दास प्रथा

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दास प्रथा भारत में प्राय: सभी युगों में विद्यमान रही है। यद्यपि चौथी शताब्दी ई.पू. में मेगस्थनीज ने लिखा था कि, 'भारतवर्ष में दास प्रथा नहीं है, तथापि कौटिल्य के अर्थशास्त्र तथा अशोक के अभिलेखों में प्राचीन भारत में दास प्रथा प्रचलित होने के संकेत उपलब्ध होते हैं।

  • दास प्रथा के द्वारा प्राय: ऋणग्रस्त अथवा युद्धों में बन्दी होने वाले व्यक्तियों को दास बनाया जाता था।
  • फिर भी प्राचीन भारत में यूरोप की भाँति दास प्रथा न तो व्यापक थी और न ही दासों के प्रति वैसा क्रूर व्यवहार होता था।
  • भारत में मुस्लिमों के शासन काल में दास प्रथा में वृद्धि हुई और उन्हें नपुंसक बना डालने की क्रूर प्रथा का प्रारम्भ हुआ।
  • यह प्रथा भारत में ब्रिटिश शासन स्थापित हो जाने के उपरान्त भी यथेष्ट दिनों तक चलती रही।
  • 1843 ई. में इसे बन्द करने के लिए एक अधिनियम पारित कर दिया गया था।


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