"तख़्त बनते हैं -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - " मां " to " माँ ") |
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न जाने किस तरह भगवान ने इनको बनाया था | न जाने किस तरह भगवान ने इनको बनाया था | ||
− | नहीं जनती है इनको मां, यही अब | + | नहीं जनती है इनको मां, यही अब माँ को जनते हैं |
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14:10, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
तख़्त बनते हैं -आदित्य चौधरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ