"दिल्ली के धार्मिक स्थल" के अवतरणों में अंतर
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+ | ====हिन्दू धार्मिक स्थल==== | ||
+ | *;भैरव मन्दिर | ||
+ | [[महाभारत]] काल में निर्मित यह मन्दिर पुराना क़िला के उत्तर-पूर्व में स्थित है। यहाँ निर्मित गाय के विशाल थन किसी टब के समान प्रतीत होते हैं। यहाँ भैरव के दो मन्दिर हैं, जहाँ एक जगह [[दूध]] से बने पदार्थ चढ़ाये जाते हैं। | ||
+ | *;लक्ष्मीनारायण मन्दिर (बिड़ला मन्दिर) | ||
+ | यह शहर का सबसे विख्यात [[हिन्दू]] मन्दिर है। [[कनॉट प्लेस]] के पश्चिम में स्थित यह मन्दिर 1938 में उद्योगपति राजा बल्देव बिड़ला द्वारा बनवाया गया था और [[महात्मा गांधी]] ने इसका उदघाटन किया था। यहाँ [[हिन्दू धर्म]] की सभी शाखाओं के [[दर्शन]] किये जा सकते हैं। मन्दिर के पिछले हिस्से में यज्ञशाला के साथ कृत्रिम पहाड़ी, गुफ़ाएँ, झरने आदि बनाए गए हैं। मन्दिर के साथ ही गीता भवन स्थित है, जहाँ भगवान [[श्री कृष्ण]] की विशाल प्रतिमा एवं महाभारतकालीन चित्र हैं। एक तरफ़ भगवान [[बुद्ध]] के जीवन दर्शन की झाँकी देखी जा सकती है। | ||
+ | *;झंडेवाला देवी मन्दिर | ||
+ | झंडेवाला देवी मन्दिर हज़ारों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र है। झंडेवाला देवी मन्दिर का एक प्राचीन [[इतिहास]] है, जिसकी मनमोहनी पौराणिक गाथा एक विशेष भक्त श्री बद्रीदास जी से आंरभ होती है। बद्री भगत जी इस पावन स्थान पर साधना और ध्यान मग्न होकर प्रार्थना किया करते थे। एक संध्या जब एक स्वास्थ्यवर्धक झरने के पास वह साधना में रत थे, तब उनको अनुभूति हुई कि उसी स्थान पर एक प्राचीन मन्दिर दबा हुआ है। उन्होंने निश्चित किया कि वह इस प्राचीन धरोहर का पुनरोद्धार अवश्य करेंगे। उस दिन से बद्री भगत जी ने अपना तन, मन, धन इस मन्दिर की खोज में लगा दिया। उन्होंने इस क्षेत्र की भूमि ख़रीदनी आरंभ कर दी। अंत में बहुत प्रयत्न के बाद एक स्वास्थ्यदायी झरने के पास उन्हें इस प्राचीन मन्दिर के अवशेष मिले, जिसमें माता की सदियों पुरानी चमत्कारी मूर्ति विराजमान थी। इस मन्दिर की महिमा व ख्याति सारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में फैलने लगी। आज इस मन्दिर में आने वाले हर भगत को माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बद्री भगत जी के सपनों को साकार करने में चार पीढ़ियों से उनका परिवार प्रयासरत है। उनकी इस धरोहर का उनके वंशज बद्री भगत झंडेवाला टैंपल सोसाइटी के सदस्यों के सहयोग से प्रबंधन कर रहे हैं। | ||
+ | [[चित्र:Chattarpur-Temple.jpg|thumb|250px|left|आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर, [[दिल्ली]]]] | ||
+ | *;आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर | ||
+ | {{main|आद्या कात्यायिनी मंदिर}} | ||
+ | श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर छत्तरपुर की मान्यता एवं विश्वास की बात [[नवरात्र|नवरात्रों]] के प्रतिदिन तीन से चार लाख श्रद्धालुओं का आने से लगायी जा सकती है। संत शिरोमणिपरमपूज्य श्री दुर्गाचरणनुरागी बाबा संत नागपाल जी इस मन्दिर के संस्थापक थे, जो ब्रह्मलीन हैं। मन्दिर में एक विशाल [[बरगद]] के पेड़ के तने से लाखों धागे बधें हैं। ये सब मनौतियाँ हैं, जब ये पूरी हो जाती हैं तो इन्हें खोलना होता है। यह सिलसिला अनंत है। | ||
+ | *;कालकाजी मन्दिर | ||
+ | {{Main|कालकाजी मन्दिर}} | ||
+ | चिराग दिल्ली फ़्लाई ओवर से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालका जी के इस मन्दिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। हालाँकि मन्दिर का विस्तार पिछले 50 सालों का ही है, [[चित्र:Kalkaji temple.jpg|thumb|250px|[[कालकाजी मन्दिर]]]] लेकिन मन्दिर का सबसे पुराना हिस्सा अठारहवीं शताब्दी का है। दिल्ली के व्यापारियों द्वारा यहाँ निकट ही धर्मशाला भी बनवाई गई है। [[अक्टूबर]]-[[नवम्बर]] में आयोजित वार्षिक नवरात्र महोत्सव के समय देश-विदेश से हज़ारों श्रद्धालु यहाँ आते हैं। | ||
+ | *;मां संतोषी मन्दिर | ||
+ | दो से तीन किलोमीटर लम्बी पंक्तियों में श्रद्धालुओं की कतारें लगी हुई हों और मन्दिर दूधिया रोशनी के साथ जयमाता दी के जयकारों से गूंज रहा हो तो समझ लीजिए कि आप हरी नगर स्थित जेल रोड पर माँ संतोषी के प्राचीन मन्दिर के आस-पास हैं। वर्ष में दो बार नवरात्रों का आगमन जब होता है तो हर तरफ श्रद्धा की हवा बहने लगती है। इस मन्दिर में पूजा अर्चना करने वालों का मानना है कि अगर सच्चे मन से माँ संतोषी के मंन्दिर में आकर कुछ भी मांगा जाए तो वह अवश्य मिलता है। | ||
+ | *;चांदनी चौक का शिव-गौरी मन्दिर | ||
+ | यह मन्दिर [[चांदनी चौक]] की धरोहर है। चांदनी चौक इलाके में सर्वधर्म सद्भाव की गंगा सारा साल बहती है। शिव-गौरी मन्दिर में माँ [[पार्वती]] और जगदम्बा जी के दर्शन कर पुण्य कमाने की होड़ लगी होती है। ख़ूबसूरत संगमरमरी पत्थरों से बना गौरी शंकर मन्दिर हिन्दुओं के लिए आस्था एवं उपासना का महान् केन्द्र है। | ||
+ | *;संकट हरणी मंगल करणी शक्तिपीठ | ||
+ | भक्तों द्वारा नवरात्रों में शक्तिपीठों व मंदिर में जाकर जो फ़रियाद की जाती है, वह माँ भगवती शीघ्र पूरा कराती है, इसी विश्वास का प्रतीक है शाहदरा गोरख पार्क स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मन्दिर। ब्रह्मलीन संत शिरोमणि श्री राजमाता जी महाराज के पश्चात् संत राजेश्वरानंद राज गुरु जी महाराज स्वयं को श्री राजमाता जी का नुमाइंदा मानकर शब्दों द्वारा, स्पर्श द्वारा, उचित मार्गदर्शन द्वारा दुखियों के दुखों का नाश करने हेतु मानव सेवा में तत्पर रहते हैं। | ||
+ | श्री अष्टभुजी माँ की विशाल प्रतिज्ञा के ठीक नीचे मन्दिर गर्भगृह स्थित पवित्र गुफा में श्री राजमाता जी को समाधि पर भक्त, फूल, वस्त्र, नारियल चुन्नी चढ़ाते हुए बताते हैं कि किसी को विवाह के वर्षों बाद माँ की कृपा से संतान प्राप्ति हुई, तो किसी को भीषण रोग के बाद जीवनदान मिला है। किसी को कोर्ट केस से मुक्ति, तो किसी को दरिद्रता के बाद धन-धान्य एवं किसी को अविरल भक्ति प्राप्त हुई। पूर्ण नवरात्रे जनकल्याण व विश्व शांति हेतु संत श्री राज गुरु जी महाराज गुफा में मौन साधना करते हैं। पूर्ण नवरात्रे विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान के साथ फलाहारी भंडारा चलता रहता है एवं दुर्गाष्टमी के अवसर पर शोभा यात्रा निकाली जाती है, जो शुक्र बाज़ार चौक पवित्र राज राजेश्वरी जागरण में जाकर संपन्न होती है, जहाँ महाराज जी द्वारा जयकारों की गूंज के साथ मौन व्रत संपन्न होता है। ऐसा मानना है कि जो भी नि:संतान दंपत्ति इस दिन गोद भरवा कर ले जाते हैं, माँ की कृपा से उनकी झोली शीघ्र भरती है। | ||
+ | ;दिल्ली में हिन्दुओं के अन्य मन्दिर हैं- | ||
+ | सफ़ेद संगमरमर का छतरपुर का दुर्गा मन्दिर, माँ सात मंजिला मन्दिर, 1724 में [[जयपुर]] के महाराजा जयसिंह द्वारा खड़कसिंह मार्ग पर स्थित हनुमान मन्दिर, काली बेरी का मन्दिर और जोगमाया का मन्दिर। | ||
+ | |||
+ | ====जैन धार्मिक स्थल==== | ||
+ | *;अहिंसा स्थल | ||
+ | [[कुतुबमीनार]] के पास तीन एकड़ क्षेत्र में फैला यह स्थल भव्य बगीचे के बीच भगवान [[महावीर]] की [[कमल]] में स्थित आदमकद प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। [[1980]] में स्थापित यह प्रतिमा 17 फ़ीट ऊँची एवं 50 टन वज़नी है। | ||
+ | *;दिगम्बर जैन मन्दिर | ||
+ | शाहजहाँबाद में 1656 में निर्मित यह मन्दिर भगवान आदिनाथ को समर्पित है। यह मन्दिर चेरिटी पक्षी अस्पताल के लिए भी मशहूर है। | ||
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+ | ====ईसाई धार्मिक स्थल==== | ||
+ | [[चित्र:Catholic-Church-Delhi.jpg|thumb|सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च , दिल्ली]] | ||
+ | *;सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च | ||
+ | गुरुद्वारा बंगला साहिब मार्ग के पास दिल्ली की दो प्रमुख कान्वेण्ट स्कूलों सेंट कोलम्बिया एवं कान्वेण्ट ऑफ़ जीसस एवं मैरी के मध्य में स्थित सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च है। | ||
+ | *; सेण्ट जेम्स चर्च | ||
+ | 1836 में जेम्स स्कीनर द्वारा बनाई गई सेण्ट जेम्स चर्च दिल्ली का सबसे पुराना चर्च है। पश्चिमी शैली में निर्मित यह चर्च केवल रविवार के दिन ही खुलता है। | ||
+ | *; सेण्ट थॉमस चर्च | ||
+ | दिल्ली में तीसरा चर्च सेण्ट थॉमस चर्च है। जो 1930-32 में उन ईसाईयों के लिए बनाई गई थी, जो [[धर्म]] परिवर्तन करके ईसाई बने हैं। वॉल्टर जॉर्ज नामक वास्तुशिल्पी द्वारा लाल ईटों से निर्मित यह चर्च पंचकुइयाँ मार्ग पर स्थित है। | ||
+ | ====सिक्ख धार्मिक स्थल==== | ||
+ | *; गुरुद्वारा बंगला साहिब | ||
+ | [[चित्र:Gurudwara-Bangla-Sahib-Delhi-1.jpg|thumb|250px|[[गुरुद्वारा बंगला साहिब]], [[दिल्ली]]]] | ||
+ | {{main|गुरुद्वारा बंगला साहिब}} | ||
+ | यह गुरुद्वारा गुरु हरकिशन साहिबजी की याद में बनाया गया है, जो होशियारपुर से दिल्ली छोटी माता के प्रकोप से दिल्ली वासियों को बचाने आए थे। इस परिसर में गुरु ने निवास किया था एवं यहाँ पर एक झील भी स्थित है। कहा जाता है कि इसका पानी औषधीय गुण लिए हुए है। | ||
+ | *; अन्य गुरुद्वारे हैं- | ||
+ | दमदमा साहिब गुरुद्वारा, रकाबगंज गुरुद्वारा, सीसगंज गुरुद्वारा, मजनूं का टीला गुरुद्वारा इत्यादि। | ||
+ | ====मुस्लिम धार्मिक स्थल==== | ||
+ | *;चिराग देहलवी दरगाह | ||
+ | नसीरूद्दीन मोहम्मद की याद में निर्मित इसे रौशन चिराग़ देहलवी के नाम से भी जाना जाता है। | ||
+ | *;फ़तेहपुर मस्जिद | ||
+ | सन 1650 में इसे [[शाहजहाँ]] की बीवी फ़तेहपुरी बेगम ने बनवाया था। | ||
+ | [[चित्र:Jama-Masjid-Delhi.jpg|thumb|250px|[[जामा मस्जिद दिल्ली|जामा मस्जिद]], दिल्ली|left]] | ||
+ | *;हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया | ||
+ | {{Main|निज़ामुद्दीन दरगाह}} | ||
+ | चिश्ती संतों में चौथे नम्बर के शेख़ निज़ामुद्दीन चिश्ती को समर्पित यह दरगाह मुस्लिम समाज के लिए अत्यन्त पाक स्थल है। '''हर [[गुरुवार]] शाम को देश के नामी कव्वाल यहाँ अपना हुनर दिखाते हैं तथा [[अमीर खुसरो]] की गज़लें गाते हैं।''' यहीं मुसलमानों का [[उर्स]] भी आयोजित किया जाता है। | ||
+ | *;जामा मस्जिद | ||
+ | {{Main|जामा मस्जिद दिल्ली}} | ||
+ | लाल पत्थरों से बनी यह मस्जिद [[मुग़ल काल]] में विश्व की उम्दा मस्जिदों में से एक है। 1644 में इस मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ द्वारा शुरू करवाया गया था और 1650 में यह बनकर तैयार हुई। इस पर तत्कालीन 10 लाख रुपया लागत आई। इसके बीच में एक चबूतरा है, जहाँ पर पूर्व, उत्तर एवं दक्षिण में बनी सीढ़ियों से जाया जा सकता है। | ||
+ | *;अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थल | ||
+ | खिड़की मस्जिद, मोठ की मस्जिद, सुनहरी मस्जिद, क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार ख़ाँ की दरगाह आदि। | ||
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{{दिल्ली धार्मिक स्थल सूची}} | {{दिल्ली धार्मिक स्थल सूची}} | ||
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13:58, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
दिल्ली के धार्मिक स्थल
| |
विवरण | दिल्ली में लगभग सभी धर्मों के धार्मिक स्थल हैं। |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 28°36′36, पूर्व- 77°13′48 |
मार्ग स्थिति | दिल्ली, राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और आगरा के रास्ते कोलकता से जुड़ी है। |
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा | |
पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली, हज़रत निज़ामुद्दीन | |
आई.एस.बी.टी, सराय काले ख़ाँ, आनंद विहार | |
साईकिल रिक्शा, ऑटो रिक्शा, टैक्सी, लोकल रेल, मेट्रो रेल, बस | |
क्या देखें | दिल्ली पर्यटन |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
क्या खायें | पंजाबी खाना, चाट, पराठें वाली गली के 'पराठें' |
एस.टी.डी. कोड | 011 |
सावधानी | आतंकवादी गतिविधियों से सावधान, लावारिस वस्तुओं को ना छुएं, शीत ऋतु में कोहरे से और ग्रीष्म ऋतु में लू से बचाव करें। |
गूगल मानचित्र, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा | |
संबंधित लेख | आद्या कात्यायिनी मंदिर, कालकाजी मन्दिर, जामा मस्जिद, गुरुद्वारा बंगला साहिब
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बाहरी कड़ियाँ | अधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 17:57, 7 मई 2013 (IST)
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हिन्दू धार्मिक स्थल
- भैरव मन्दिर
महाभारत काल में निर्मित यह मन्दिर पुराना क़िला के उत्तर-पूर्व में स्थित है। यहाँ निर्मित गाय के विशाल थन किसी टब के समान प्रतीत होते हैं। यहाँ भैरव के दो मन्दिर हैं, जहाँ एक जगह दूध से बने पदार्थ चढ़ाये जाते हैं।
- लक्ष्मीनारायण मन्दिर (बिड़ला मन्दिर)
यह शहर का सबसे विख्यात हिन्दू मन्दिर है। कनॉट प्लेस के पश्चिम में स्थित यह मन्दिर 1938 में उद्योगपति राजा बल्देव बिड़ला द्वारा बनवाया गया था और महात्मा गांधी ने इसका उदघाटन किया था। यहाँ हिन्दू धर्म की सभी शाखाओं के दर्शन किये जा सकते हैं। मन्दिर के पिछले हिस्से में यज्ञशाला के साथ कृत्रिम पहाड़ी, गुफ़ाएँ, झरने आदि बनाए गए हैं। मन्दिर के साथ ही गीता भवन स्थित है, जहाँ भगवान श्री कृष्ण की विशाल प्रतिमा एवं महाभारतकालीन चित्र हैं। एक तरफ़ भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन की झाँकी देखी जा सकती है।
- झंडेवाला देवी मन्दिर
झंडेवाला देवी मन्दिर हज़ारों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र है। झंडेवाला देवी मन्दिर का एक प्राचीन इतिहास है, जिसकी मनमोहनी पौराणिक गाथा एक विशेष भक्त श्री बद्रीदास जी से आंरभ होती है। बद्री भगत जी इस पावन स्थान पर साधना और ध्यान मग्न होकर प्रार्थना किया करते थे। एक संध्या जब एक स्वास्थ्यवर्धक झरने के पास वह साधना में रत थे, तब उनको अनुभूति हुई कि उसी स्थान पर एक प्राचीन मन्दिर दबा हुआ है। उन्होंने निश्चित किया कि वह इस प्राचीन धरोहर का पुनरोद्धार अवश्य करेंगे। उस दिन से बद्री भगत जी ने अपना तन, मन, धन इस मन्दिर की खोज में लगा दिया। उन्होंने इस क्षेत्र की भूमि ख़रीदनी आरंभ कर दी। अंत में बहुत प्रयत्न के बाद एक स्वास्थ्यदायी झरने के पास उन्हें इस प्राचीन मन्दिर के अवशेष मिले, जिसमें माता की सदियों पुरानी चमत्कारी मूर्ति विराजमान थी। इस मन्दिर की महिमा व ख्याति सारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में फैलने लगी। आज इस मन्दिर में आने वाले हर भगत को माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बद्री भगत जी के सपनों को साकार करने में चार पीढ़ियों से उनका परिवार प्रयासरत है। उनकी इस धरोहर का उनके वंशज बद्री भगत झंडेवाला टैंपल सोसाइटी के सदस्यों के सहयोग से प्रबंधन कर रहे हैं।
- आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर
श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर छत्तरपुर की मान्यता एवं विश्वास की बात नवरात्रों के प्रतिदिन तीन से चार लाख श्रद्धालुओं का आने से लगायी जा सकती है। संत शिरोमणिपरमपूज्य श्री दुर्गाचरणनुरागी बाबा संत नागपाल जी इस मन्दिर के संस्थापक थे, जो ब्रह्मलीन हैं। मन्दिर में एक विशाल बरगद के पेड़ के तने से लाखों धागे बधें हैं। ये सब मनौतियाँ हैं, जब ये पूरी हो जाती हैं तो इन्हें खोलना होता है। यह सिलसिला अनंत है।
- कालकाजी मन्दिर
चिराग दिल्ली फ़्लाई ओवर से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालका जी के इस मन्दिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। हालाँकि मन्दिर का विस्तार पिछले 50 सालों का ही है,
लेकिन मन्दिर का सबसे पुराना हिस्सा अठारहवीं शताब्दी का है। दिल्ली के व्यापारियों द्वारा यहाँ निकट ही धर्मशाला भी बनवाई गई है। अक्टूबर-नवम्बर में आयोजित वार्षिक नवरात्र महोत्सव के समय देश-विदेश से हज़ारों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
- मां संतोषी मन्दिर
दो से तीन किलोमीटर लम्बी पंक्तियों में श्रद्धालुओं की कतारें लगी हुई हों और मन्दिर दूधिया रोशनी के साथ जयमाता दी के जयकारों से गूंज रहा हो तो समझ लीजिए कि आप हरी नगर स्थित जेल रोड पर माँ संतोषी के प्राचीन मन्दिर के आस-पास हैं। वर्ष में दो बार नवरात्रों का आगमन जब होता है तो हर तरफ श्रद्धा की हवा बहने लगती है। इस मन्दिर में पूजा अर्चना करने वालों का मानना है कि अगर सच्चे मन से माँ संतोषी के मंन्दिर में आकर कुछ भी मांगा जाए तो वह अवश्य मिलता है।
- चांदनी चौक का शिव-गौरी मन्दिर
यह मन्दिर चांदनी चौक की धरोहर है। चांदनी चौक इलाके में सर्वधर्म सद्भाव की गंगा सारा साल बहती है। शिव-गौरी मन्दिर में माँ पार्वती और जगदम्बा जी के दर्शन कर पुण्य कमाने की होड़ लगी होती है। ख़ूबसूरत संगमरमरी पत्थरों से बना गौरी शंकर मन्दिर हिन्दुओं के लिए आस्था एवं उपासना का महान् केन्द्र है।
- संकट हरणी मंगल करणी शक्तिपीठ
भक्तों द्वारा नवरात्रों में शक्तिपीठों व मंदिर में जाकर जो फ़रियाद की जाती है, वह माँ भगवती शीघ्र पूरा कराती है, इसी विश्वास का प्रतीक है शाहदरा गोरख पार्क स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मन्दिर। ब्रह्मलीन संत शिरोमणि श्री राजमाता जी महाराज के पश्चात् संत राजेश्वरानंद राज गुरु जी महाराज स्वयं को श्री राजमाता जी का नुमाइंदा मानकर शब्दों द्वारा, स्पर्श द्वारा, उचित मार्गदर्शन द्वारा दुखियों के दुखों का नाश करने हेतु मानव सेवा में तत्पर रहते हैं। श्री अष्टभुजी माँ की विशाल प्रतिज्ञा के ठीक नीचे मन्दिर गर्भगृह स्थित पवित्र गुफा में श्री राजमाता जी को समाधि पर भक्त, फूल, वस्त्र, नारियल चुन्नी चढ़ाते हुए बताते हैं कि किसी को विवाह के वर्षों बाद माँ की कृपा से संतान प्राप्ति हुई, तो किसी को भीषण रोग के बाद जीवनदान मिला है। किसी को कोर्ट केस से मुक्ति, तो किसी को दरिद्रता के बाद धन-धान्य एवं किसी को अविरल भक्ति प्राप्त हुई। पूर्ण नवरात्रे जनकल्याण व विश्व शांति हेतु संत श्री राज गुरु जी महाराज गुफा में मौन साधना करते हैं। पूर्ण नवरात्रे विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान के साथ फलाहारी भंडारा चलता रहता है एवं दुर्गाष्टमी के अवसर पर शोभा यात्रा निकाली जाती है, जो शुक्र बाज़ार चौक पवित्र राज राजेश्वरी जागरण में जाकर संपन्न होती है, जहाँ महाराज जी द्वारा जयकारों की गूंज के साथ मौन व्रत संपन्न होता है। ऐसा मानना है कि जो भी नि:संतान दंपत्ति इस दिन गोद भरवा कर ले जाते हैं, माँ की कृपा से उनकी झोली शीघ्र भरती है।
- दिल्ली में हिन्दुओं के अन्य मन्दिर हैं-
सफ़ेद संगमरमर का छतरपुर का दुर्गा मन्दिर, माँ सात मंजिला मन्दिर, 1724 में जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वारा खड़कसिंह मार्ग पर स्थित हनुमान मन्दिर, काली बेरी का मन्दिर और जोगमाया का मन्दिर।
जैन धार्मिक स्थल
- अहिंसा स्थल
कुतुबमीनार के पास तीन एकड़ क्षेत्र में फैला यह स्थल भव्य बगीचे के बीच भगवान महावीर की कमल में स्थित आदमकद प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। 1980 में स्थापित यह प्रतिमा 17 फ़ीट ऊँची एवं 50 टन वज़नी है।
- दिगम्बर जैन मन्दिर
शाहजहाँबाद में 1656 में निर्मित यह मन्दिर भगवान आदिनाथ को समर्पित है। यह मन्दिर चेरिटी पक्षी अस्पताल के लिए भी मशहूर है।
ईसाई धार्मिक स्थल
- सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च
गुरुद्वारा बंगला साहिब मार्ग के पास दिल्ली की दो प्रमुख कान्वेण्ट स्कूलों सेंट कोलम्बिया एवं कान्वेण्ट ऑफ़ जीसस एवं मैरी के मध्य में स्थित सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च है।
- सेण्ट जेम्स चर्च
1836 में जेम्स स्कीनर द्वारा बनाई गई सेण्ट जेम्स चर्च दिल्ली का सबसे पुराना चर्च है। पश्चिमी शैली में निर्मित यह चर्च केवल रविवार के दिन ही खुलता है।
- सेण्ट थॉमस चर्च
दिल्ली में तीसरा चर्च सेण्ट थॉमस चर्च है। जो 1930-32 में उन ईसाईयों के लिए बनाई गई थी, जो धर्म परिवर्तन करके ईसाई बने हैं। वॉल्टर जॉर्ज नामक वास्तुशिल्पी द्वारा लाल ईटों से निर्मित यह चर्च पंचकुइयाँ मार्ग पर स्थित है।
सिक्ख धार्मिक स्थल
- गुरुद्वारा बंगला साहिब
यह गुरुद्वारा गुरु हरकिशन साहिबजी की याद में बनाया गया है, जो होशियारपुर से दिल्ली छोटी माता के प्रकोप से दिल्ली वासियों को बचाने आए थे। इस परिसर में गुरु ने निवास किया था एवं यहाँ पर एक झील भी स्थित है। कहा जाता है कि इसका पानी औषधीय गुण लिए हुए है।
- अन्य गुरुद्वारे हैं-
दमदमा साहिब गुरुद्वारा, रकाबगंज गुरुद्वारा, सीसगंज गुरुद्वारा, मजनूं का टीला गुरुद्वारा इत्यादि।
मुस्लिम धार्मिक स्थल
- चिराग देहलवी दरगाह
नसीरूद्दीन मोहम्मद की याद में निर्मित इसे रौशन चिराग़ देहलवी के नाम से भी जाना जाता है।
- फ़तेहपुर मस्जिद
सन 1650 में इसे शाहजहाँ की बीवी फ़तेहपुरी बेगम ने बनवाया था।
- हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया
चिश्ती संतों में चौथे नम्बर के शेख़ निज़ामुद्दीन चिश्ती को समर्पित यह दरगाह मुस्लिम समाज के लिए अत्यन्त पाक स्थल है। हर गुरुवार शाम को देश के नामी कव्वाल यहाँ अपना हुनर दिखाते हैं तथा अमीर खुसरो की गज़लें गाते हैं। यहीं मुसलमानों का उर्स भी आयोजित किया जाता है।
- जामा मस्जिद
लाल पत्थरों से बनी यह मस्जिद मुग़ल काल में विश्व की उम्दा मस्जिदों में से एक है। 1644 में इस मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ द्वारा शुरू करवाया गया था और 1650 में यह बनकर तैयार हुई। इस पर तत्कालीन 10 लाख रुपया लागत आई। इसके बीच में एक चबूतरा है, जहाँ पर पूर्व, उत्तर एवं दक्षिण में बनी सीढ़ियों से जाया जा सकता है।
- अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थल
खिड़की मस्जिद, मोठ की मस्जिद, सुनहरी मस्जिद, क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार ख़ाँ की दरगाह आदि।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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