"तुम्हारी जेब में एक सूरज होता था -अजेय" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "अजेय् की रचनाएँ" to "अजेय की रचनाएँ")
पंक्ति 20: पंक्ति 20:
 
<div style="border:thin solid #a7d7f9; margin:10px">
 
<div style="border:thin solid #a7d7f9; margin:10px">
 
{|  align="center"
 
{|  align="center"
! अजेय् की रचनाएँ
+
! अजेय की रचनाएँ
 
|}
 
|}
 
<div style="height: 250px; overflow:auto; overflow-x: hidden; width:99%">
 
<div style="height: 250px; overflow:auto; overflow-x: hidden; width:99%">

06:03, 10 अप्रैल 2012 का अवतरण

तुम्हारी जेब में एक सूरज होता था -अजेय
Ajey.JPG
कवि अजेय
जन्म स्थान (सुमनम, केलंग, हिमाचल प्रदेश)
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अजेय की रचनाएँ

तुम्हारी जेबों मे टटोलने हैं मुझे
दुनिया के तमाम खज़ाने
सूखी हुई खुबानियां
भुने हुए जौ के दाने
काठ की एक चपटी कंघी और सीप की फुलियां
सूँघ सकता हूँ गन्ध एक सस्ते साबुन की
आज भी
मैं तुम्हारी छाती से चिपका
तुम्हारी देह को तापता एक छोटा बच्चा हूँ माँ
मुझे जल्दी से बड़ा हो जाने दे

मुझे कहना है धन्यवाद
एक दुबली लड़की की कातर आँखों को
मूँगफलियां छीलती गिलहरी की
नन्ही पिलपिली उंगलियों को

दो दो हाथ करने हैं मुझे
नदी की एक वनैली लहर से
आँख से आँख मिलानी है
हवा के एक शैतान झौंके से

मुझे तुम्हारी सब से भीतर वाली जेब से
चुराना है एक दहकता सूरज
और भाग कर गुम हो जाना है
तुम्हारी अँधेरी दुनिया में एक फरिश्ते की तरह
जहाँ औँधे मुँह बेसुध पड़ीं हैं
तुम्हारी अनगिनत सखियाँ
मेरे बेशुमार दोस्त खड़े हैं हाथ फैलाए

कोई खबर नहीं जिनको
कि कौन सा पहर अभी चल रहा है
और कौन गुज़र गया है अभी अभी


सौंपना है माँ
उन्हें उनका अपना सपना
लौटाना है उन्हें उनकी गुलाबी अमानत
सहेज कर रखा हुआ है
जो तुम ने बड़ी हिफाज़त से
अपनी सब से भीतर वाली जेब में !


सुमनम 05.12.2010


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख