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|हिन्दी=झुककर आदरपूर्ण किया गया अभिवादन, प्रणाम, '''नमस्कार''' कर लेना-छोड़ देना जैसे- अब उसने राजनीति को '''नमस्कार''' कर लिया है।
 
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|व्याकरण=पुल्लिंग
 
|व्याकरण=पुल्लिंग
|उदाहरण=[[हिन्दूधर्म]] के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में माता-[[पिता]], पूर्वजों को नमस्कार या प्रणाम करना हमारा कर्तव्य है।
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|उदाहरण=[[हिन्दूधर्म]] के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में माता-[[पिता]], पूर्वजों को '''नमस्कार''' या प्रणाम करना हमारा कर्तव्य है।
 
|विशेष='''नमस्कार''' मन, वचन और शरीर से हो सकता है। शारीरिक '''नमस्कार''' के 6 भेद हैं-
 
|विशेष='''नमस्कार''' मन, वचन और शरीर से हो सकता है। शारीरिक '''नमस्कार''' के 6 भेद हैं-
 
#केवल सिर झुकाना।  
 
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नमस्यति (ना. घा. पर.) '''नमस्कार''' करना, श्रद्धांजलि अर्पित करना, पूजा करना-<ref>भर्तृहरिशतककत्रयम् 2/14</ref>।
 
नमस्यति (ना. घा. पर.) '''नमस्कार''' करना, श्रद्धांजलि अर्पित करना, पूजा करना-<ref>भर्तृहरिशतककत्रयम् 2/14</ref>।
 
नमस्य [नमस्+यत्] अभिवादन प्राप्त करने का अधिकारी, सम्मानित, आदरणीय, वन्दनीय, आदरयुक्त, विनीत,-स्या पूजा, अर्चना, श्रद्धा, भक्ति।
 
नमस्य [नमस्+यत्] अभिवादन प्राप्त करने का अधिकारी, सम्मानित, आदरणीय, वन्दनीय, आदरयुक्त, विनीत,-स्या पूजा, अर्चना, श्रद्धा, भक्ति।
नमस् [नम्+असुन्] प्राम्ति, अभिवादन, प्रणाम, पूजा (यह शब्द स्वयं सदैव संप्र. के साथ प्रयुक्त होता है, तस्मै वदान्यगुरवे तरवे नमोऽस्तु-<ref>भामिनी विलास 1/14</ref>, नमस्त्रिमूर्तये तुभ्यम् कु. 2/4, परन्तु ‘कृ’ के योग में कर्म. के साथ मुनित्रयं नमस्कृत्य-सिद्धा., परन्तु कभी-कभी सं प्र. के साथ भी-नमस्कुर्मों नृसिंहाय-सिद्धा., यह शब्द संज्ञा शब्द का अर्थ रखता परन्तु समझा जाता है अव्य.) । सम.-कारः,-कृतिः (स्त्री.)-कारणम् प्रणति, सादर प्रणाम, सादर अभिवादन (‘नमस्’ शब्द के उच्चारण के साथ),-कृत (वि.), जिसे प्रणति दी गई है, जिसको प्रणाम किया गया है, सम्मानित, अर्चित, पूजित,-गुरुः आध्यात्मिक गुरु,-वाकम् (अव्य.) ‘नमस्’ शब्द का उच्चारण करना, अर्थात् विनम्र अभिवादन करना-इदं कविभ्यः पूर्वेभ्यो नमो-वाकं प्रशास्महे-<ref>उत्तर रामचरित 1/1।</ref>
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नमस् [नम्+असुन्] प्राम्ति, अभिवादन, प्रणाम, पूजा (यह शब्द स्वयं सदैव सम्प्रदान कारक के साथ प्रयुक्त होता है, तस्मै वदान्यगुरवे तरवे नमोऽस्तु-<ref>भामिनी विलास 1/14</ref>, नमस्त्रिमूर्तये तुभ्यम् कु. 2/4, परन्तु ‘कृ’ के योग में कर्मकारक के साथ मुनित्रयं नमस्कृत्य-सिद्धा., परन्तु कभी-कभी सं प्र. के साथ भी-नमस्कुर्मों नृसिंहाय-सिद्धा., यह शब्द संज्ञा शब्द का अर्थ रखता परन्तु समझा जाता है)। समस्त पद -कारः,-कृतिः (स्त्रीलिंग)-कारणम् प्रणति, सादर प्रणाम, सादर अभिवादन (‘नमस्’ शब्द के उच्चारण के साथ),-कृत ([[विशेषण]]), जिसे प्रणति दी गई है, जिसको प्रणाम किया गया है, सम्मानित, अर्चित, पूजित,-गुरुः आध्यात्मिक गुरु,-वाकम् ‘नमस्’ शब्द का उच्चारण करना, अर्थात् विनम्र अभिवादन करना-इदं कविभ्यः पूर्वेभ्यो नमो-वाकं प्रशास्महे-<ref>उत्तर रामचरित 1/1।</ref>
 
|अन्य ग्रंथ=
 
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|असमिया=नमस्कार
 
|असमिया=नमस्कार

06:28, 24 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

हिन्दी झुककर आदरपूर्ण किया गया अभिवादन, प्रणाम, नमस्कार कर लेना-छोड़ देना जैसे- अब उसने राजनीति को नमस्कार कर लिया है।
-व्याकरण    पुल्लिंग
-उदाहरण  
(शब्द प्रयोग)  
हिन्दूधर्म के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में माता-पिता, पूर्वजों को नमस्कार या प्रणाम करना हमारा कर्तव्य है।
-विशेष    नमस्कार मन, वचन और शरीर से हो सकता है। शारीरिक नमस्कार के 6 भेद हैं-
  1. केवल सिर झुकाना।
  2. केवल हाथ जोड़ना।
  3. सिर झुकाना और हाथ जोड़ना।
  4. हाथ जोड़ना और दोनों घुटने झुकाना।
  5. हाथ जोड़ना, दोनों घुटने झुकाना और सिर झुकाना।
  6. दंडवत प्रणाम जिसमें आठ अंग (दो हाथ, दो घुटने, दो पैर, माथा और वक्ष) पृथ्वी से लगते हैं। और जिसे ‘साष्टांग प्रणाम’ भी कहा जाता है।
-विलोम  
-पर्यायवाची    अभिवंदना, आवंदन, नमन, नमस्ते, नमामि, नमोनमः, वंदन, वंदे।
संस्कृत नमत [नम्+अतच्] विनीत, झुका हुआ, विनत

नमनम् [नम्+ल्यूट्] विनीत होना, झुकना, नम्र होना, विनति, नमस्कार, अभिवादन। नमस्यति (ना. घा. पर.) नमस्कार करना, श्रद्धांजलि अर्पित करना, पूजा करना-[1]। नमस्य [नमस्+यत्] अभिवादन प्राप्त करने का अधिकारी, सम्मानित, आदरणीय, वन्दनीय, आदरयुक्त, विनीत,-स्या पूजा, अर्चना, श्रद्धा, भक्ति। नमस् [नम्+असुन्] प्राम्ति, अभिवादन, प्रणाम, पूजा (यह शब्द स्वयं सदैव सम्प्रदान कारक के साथ प्रयुक्त होता है, तस्मै वदान्यगुरवे तरवे नमोऽस्तु-[2], नमस्त्रिमूर्तये तुभ्यम् कु. 2/4, परन्तु ‘कृ’ के योग में कर्मकारक के साथ मुनित्रयं नमस्कृत्य-सिद्धा., परन्तु कभी-कभी सं प्र. के साथ भी-नमस्कुर्मों नृसिंहाय-सिद्धा., यह शब्द संज्ञा शब्द का अर्थ रखता परन्तु समझा जाता है)। समस्त पद -कारः,-कृतिः (स्त्रीलिंग)-कारणम् प्रणति, सादर प्रणाम, सादर अभिवादन (‘नमस्’ शब्द के उच्चारण के साथ),-कृत (विशेषण), जिसे प्रणति दी गई है, जिसको प्रणाम किया गया है, सम्मानित, अर्चित, पूजित,-गुरुः आध्यात्मिक गुरु,-वाकम् ‘नमस्’ शब्द का उच्चारण करना, अर्थात् विनम्र अभिवादन करना-इदं कविभ्यः पूर्वेभ्यो नमो-वाकं प्रशास्महे-[3]

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संबंधित शब्द
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अन्य भाषाओं मे
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शब्द नमस्कार नमस्कार तस्लीम (आदाब) नमस्कार नमसकार नमस्कार, अभिवादन
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शब्द तलै वणंगुदल्, वणक्-कम् नमसकारमु नमसकार नमस्कार
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शब्द नमस्कार, अभिवादन नमस्कारं नमस्कारु Greeting, Respectful salutation, Honour

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भर्तृहरिशतककत्रयम् 2/14
  2. भामिनी विलास 1/14
  3. उत्तर रामचरित 1/1।