"जमशेद जी टाटा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "उन्होने " to "उन्होंने ")
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
'''जमशेदजी टाटा''' (3 मार्च, 1839 - 19 मई, 1904) [[गुजरात]] के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ था। जमशेदजी टाटा वर्तमान में [[भारत]] के विश्वप्रसिद्ध औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे।  
 
'''जमशेदजी टाटा''' (3 मार्च, 1839 - 19 मई, 1904) [[गुजरात]] के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ था। जमशेदजी टाटा वर्तमान में [[भारत]] के विश्वप्रसिद्ध औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे।  
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
जमशेदजी टाटा जन्म सन 1839 में [[गुजरात]] के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ था। उनके पिता जी का नाम नुसीरवानजी था व उनकी माता जी का नाम जीवनबाई टाटा था।  पारसी पादरियों के अपने खानदान में नुसीरवानजी पहले व्यवसायी थे। भाग्य उन्हें [[बंबई]] ले आया जहाँ उन्होने व्यवसाय (धंधे) में कदम रखा । जमशेदजी 14 साल की नाज़ुक उम्र में ही उनका साथ देने लगे । जमशेदजी ने एल्फिंस्टन कालेज में प्रवेश लिया और अपनी पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने हीरा बाई दबू से विवाह कर लिया। वे 1858 में स्नातक हुए और अपने पिता के व्यवसाय से पूरी तरह जुड़ गए। वह दौर बहुत कठिन था। अंग्रेज़ अत्यंत बर्बरता से [[1857]] कि क्रान्ति को कुचलने में सफल हुए थे। 29 साल कि उम्र तक जमशेदजी अपने पिता जी के साथ ही काम करते रहे । 1868 में उन्होने 21000 रुपयों के साथ अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया । सबसे पहले उन्होने एक दिवालिया तेल कारखाना ख़रीदा और उसे एक रुई के कारखाने में तब्दील कर दिया और उसका नाम बदल कर रखा - एलेक्जेंडर मिल। दो साल बाद उन्होने इसे खासे मुनाफे के साथ बेच दिया । इस पैसे के साथ उन्होंने [[नागपुर]] में 1874 में एक रुई का कारखाना लगाया । [[विक्टोरिया|महारानी विक्टोरिया]] ने उन्ही दिनों भारत की रानी का खिताब हासिल किया था और जमशेदजी ने भी वक़्त को समझते हुए कारखाने का नाम इम्प्रेस्स मिल रखा । जमशेदजी एक अलग ही व्यक्तित्व के मालिक थे । उन्होंने ना केवल कपड़ा बनाने के नए नए तरीक़े ही अपनाए बल्कि अपने कारखाने में काम करने वाले श्रमिकों का भी खूब ध्यान रखा। उनके भले के लिए जमशेदजी ने अनेक नई व बेहतर श्रम-नीतियाँ अपनाई । इस नज़र से भी वे अपने समय से कहीँ आगे थे । सफलता को कभी केवल अपनी जागीर नही समझा , बल्कि उनके लिए उनकी सफलता उन सब की थी जो उनके लिए काम करते थे। जमशेद जी के अनेक राष्ट्रवादी और क्रांतिकारी नेताओं से नजदीकी संबंध थे, इन में प्रमुख थे, [[दादाभाई नौरोजी]] और [[फिरोजशाह मेहता]] । जमशेदजी पर और उनकी सोच पर इनका काफ़ी प्रभाव था। उनका मानना था कि आर्थिक स्वतंत्रता ही राजनीतिक स्वतंत्रता का आधार है। जमशेद जी के दिमाग में तीन बडे विचार थे -  
+
जमशेदजी टाटा जन्म सन 1839 में [[गुजरात]] के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ था। उनके पिता जी का नाम नुसीरवानजी था व उनकी माता जी का नाम जीवनबाई टाटा था।  पारसी पादरियों के अपने खानदान में नुसीरवानजी पहले व्यवसायी थे। भाग्य उन्हें [[बंबई]] ले आया जहाँ उन्होंने व्यवसाय (धंधे) में कदम रखा । जमशेदजी 14 साल की नाज़ुक उम्र में ही उनका साथ देने लगे । जमशेदजी ने एल्फिंस्टन कालेज में प्रवेश लिया और अपनी पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने हीरा बाई दबू से विवाह कर लिया। वे 1858 में स्नातक हुए और अपने पिता के व्यवसाय से पूरी तरह जुड़ गए। वह दौर बहुत कठिन था। अंग्रेज़ अत्यंत बर्बरता से [[1857]] कि क्रान्ति को कुचलने में सफल हुए थे। 29 साल कि उम्र तक जमशेदजी अपने पिता जी के साथ ही काम करते रहे । 1868 में उन्होंने 21000 रुपयों के साथ अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया । सबसे पहले उन्होंने एक दिवालिया तेल कारखाना ख़रीदा और उसे एक रुई के कारखाने में तब्दील कर दिया और उसका नाम बदल कर रखा - एलेक्जेंडर मिल। दो साल बाद उन्होंने इसे खासे मुनाफे के साथ बेच दिया । इस पैसे के साथ उन्होंने [[नागपुर]] में 1874 में एक रुई का कारखाना लगाया । [[विक्टोरिया|महारानी विक्टोरिया]] ने उन्ही दिनों भारत की रानी का खिताब हासिल किया था और जमशेदजी ने भी वक़्त को समझते हुए कारखाने का नाम इम्प्रेस्स मिल रखा । जमशेदजी एक अलग ही व्यक्तित्व के मालिक थे । उन्होंने ना केवल कपड़ा बनाने के नए नए तरीक़े ही अपनाए बल्कि अपने कारखाने में काम करने वाले श्रमिकों का भी खूब ध्यान रखा। उनके भले के लिए जमशेदजी ने अनेक नई व बेहतर श्रम-नीतियाँ अपनाई । इस नज़र से भी वे अपने समय से कहीँ आगे थे । सफलता को कभी केवल अपनी जागीर नही समझा , बल्कि उनके लिए उनकी सफलता उन सब की थी जो उनके लिए काम करते थे। जमशेद जी के अनेक राष्ट्रवादी और क्रांतिकारी नेताओं से नजदीकी संबंध थे, इन में प्रमुख थे, [[दादाभाई नौरोजी]] और [[फिरोजशाह मेहता]] । जमशेदजी पर और उनकी सोच पर इनका काफ़ी प्रभाव था। उनका मानना था कि आर्थिक स्वतंत्रता ही राजनीतिक स्वतंत्रता का आधार है। जमशेद जी के दिमाग में तीन बडे विचार थे -  
  
 
# अपनी लोहा व स्टील कंपनी खोलना  
 
# अपनी लोहा व स्टील कंपनी खोलना  
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
#एक जलविद्युत परियोजना (Hydro-electric plant) लगाना ।  
 
#एक जलविद्युत परियोजना (Hydro-electric plant) लगाना ।  
  
दुर्भाग्यवश उनके जीवन काल में तीनों में से कोई भी सपना पूरा ना हो सका । पर वे बीज तो बो ही चुके थे, एक ऐसा बीज जिसकी जड़ें उनकी आने वाली पीढ़ी ने अनेक देशों में फैलायीं । जो एक मात्र सपना वे पूरा होता देख सके वह था - होटल ताज महल । यह दिसंबर 1903 में 4,21,00,000 रुपये के शाही खर्च से तैयार हुआ। इसमे भी उन्होने अपनी राष्ट्रवादी सोच को दिखाया था। उन दिनों स्थानीय भारतीयों को बेहतरीन यूरोपियन होटलों में घुसने नही दिया जाता था । [[ताजमहल होटल]] इस दमनकारी नीति का करारा जवाब था ।  
+
दुर्भाग्यवश उनके जीवन काल में तीनों में से कोई भी सपना पूरा ना हो सका । पर वे बीज तो बो ही चुके थे, एक ऐसा बीज जिसकी जड़ें उनकी आने वाली पीढ़ी ने अनेक देशों में फैलायीं । जो एक मात्र सपना वे पूरा होता देख सके वह था - होटल ताज महल । यह दिसंबर 1903 में 4,21,00,000 रुपये के शाही खर्च से तैयार हुआ। इसमे भी उन्होंने अपनी राष्ट्रवादी सोच को दिखाया था। उन दिनों स्थानीय भारतीयों को बेहतरीन यूरोपियन होटलों में घुसने नही दिया जाता था । [[ताजमहल होटल]] इस दमनकारी नीति का करारा जवाब था ।  
  
 
==मृत्यु==
 
==मृत्यु==
जमशेद जी टाटा ने [[1904]] में [[जर्मनी]] में उन्होने अपनी आख़िरी सांस ली ।<ref>{{cite web |url=http://www.pressnote.in/profile---jamshed-ji-tata_92339.html |title=जमशेद जी टाटा |accessmonthday=[[4 अप्रॅल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=प्रेसनोट |language=[[हिंदी]] }}</ref>
+
जमशेद जी टाटा ने [[1904]] में [[जर्मनी]] में उन्होंने अपनी आख़िरी सांस ली ।<ref>{{cite web |url=http://www.pressnote.in/profile---jamshed-ji-tata_92339.html |title=जमशेद जी टाटा |accessmonthday=[[4 अप्रॅल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=प्रेसनोट |language=[[हिंदी]] }}</ref>
  
 
{{प्रचार}}
 
{{प्रचार}}

11:34, 6 अप्रैल 2011 का अवतरण

जमशेदजी टाटा

जमशेदजी टाटा (3 मार्च, 1839 - 19 मई, 1904) गुजरात के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ था। जमशेदजी टाटा वर्तमान में भारत के विश्वप्रसिद्ध औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे।

जीवन परिचय

जमशेदजी टाटा जन्म सन 1839 में गुजरात के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ था। उनके पिता जी का नाम नुसीरवानजी था व उनकी माता जी का नाम जीवनबाई टाटा था। पारसी पादरियों के अपने खानदान में नुसीरवानजी पहले व्यवसायी थे। भाग्य उन्हें बंबई ले आया जहाँ उन्होंने व्यवसाय (धंधे) में कदम रखा । जमशेदजी 14 साल की नाज़ुक उम्र में ही उनका साथ देने लगे । जमशेदजी ने एल्फिंस्टन कालेज में प्रवेश लिया और अपनी पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने हीरा बाई दबू से विवाह कर लिया। वे 1858 में स्नातक हुए और अपने पिता के व्यवसाय से पूरी तरह जुड़ गए। वह दौर बहुत कठिन था। अंग्रेज़ अत्यंत बर्बरता से 1857 कि क्रान्ति को कुचलने में सफल हुए थे। 29 साल कि उम्र तक जमशेदजी अपने पिता जी के साथ ही काम करते रहे । 1868 में उन्होंने 21000 रुपयों के साथ अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया । सबसे पहले उन्होंने एक दिवालिया तेल कारखाना ख़रीदा और उसे एक रुई के कारखाने में तब्दील कर दिया और उसका नाम बदल कर रखा - एलेक्जेंडर मिल। दो साल बाद उन्होंने इसे खासे मुनाफे के साथ बेच दिया । इस पैसे के साथ उन्होंने नागपुर में 1874 में एक रुई का कारखाना लगाया । महारानी विक्टोरिया ने उन्ही दिनों भारत की रानी का खिताब हासिल किया था और जमशेदजी ने भी वक़्त को समझते हुए कारखाने का नाम इम्प्रेस्स मिल रखा । जमशेदजी एक अलग ही व्यक्तित्व के मालिक थे । उन्होंने ना केवल कपड़ा बनाने के नए नए तरीक़े ही अपनाए बल्कि अपने कारखाने में काम करने वाले श्रमिकों का भी खूब ध्यान रखा। उनके भले के लिए जमशेदजी ने अनेक नई व बेहतर श्रम-नीतियाँ अपनाई । इस नज़र से भी वे अपने समय से कहीँ आगे थे । सफलता को कभी केवल अपनी जागीर नही समझा , बल्कि उनके लिए उनकी सफलता उन सब की थी जो उनके लिए काम करते थे। जमशेद जी के अनेक राष्ट्रवादी और क्रांतिकारी नेताओं से नजदीकी संबंध थे, इन में प्रमुख थे, दादाभाई नौरोजी और फिरोजशाह मेहता । जमशेदजी पर और उनकी सोच पर इनका काफ़ी प्रभाव था। उनका मानना था कि आर्थिक स्वतंत्रता ही राजनीतिक स्वतंत्रता का आधार है। जमशेद जी के दिमाग में तीन बडे विचार थे -

  1. अपनी लोहा व स्टील कंपनी खोलना
  2. एक जगत प्रसिद्ध अध्ययन केंद्र स्थापित करना
  3. एक जलविद्युत परियोजना (Hydro-electric plant) लगाना ।

दुर्भाग्यवश उनके जीवन काल में तीनों में से कोई भी सपना पूरा ना हो सका । पर वे बीज तो बो ही चुके थे, एक ऐसा बीज जिसकी जड़ें उनकी आने वाली पीढ़ी ने अनेक देशों में फैलायीं । जो एक मात्र सपना वे पूरा होता देख सके वह था - होटल ताज महल । यह दिसंबर 1903 में 4,21,00,000 रुपये के शाही खर्च से तैयार हुआ। इसमे भी उन्होंने अपनी राष्ट्रवादी सोच को दिखाया था। उन दिनों स्थानीय भारतीयों को बेहतरीन यूरोपियन होटलों में घुसने नही दिया जाता था । ताजमहल होटल इस दमनकारी नीति का करारा जवाब था ।

मृत्यु

जमशेद जी टाटा ने 1904 में जर्मनी में उन्होंने अपनी आख़िरी सांस ली ।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जमशेद जी टाटा (हिंदी) प्रेसनोट। अभिगमन तिथि: 4 अप्रॅल, 2011