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तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! मम लोके महीयते ।।<ref>सभी–आदिवाराह पुराण</ref> | तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! मम लोके महीयते ।।<ref>सभी–आदिवाराह पुराण</ref> | ||
− | यह भी [[गुह्म तीर्थ मथुरा]] है । यहाँ स्नान करने पर भगवद् धाम की प्राप्ति होती है । पास ही में दण्डी घाट है जहाँ श्री [[चैतन्य महाप्रभु]] ने स्नान किया था और अपने नृत्य एवं संकीर्तन से सभी को मुग्ध कर दिया था । '''आजकल इसे बंगाली घाट भी कहते हैं''' । | + | यह भी [[गुह्म तीर्थ मथुरा|गुह्म तीर्थ]] है । यहाँ स्नान करने पर भगवद् धाम की प्राप्ति होती है । पास ही में दण्डी घाट है जहाँ श्री [[चैतन्य महाप्रभु]] ने स्नान किया था और अपने नृत्य एवं संकीर्तन से सभी को मुग्ध कर दिया था । '''आजकल इसे बंगाली घाट भी कहते हैं''' । |
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13:24, 15 अप्रैल 2010 का अवतरण
तिन्दुक तीर्थ / Tinduk Tirth
अस्ति क्षेत्रं परं गुह्म तिन्दुकं नाम क्रमत:।
तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! मम लोके महीयते ।।[1]
यह भी गुह्म तीर्थ है । यहाँ स्नान करने पर भगवद् धाम की प्राप्ति होती है । पास ही में दण्डी घाट है जहाँ श्री चैतन्य महाप्रभु ने स्नान किया था और अपने नृत्य एवं संकीर्तन से सभी को मुग्ध कर दिया था । आजकल इसे बंगाली घाट भी कहते हैं ।
टीका-टिपण्णी
- ↑ सभी–आदिवाराह पुराण