्रदेश के सागर, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, मण्डला, मालवा संघ के शिवपुरी, कटेरा, पिछोर, कोलारस, भिण्ड और मोण्डेर के ज़िले और परगने शामिल थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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