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भैंस के दूध में प्रति ग्राम 0.65 मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। भैंस के दूध में गाय के दूध की तुलना में 92 फीसदी कैल्शियम, 37 फीसदी आयरन और 118 फीसदी फॉस्फोरस ज़्यादा होता है। भैंस के दूध में कार्बोहाइड्रेट लेक्टेज की मात्रा 4.9% तथा वसा की मात्रा 7% होती है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/4621954.cms |title=दूध के बारे में सबकुछ... |accessmonthday=24 जनवरी |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
भैंस के दूध में प्रति ग्राम 0.65 मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। भैंस के दूध में गाय के दूध की तुलना में 92 फीसदी कैल्शियम, 37 फीसदी आयरन और 118 फीसदी फॉस्फोरस ज़्यादा होता है। भैंस के दूध में कार्बोहाइड्रेट लेक्टेज की मात्रा 4.9% तथा वसा की मात्रा 7% होती है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/4621954.cms |title=दूध के बारे में सबकुछ... |accessmonthday=24 जनवरी |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
==विशिष्ट दूध==
 
==विशिष्ट दूध==
;टोंड दुग्ध  
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====टोंड दुग्ध====
 
भैंस के दूध में पानी मिलाकर वसा तथा वसा रहित ठोस पदार्थों की मात्रा कम कर दिया जाता है तथा इसमें पुनः सप्रेटा दूध मिलाकर वसा रहित ठोस पदार्थों को शुद्ध दूध के बराबर कर दिया जाता है। इस प्रकार बने दूध को टोंड मिल्क कहते हैं।  
 
भैंस के दूध में पानी मिलाकर वसा तथा वसा रहित ठोस पदार्थों की मात्रा कम कर दिया जाता है तथा इसमें पुनः सप्रेटा दूध मिलाकर वसा रहित ठोस पदार्थों को शुद्ध दूध के बराबर कर दिया जाता है। इस प्रकार बने दूध को टोंड मिल्क कहते हैं।  
;डबल टोंड दुग्ध
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====डबल टोंड दुग्ध====
 
यह भी एक प्रकार का टोंड मिल्क ही है लेकिन इसमें वसा की मात्रा 1.5% तथा वसा रहित ठोस पदार्थ की मात्रा 10% होती है। इसमें सप्रेटा दूध की जगह सप्रेटा दूध चूर्ण का प्रयोग किया जाता है।  
 
यह भी एक प्रकार का टोंड मिल्क ही है लेकिन इसमें वसा की मात्रा 1.5% तथा वसा रहित ठोस पदार्थ की मात्रा 10% होती है। इसमें सप्रेटा दूध की जगह सप्रेटा दूध चूर्ण का प्रयोग किया जाता है।  
;फ्लेवर्ड दुग्ध
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====फ्लेवर्ड दुग्ध====
 
इसमें पाश्चुरीकृत दूध में थोड़ा मीठा एवं सुगन्ध फ्लेवर्ड दूध का निर्माण किया जाता है, तत्पश्चात् इसे बोतलों में भरकर इसे बाज़ार में बेचा जाता है। इसका पोषक मान पाश्चुरीकृत दूध से ज़्यादा होता है क्योंकि इसमें चीनी एवं सुगन्ध दोनों अलग से मिलाया जाता है।  
 
इसमें पाश्चुरीकृत दूध में थोड़ा मीठा एवं सुगन्ध फ्लेवर्ड दूध का निर्माण किया जाता है, तत्पश्चात् इसे बोतलों में भरकर इसे बाज़ार में बेचा जाता है। इसका पोषक मान पाश्चुरीकृत दूध से ज़्यादा होता है क्योंकि इसमें चीनी एवं सुगन्ध दोनों अलग से मिलाया जाता है।  
;प्रबलीकृत या विटामिन युक्त दुग्ध
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====प्रबलीकृत या विटामिन युक्त दुग्ध====
 
दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थों में [[विटामिन]]-डी की मात्रा मिलाकर इसकी [[पोषण]] महत्ता अधिक की जाती है। कुछ देशों में शुद्ध दूध की जगह सप्रेटा दूध ही बच्चों को पीने को मिलता है। ऐसी दशा में बच्चों के शरीर में विटामिन ए की भारी कमी हो जाती है। सप्रेटा दूध में विटामिन ए एवं डी मिलाकर इसकी गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। इस प्रकार विटामिनयुक्त दूध को प्रबलीकृत दूध कहते हैं।  
 
दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थों में [[विटामिन]]-डी की मात्रा मिलाकर इसकी [[पोषण]] महत्ता अधिक की जाती है। कुछ देशों में शुद्ध दूध की जगह सप्रेटा दूध ही बच्चों को पीने को मिलता है। ऐसी दशा में बच्चों के शरीर में विटामिन ए की भारी कमी हो जाती है। सप्रेटा दूध में विटामिन ए एवं डी मिलाकर इसकी गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। इस प्रकार विटामिनयुक्त दूध को प्रबलीकृत दूध कहते हैं।  
;सोयाबीन दूध  
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====सोयाबीन दूध==== 
 
सोयाबीन से बने दूध को सोयाबीन दूध कहते हैं। सोयाबीन [[प्रोटीन]] का अच्छा एवं सस्ता स्त्रोत है। फलतः सोयाबीन के दूध में भी प्रोटीन की मात्रा काफ़ी होती है। यह दूध पौष्टिकता से परिपूर्ण होता है।  
 
सोयाबीन से बने दूध को सोयाबीन दूध कहते हैं। सोयाबीन [[प्रोटीन]] का अच्छा एवं सस्ता स्त्रोत है। फलतः सोयाबीन के दूध में भी प्रोटीन की मात्रा काफ़ी होती है। यह दूध पौष्टिकता से परिपूर्ण होता है।  
;संघनित दूध  
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====संघनित दूध==== 
 
संघनित अथवा वाष्पित वह दूध है जिससे [[जल]] का कुछ भाग वाष्पीकरण के द्वारा अलग कर दिया जाता है। जब इसमें चीनी मिला दी जाती है तब इसे संघनित दूध कहते हैं। यदि चीनी न मिलाई जाय तो उसे वाष्पित दूध या सादा संघनित दूध कहते हैं।  
 
संघनित अथवा वाष्पित वह दूध है जिससे [[जल]] का कुछ भाग वाष्पीकरण के द्वारा अलग कर दिया जाता है। जब इसमें चीनी मिला दी जाती है तब इसे संघनित दूध कहते हैं। यदि चीनी न मिलाई जाय तो उसे वाष्पित दूध या सादा संघनित दूध कहते हैं।  
 
==दूध का उपयोग==
 
==दूध का उपयोग==
 
दूध का सबसे अच्छा उपयोग पीना है। दूध हमेशा ताजा पीना चाहिए। दूध को 15-20 मिनट अच्छी तरह उबाल कर तथा ठंडा करके पीना चाहिए। दूध उबालने से उसके सभी हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। दूध पीने का सबसे अच्छा समय रात को सोते समय रहता है। भोजन करने के 2-3 घंटे बाद रात को सोते समय दूध पीना चाहिए, जो व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर हो, उन्हें दूध ठंडा करके शहद डालकर पीना चाहिए। जिन व्यक्तियों को कब्ज की शिकायत रहती हों, उन्हें दूध में मुनक्का डालकर कुछ देर उबालकर पीना चाहिए, इससे कब्ज से छुटकारा मिलता है। जाड़े के दिनों में एक गिलास दूध में एक-दो अंजीर डालकर उबालकर पीने से दूध की पौष्टिकता में वृद्धि हो जाती है। <ref name="ra"></ref>
 
दूध का सबसे अच्छा उपयोग पीना है। दूध हमेशा ताजा पीना चाहिए। दूध को 15-20 मिनट अच्छी तरह उबाल कर तथा ठंडा करके पीना चाहिए। दूध उबालने से उसके सभी हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। दूध पीने का सबसे अच्छा समय रात को सोते समय रहता है। भोजन करने के 2-3 घंटे बाद रात को सोते समय दूध पीना चाहिए, जो व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर हो, उन्हें दूध ठंडा करके शहद डालकर पीना चाहिए। जिन व्यक्तियों को कब्ज की शिकायत रहती हों, उन्हें दूध में मुनक्का डालकर कुछ देर उबालकर पीना चाहिए, इससे कब्ज से छुटकारा मिलता है। जाड़े के दिनों में एक गिलास दूध में एक-दो अंजीर डालकर उबालकर पीने से दूध की पौष्टिकता में वृद्धि हो जाती है। <ref name="ra"></ref>
 
==दुग्ध संसाधन==  
 
==दुग्ध संसाधन==  
;पास्तुरीकरण  
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====पास्तुरीकरण==== 
 
यह वह प्रक्रिया है जिसमें दूध को निश्चित तापक्रम पर एक निश्चित निश्चित समय तक रखकर इसमें उपस्थित प्रायः सभी जीवाणुओं को नष्ट कर दिया जाता है। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि दूध की [[पोषण]] महत्ता तथा क्रीम लेयर पर कोई प्रभाव न पड़े। इस प्रक्रिया में सामान्य तौर पर दूध को 600°C पर 20 मिनट तक रखा जाय तो उसके सभी व्याधिजन जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। यह विधि इसके खोजकर्ता लुई पाश्चर के नाम पर जानी जाती है।  
 
यह वह प्रक्रिया है जिसमें दूध को निश्चित तापक्रम पर एक निश्चित निश्चित समय तक रखकर इसमें उपस्थित प्रायः सभी जीवाणुओं को नष्ट कर दिया जाता है। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि दूध की [[पोषण]] महत्ता तथा क्रीम लेयर पर कोई प्रभाव न पड़े। इस प्रक्रिया में सामान्य तौर पर दूध को 600°C पर 20 मिनट तक रखा जाय तो उसके सभी व्याधिजन जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। यह विधि इसके खोजकर्ता लुई पाश्चर के नाम पर जानी जाती है।  
;निर्जीवीकरण
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====निर्जीवीकरण====
 
निर्जीवीकरण का तात्पर्य दूध को गर्म करके [[जीवाणु]] रहित करना है। इसके लिए दूध को 30 मिनट तक 93.3°C - 94.40°C तापक्रम पर रखते हैं। यद्यपि इसमें दूध पूर्णतया निर्जवीकृत तो नहीं हो पाता फिर भी जीवाणुओं की मात्रा कम हो जाती है। इससे दूध को लम्बे समय तक संग्रहित कर रखा जा सकता है।  
 
निर्जीवीकरण का तात्पर्य दूध को गर्म करके [[जीवाणु]] रहित करना है। इसके लिए दूध को 30 मिनट तक 93.3°C - 94.40°C तापक्रम पर रखते हैं। यद्यपि इसमें दूध पूर्णतया निर्जवीकृत तो नहीं हो पाता फिर भी जीवाणुओं की मात्रा कम हो जाती है। इससे दूध को लम्बे समय तक संग्रहित कर रखा जा सकता है।  
;समांगीकरण  
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====समांगीकरण==== 
 
इस विधि में दूध की [[वसा]] गोलिकाओं को छोटे-छोटे कणों में खण्डित कर दिया जाता है। ताकि दूध को संग्रह करते समय उसके ऊपर क्रीम लेयर के रूप में एकत्रित न हों सकें और सारे दूध में समान रूप से बिखरे रह सकें। इसके लिए पहले दूध को 37.70°C से 480°C ताप पर गर्म करने के बाद इसका तापक्रम 600°C से 650°C कर दिया जाता है और इस ताप पर इसको समांगीकरण यंत्र द्वारा 2000 से 2500 पौण्ड प्रति वर्ग इंच का दबाव डालते हैं। इस दूध को पुनः 1/10000 इंच के छिद्र से बाहर निकालते हैं फलतः वसा गोलिकाएँ छोटे-छोटे कणों में विभक्त हो जाती हैं।  
 
इस विधि में दूध की [[वसा]] गोलिकाओं को छोटे-छोटे कणों में खण्डित कर दिया जाता है। ताकि दूध को संग्रह करते समय उसके ऊपर क्रीम लेयर के रूप में एकत्रित न हों सकें और सारे दूध में समान रूप से बिखरे रह सकें। इसके लिए पहले दूध को 37.70°C से 480°C ताप पर गर्म करने के बाद इसका तापक्रम 600°C से 650°C कर दिया जाता है और इस ताप पर इसको समांगीकरण यंत्र द्वारा 2000 से 2500 पौण्ड प्रति वर्ग इंच का दबाव डालते हैं। इस दूध को पुनः 1/10000 इंच के छिद्र से बाहर निकालते हैं फलतः वसा गोलिकाएँ छोटे-छोटे कणों में विभक्त हो जाती हैं।  
 
==दुग्ध उत्पाद==  
 
==दुग्ध उत्पाद==  
;क्रीम
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====क्रीम====
 
यह एक प्रकार का दूध होता है जिसमें वसा की मात्रा बढ़ जाती है तथा पानी की मात्रा कम हो जाती है। क्रीम में वसा का कोई निर्धारित स्तर नहीं होता है फिर भी बाज़ार में बेचे जाने वाले क्रीम में वसा की मात्रा 45% से अधिक होती है। क्रीम का [[रंग]] अधिक पीला होता है। इसका कारण क्रीम में वसा की अधिकता होना है। वसा में [[विटामिन]] ए, जो कैरोटिन से प्राप्त होता है पूर्णतः घुलनशील होता है इसलिए कैरोटिन एवं जैंथोफिल के कारण क्रीम का रंग [[पीला रंग|पीला]] होता है। क्रीम को सामान्य तौर पर [[गुरुत्व|गुरुत्वाकर्षण]] विधि अथवा अपकेन्द्री विधि से दूध से निकाला जाता है।
 
यह एक प्रकार का दूध होता है जिसमें वसा की मात्रा बढ़ जाती है तथा पानी की मात्रा कम हो जाती है। क्रीम में वसा का कोई निर्धारित स्तर नहीं होता है फिर भी बाज़ार में बेचे जाने वाले क्रीम में वसा की मात्रा 45% से अधिक होती है। क्रीम का [[रंग]] अधिक पीला होता है। इसका कारण क्रीम में वसा की अधिकता होना है। वसा में [[विटामिन]] ए, जो कैरोटिन से प्राप्त होता है पूर्णतः घुलनशील होता है इसलिए कैरोटिन एवं जैंथोफिल के कारण क्रीम का रंग [[पीला रंग|पीला]] होता है। क्रीम को सामान्य तौर पर [[गुरुत्व|गुरुत्वाकर्षण]] विधि अथवा अपकेन्द्री विधि से दूध से निकाला जाता है।
;मक्खन  
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====मक्खन==== 
 
मक्खन भी एक प्रकार का दुग्ध उत्पाद है जो [[गाय]]- भैंस तथा अन्य स्तनधारी पशुओं के दूध या क्रीम को मथने से प्राप्त होता है। इसमें वसा 80% से कम और 20% से अधिक अन्य पदार्थ जैसे-पानी, नमक तथा अन्नानाटोरंजक नहीं होनी चाहिए। साथ ही पानी की मात्रा 16% से अधिक नहीं होनी चाहिए।  
 
मक्खन भी एक प्रकार का दुग्ध उत्पाद है जो [[गाय]]- भैंस तथा अन्य स्तनधारी पशुओं के दूध या क्रीम को मथने से प्राप्त होता है। इसमें वसा 80% से कम और 20% से अधिक अन्य पदार्थ जैसे-पानी, नमक तथा अन्नानाटोरंजक नहीं होनी चाहिए। साथ ही पानी की मात्रा 16% से अधिक नहीं होनी चाहिए।  
  

11:03, 18 मार्च 2011 का अवतरण

गिलास में दूध
  • दूध एक अपारदर्शी सफ़ेद पेय पदार्थ है जो मादाओं के दुग्ध ग्रन्थियों द्वारा बनता है। नवजात शिशु तब तक दूध पर निर्भर रहता है जब तक वह अन्य पदार्थों का सेवन करने में अक्षम होता है।
  • दूध एक विजातीय पदार्थ है जिसमें वसा, प्रोटीन, दुग्धम, खनिज पदार्थ तथा अन्य अवयव या तो घोल या निलम्बन या पायस के रूप में सदैव द्रव अवस्था में पाए जाते हैं।
  • साधारणतया दूध में 85 प्रतिशत जल होता है और शेष भाग में ठोस तत्त्व यानी खनिजवसा होता है। गाय-भैंस के अलावा बाज़ार में विभिन्न कंपनियों का पैक्ड दूध भी उपलब्ध होता है।
  • दूध प्रोटीन, कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (विटामिन बी -2) युक्त होता है, इनके अलावा इसमें विटामिन ए, डी, के और ई सहित फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन व कई खनिज और वसा तथा ऊर्जा भी होती है। इसके अलावा इसमें कई एंजाइम भी होते हैं। आहार विशेषज्ञों की मानें तो ये सब पोषक तत्व हमारी मांसपेशियों और हड्डियों के गठन में अहम भूमिका निभाते हैं। प्रोटीन एंटीबॉडीज के रूप में काम करता है और हमें इन्फेक्शन से बचाता है।
  • दूध में न्यूनतम वसा 3.5 प्रतिशत और वसा रहित ठोस 8.5 प्रतिशत होनी चाहिये। दूध का PH मान 6.6 तथा क्वथनांक 100 से 115 से.ग्रे. होता है।

मुख्य अवयव और भौतिक गुण

दूध के विभिन्न विश्लेषणों से पता चलता है कि इसमें वसा, प्रोटीन, खनिज लवण, दुग्धम आदि मुख्य अवयव हैं। इन अवयवों की मात्रा विभिन्न पशुओं तथा एक ही पशु में विभिन्न समयों पर भिन्न-भिन्न होता है।

दूध के भौतिक गुण
गुण दूध
स्वाद मीठा
सुगन्ध सामान्य
अम्लता 0.12 से 0.14 %
हिमांक -0.52 °C से -0.56 °C
क्लोराइडस 0.14 %
वर्तनांक 1.344 - 1.348
आपेक्षिक घनत्व 1.028 से 1.032
विद्युत संचालकता 0.005 म्हो
गाढ़ापन 1.5 से 2.0 सेंटी पाइस
  • घी अथवा दूध का पीला रंग कैरोटिन के कारण होता है।
  • शुद्ध देशी घी में एक विशेष प्रकार की सुगन्ध डाइएसीटिल के कारण होती है।
  • दूध में केसीन, एलब्यूमिन तथा ग्लोबिन, तीन प्रमुख प्रकार के प्रोटीन पाये जाते हैं। इसमें केसीन की मात्रा सबसे अधिक होती है।
  • केसीन प्रोटीन से 'लेनीटाल' या लेक्टोफिल तथा एरालोक नाम के धागे बनाये जाते हैं।
  • दुग्धम दूध में पाया जाने वाला मुख्य कार्बोहाइड्रेट है।

पौष्टिक आहार

दूध प्रकृति का सबसे पौष्टिक आहार है। इसलिए इसे धरती का अमृत भी कहते हैं। मनुष्य के लिए दूध सर्वोत्तम और संपूर्ण खाद्य पदार्थ है। दूध मनुष्य की अधिकांश पोषण आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। दूध वह आहार है जो स्तनपायी प्राणियों को जन्म लेते ही सबसे पहले उपलब्ध होता है। मानव शिशु तो प्रारंभिक 5-6 माह तक एवं बाद में कुछ माह तक आंशिक रूप से माता के दूध पर ही निर्भर रहता है। यह निश्चित है कि स्वस्थ मां का दूध पीने वाला बालक जितना स्वस्थ, सुडौल और हष्ट-पुष्ट रहता है, उतना खाना (भोजन) शुरू करने के बाद नहीं रह पाता। दूध एक ऐसा पेय पदार्थ जो आसानी से पच जाता है। दूध में शारीरिक वृद्धि करने वाले, शरीर को शक्ति देने वाले सभी तत्त्व विद्यामान रहते हैं। दूध शक्ति, वृद्धि, कान्ति, बल, वीर्य बढ़ाने वाला होता है। यह शरीर को ठंडक देते हुए मल को प्रवृत्त करता है व पाचन को ठीक बनाए रखने में सहायक होता है। दूध आयु बढ़ाकर यौवन को अधिक काल तक बनाए रखता है। दूध में शरीर को शक्ति देने वाले सभी तत्व काफी मात्रा में पा जाते हैं। शाकाहारियों के लिए दूध से बढ़कर कोई पौष्टिक वस्तु नहीं है। यदि मांसाहारी एक कप दूध पिए तो दोनों की शक्ति समान होती है। दूध में कैल्शियम एवं फास्फोरस काफी मात्रा में पाए जाते हैं। इससे हड्डियां, दांत, मांसपेशियां मजबूत होती हैं। मनुष्य सिर्फ दूध पीकर जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक आनंदपूर्वक जीवन निर्वाह कर सकता है। इसके सेवन से किसी प्रकार के रोग होने की संभावना नहीं रहती है। दूध में मनुष्य शरीर के पोषक तत्व उचित मात्रा में विद्यामान रहते हैं। दूध की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एक पूर्ण पुष्टिकारक आहार होते हुए भी बहुत जल्दी हजम हो जाता है। दूध किसी भी हालत में नुकसान नहीं करता। हर हालत में गुणकारी होता है।[1]

गाय का दूध

गाय के दूध में प्रति ग्राम 3.14 मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। योगाचार्य सुरक्षित गोस्वामी गाय के ताजा दूध को ही उत्तम मानते हैं। अनेकानेक चिकत्सकों का भी मानना है कि गाय का दूध भैंस की तुलना में दिमाग के लिए अच्छा है, पर इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. एच. एस. छाबड़ा के अनुसार कुछ स्टडी बताती हैं कि गाय के दूध से बेहतर है भैंस का दूध। उसमें कम कोलेस्ट्रॉल होता है और मिनरल ज़्यादा होते हैं। गाय के दूध में कार्बोहाइड्रेट लेक्टेज की मात्रा 4% तथा वसा की मात्रा 4.5% होती है।

भैंस का दूध

दूध दुहती महिला

भैंस के दूध में प्रति ग्राम 0.65 मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। भैंस के दूध में गाय के दूध की तुलना में 92 फीसदी कैल्शियम, 37 फीसदी आयरन और 118 फीसदी फॉस्फोरस ज़्यादा होता है। भैंस के दूध में कार्बोहाइड्रेट लेक्टेज की मात्रा 4.9% तथा वसा की मात्रा 7% होती है।[2]

विशिष्ट दूध

टोंड दुग्ध

भैंस के दूध में पानी मिलाकर वसा तथा वसा रहित ठोस पदार्थों की मात्रा कम कर दिया जाता है तथा इसमें पुनः सप्रेटा दूध मिलाकर वसा रहित ठोस पदार्थों को शुद्ध दूध के बराबर कर दिया जाता है। इस प्रकार बने दूध को टोंड मिल्क कहते हैं।

डबल टोंड दुग्ध

यह भी एक प्रकार का टोंड मिल्क ही है लेकिन इसमें वसा की मात्रा 1.5% तथा वसा रहित ठोस पदार्थ की मात्रा 10% होती है। इसमें सप्रेटा दूध की जगह सप्रेटा दूध चूर्ण का प्रयोग किया जाता है।

फ्लेवर्ड दुग्ध

इसमें पाश्चुरीकृत दूध में थोड़ा मीठा एवं सुगन्ध फ्लेवर्ड दूध का निर्माण किया जाता है, तत्पश्चात् इसे बोतलों में भरकर इसे बाज़ार में बेचा जाता है। इसका पोषक मान पाश्चुरीकृत दूध से ज़्यादा होता है क्योंकि इसमें चीनी एवं सुगन्ध दोनों अलग से मिलाया जाता है।

प्रबलीकृत या विटामिन युक्त दुग्ध

दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थों में विटामिन-डी की मात्रा मिलाकर इसकी पोषण महत्ता अधिक की जाती है। कुछ देशों में शुद्ध दूध की जगह सप्रेटा दूध ही बच्चों को पीने को मिलता है। ऐसी दशा में बच्चों के शरीर में विटामिन ए की भारी कमी हो जाती है। सप्रेटा दूध में विटामिन ए एवं डी मिलाकर इसकी गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। इस प्रकार विटामिनयुक्त दूध को प्रबलीकृत दूध कहते हैं।

सोयाबीन दूध

सोयाबीन से बने दूध को सोयाबीन दूध कहते हैं। सोयाबीन प्रोटीन का अच्छा एवं सस्ता स्त्रोत है। फलतः सोयाबीन के दूध में भी प्रोटीन की मात्रा काफ़ी होती है। यह दूध पौष्टिकता से परिपूर्ण होता है।

संघनित दूध

संघनित अथवा वाष्पित वह दूध है जिससे जल का कुछ भाग वाष्पीकरण के द्वारा अलग कर दिया जाता है। जब इसमें चीनी मिला दी जाती है तब इसे संघनित दूध कहते हैं। यदि चीनी न मिलाई जाय तो उसे वाष्पित दूध या सादा संघनित दूध कहते हैं।

दूध का उपयोग

दूध का सबसे अच्छा उपयोग पीना है। दूध हमेशा ताजा पीना चाहिए। दूध को 15-20 मिनट अच्छी तरह उबाल कर तथा ठंडा करके पीना चाहिए। दूध उबालने से उसके सभी हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। दूध पीने का सबसे अच्छा समय रात को सोते समय रहता है। भोजन करने के 2-3 घंटे बाद रात को सोते समय दूध पीना चाहिए, जो व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर हो, उन्हें दूध ठंडा करके शहद डालकर पीना चाहिए। जिन व्यक्तियों को कब्ज की शिकायत रहती हों, उन्हें दूध में मुनक्का डालकर कुछ देर उबालकर पीना चाहिए, इससे कब्ज से छुटकारा मिलता है। जाड़े के दिनों में एक गिलास दूध में एक-दो अंजीर डालकर उबालकर पीने से दूध की पौष्टिकता में वृद्धि हो जाती है। [1]

दुग्ध संसाधन

पास्तुरीकरण

यह वह प्रक्रिया है जिसमें दूध को निश्चित तापक्रम पर एक निश्चित निश्चित समय तक रखकर इसमें उपस्थित प्रायः सभी जीवाणुओं को नष्ट कर दिया जाता है। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि दूध की पोषण महत्ता तथा क्रीम लेयर पर कोई प्रभाव न पड़े। इस प्रक्रिया में सामान्य तौर पर दूध को 600°C पर 20 मिनट तक रखा जाय तो उसके सभी व्याधिजन जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। यह विधि इसके खोजकर्ता लुई पाश्चर के नाम पर जानी जाती है।

निर्जीवीकरण

निर्जीवीकरण का तात्पर्य दूध को गर्म करके जीवाणु रहित करना है। इसके लिए दूध को 30 मिनट तक 93.3°C - 94.40°C तापक्रम पर रखते हैं। यद्यपि इसमें दूध पूर्णतया निर्जवीकृत तो नहीं हो पाता फिर भी जीवाणुओं की मात्रा कम हो जाती है। इससे दूध को लम्बे समय तक संग्रहित कर रखा जा सकता है।

समांगीकरण

इस विधि में दूध की वसा गोलिकाओं को छोटे-छोटे कणों में खण्डित कर दिया जाता है। ताकि दूध को संग्रह करते समय उसके ऊपर क्रीम लेयर के रूप में एकत्रित न हों सकें और सारे दूध में समान रूप से बिखरे रह सकें। इसके लिए पहले दूध को 37.70°C से 480°C ताप पर गर्म करने के बाद इसका तापक्रम 600°C से 650°C कर दिया जाता है और इस ताप पर इसको समांगीकरण यंत्र द्वारा 2000 से 2500 पौण्ड प्रति वर्ग इंच का दबाव डालते हैं। इस दूध को पुनः 1/10000 इंच के छिद्र से बाहर निकालते हैं फलतः वसा गोलिकाएँ छोटे-छोटे कणों में विभक्त हो जाती हैं।

दुग्ध उत्पाद

क्रीम

यह एक प्रकार का दूध होता है जिसमें वसा की मात्रा बढ़ जाती है तथा पानी की मात्रा कम हो जाती है। क्रीम में वसा का कोई निर्धारित स्तर नहीं होता है फिर भी बाज़ार में बेचे जाने वाले क्रीम में वसा की मात्रा 45% से अधिक होती है। क्रीम का रंग अधिक पीला होता है। इसका कारण क्रीम में वसा की अधिकता होना है। वसा में विटामिन ए, जो कैरोटिन से प्राप्त होता है पूर्णतः घुलनशील होता है इसलिए कैरोटिन एवं जैंथोफिल के कारण क्रीम का रंग पीला होता है। क्रीम को सामान्य तौर पर गुरुत्वाकर्षण विधि अथवा अपकेन्द्री विधि से दूध से निकाला जाता है।

मक्खन

मक्खन भी एक प्रकार का दुग्ध उत्पाद है जो गाय- भैंस तथा अन्य स्तनधारी पशुओं के दूध या क्रीम को मथने से प्राप्त होता है। इसमें वसा 80% से कम और 20% से अधिक अन्य पदार्थ जैसे-पानी, नमक तथा अन्नानाटोरंजक नहीं होनी चाहिए। साथ ही पानी की मात्रा 16% से अधिक नहीं होनी चाहिए।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 दूध एक पौष्टिक आहार (हिन्दी) (पी.एच.पी) रांची एक्सप्रेस। अभिगमन तिथि: 13 मार्च, 2011
  2. दूध के बारे में सबकुछ... (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 जनवरी, 2011।