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{शीत युद्ध का अर्थ है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-115,प्रश्न-30
 
|type="()"}
 
-शीतकाल में लड़ा जाने वाला युद्ध
 
+महाशक्तियों के बीच तनावपूर्ण संबंध
 
-दो पड़ोसी राष्ट्रों के मध्य वैमनस्य
 
-सियाचिन में लड़ा जाने वाला युद्ध
 
||शीत युद्ध का अर्थ है- 'अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में दो विरोधी महाशक्तियों के बीच तनावपूर्ण संबंध'। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के काल में 'शीतयुद्ध' शब्द का प्रयोग उन भारी तनावपूर्ण संबंध का वर्णन करने के लिए किया जाता रहा जो [[सोवियत संघ]] तथा [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] के बीच धीरे-धीरे विकसित हुए थे।
 
 
{निम्नलिखित में से किसने [[भारत]] में कलेक्टर के पद का सृजन किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-19
 
|type="()"}
 
-[[डलहौजी]]
 
-[[लार्ड कर्जन|कर्जन]]
 
+[[वारेन हेस्टिंग्स]]
 
-[[लार्ड रिपन |रिपन]]
 
||[[भारत]] में कलेक्टर पद का सृजन वर्ष 1772 में वारेन हेस्टिंग्स ने किया था। भारत में जिला प्रशासन ब्रिटिश राज की देन है।
 
  
 
{[[संसद]] में '[[शून्य काल]]' का क्या अर्थ है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-140,प्रश्न-20
 
{[[संसद]] में '[[शून्य काल]]' का क्या अर्थ है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-140,प्रश्न-20
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-कार्य स्थगन प्रस्ताव हेतु  निर्धारित समय
 
-कार्य स्थगन प्रस्ताव हेतु  निर्धारित समय
 
||'[[शून्यकाल|शून्य काल]]'- विशिष्ट भारतीय संसदीय व्यवहार है। प्रश्न काल और सभापटल पर पत्र रखे जाने के तत्काल पश्चात तथा किसी सूचीबद्ध कार्य को सभा द्वारा शुरू करने के पहले का लोकप्रिय नाम 'शून्य काल' है। चूंकि यह मध्याह्न 12 बजे शुरू होता है इसीलिए इसे शून्य काल कहते हैं। संसदीय प्रक्रिया में शून्य काल शब्द को औपचारिक मान्यता प्राप्त नहीं है। शून्य काल में किसी मामले को उठाने के लिए सदस्य प्रतिदिन पूर्वाह्न 10.00 से पूर्व अध्यक्ष को सूचना देते हैं। किसी मामले को उठाने या न उठाने की अनुमति या मामलों के क्रम का निर्णय अध्यक्ष पर निर्भर करता है। वर्तमान में शून्य काल के दौरान 20 मामले उठाए जाने की अनुमति है।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[शून्य काल]]
 
||'[[शून्यकाल|शून्य काल]]'- विशिष्ट भारतीय संसदीय व्यवहार है। प्रश्न काल और सभापटल पर पत्र रखे जाने के तत्काल पश्चात तथा किसी सूचीबद्ध कार्य को सभा द्वारा शुरू करने के पहले का लोकप्रिय नाम 'शून्य काल' है। चूंकि यह मध्याह्न 12 बजे शुरू होता है इसीलिए इसे शून्य काल कहते हैं। संसदीय प्रक्रिया में शून्य काल शब्द को औपचारिक मान्यता प्राप्त नहीं है। शून्य काल में किसी मामले को उठाने के लिए सदस्य प्रतिदिन पूर्वाह्न 10.00 से पूर्व अध्यक्ष को सूचना देते हैं। किसी मामले को उठाने या न उठाने की अनुमति या मामलों के क्रम का निर्णय अध्यक्ष पर निर्भर करता है। वर्तमान में शून्य काल के दौरान 20 मामले उठाए जाने की अनुमति है।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[शून्य काल]]
 
{संविधान समीक्षा हेतु बनाई गई नवीनतम समिति के अध्यक्ष कौन थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-152,प्रश्न-90
 
|type="()"}
 
-जस्टिस नानावती
 
+जस्टिस वेंकटचलैया
 
-जस्टिस पाठक
 
-जस्टिस खरे
 
||देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम. एन. वेंकटचलैया की अध्यक्षता में 22 फरवरी, 2000 को संविधान समीक्षा हेतु नवीनतम समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने मार्च, 2002 में अपनी रिपोर्ट तत्कालीन केंद्रीय सरकार को सौंप दी।
 
 
{संविधान निर्मात्री परिषद के वैधानिक परामर्शदाता थे- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-161,प्रश्न-146
 
|type="()"}
 
-[[भीमराव अंबेडकर|डॉ. भीमराव अंबेडकर]]
 
-[[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]
 
+बी.एन. राव
 
-[[सरदार बल्लभ भाई पटेल|सरदार बल्लभभाई पटेल]]
 
||संविधान निर्मात्री परिषद (संविधान सभा) के वैधानिक परामर्शदाता (सांविधानिक सलाहकार) बी.एन. राव ने ही [[संविधान]] का पहला प्रारूप तैयार किया था, जिस पर विचार एवं परिवर्तन करके प्रारूप समिति द्वारा संविधान सभा के समक्ष संविधान का मसौदा प्रस्तुत किया गया।
 
 
{संघीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-174,प्रश्न-211
 
|type="()"}
 
-केंद्रीय गृहमंत्री
 
-[[संसद]]
 
+[[राष्ट्रपति]]
 
-[[प्रधानमंत्री]]
 
||अनुच्छेद 316 (1) के अनुसार, [[संघ लोक सेवा आयोग]] के [[अध्यक्ष]] और अन्य सदस्यों की नियुक्ति [[राष्ट्रपति]] द्वारा की जाती है। [[आयोग]] के किसी भी सदस्य की सेवा शर्तों में उसकी नियुक्ति के उपरांत अलाभकारी परिवर्तन नहीं किए जा सकते हैं।
 
  
 
{इंट्रोडक्शन टू दी स्टडी ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के लेखक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-203,प्रश्न-21
 
{इंट्रोडक्शन टू दी स्टडी ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के लेखक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-203,प्रश्न-21
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||'इंट्रोडक्शन टू दी स्टडी ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन' पुस्तक के लेखक एल.डी. व्हाइट हैं। यह पुस्तक उनके मृत्यु वर्ष 1958 में प्रकाशित हुई जो उनके सहयोगी जीन शिंडर (Jean Schneider) द्वारा प्रकाशित हुई।  
 
||'इंट्रोडक्शन टू दी स्टडी ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन' पुस्तक के लेखक एल.डी. व्हाइट हैं। यह पुस्तक उनके मृत्यु वर्ष 1958 में प्रकाशित हुई जो उनके सहयोगी जीन शिंडर (Jean Schneider) द्वारा प्रकाशित हुई।  
  
{निम्नलिखित में से किसने [[सर्वोच्च न्यायालय]] को कांग्रेस का तृतीय सदन कहा था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-196,प्रश्न-24
+
{किसी प्रांत के [[राज्यपाल]] को- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-183,प्रश्न-262
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 +
-कोई विवेकाधिकार नहीं है।
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-बहुत व्यापक विवेकाधिकार है।
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+कुछ निश्चित मामलों में विवेकाधिकार (वेशेषाधिकार) है।
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-उपर्युक्त में से कोई नहीं हैं।
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||किसी प्रांत के [[राज्यपाल]] को कुछ निश्चित मामलों में विवेकाधिकार (विशेषाधिकार) प्राप्त होते हैं।
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{[[भारत]] में [[लोक सभा]] के प्रथम अध्यक्ष कौन थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-140,प्रश्न-23
 
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+लास्की
+
+[[जी.वी. भावलंकर]]
-जेफरसन
+
-ए.एस. अय्यंगार
-जैक्सन
+
-हुकुम सिंह
-लिंटन
+
-[[नीलम संजीव रेड्डी]]
||[[अमेरिका]] में न्यायिक सर्वोच्चता के सिद्धांत को अपनाया गया है जिससे वहां [[सर्वोच्च न्यायालय]] को काफी विस्तृत शक्तियां प्रदान की गई है। विधि की उचित प्रक्रिया के आधार पर उसे न्यायिक पुनरावलोकन की विस्तृत शक्ति प्राप्त है जिसके द्वारा वह कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के द्वारा बनाए गए कानूनों का परीक्षण कर सकता है। इसी संदर्भ में लास्की ने इसे 'कांग्रेस का तृतीय सदन' कहा है। इसके अलावा लास्की इसे तृतीय सदन या सुपर चेम्बर की भी संज्ञा देते हैं। ज्ञातव्य है कि लास्की [[ब्रिटेन]] के प्रमुख राजनीतिक सिद्धांतकार, अर्थशास्त्री तथा प्रवक्ता थे। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार है- अथॉरिटी इन मॉडर्न स्टेट, ए ग्रामर ऑफ़ पॉलिटिक्स, लिबर्टी इन मॉडर्न स्टेट तथा दि अमेरिकन प्रेसीडेंसी।
+
||[[26 जनवरी]], 1950 को [[भारत का संविधान]] लागू हुआ। वर्ष 1951-1952 के दौरान नए संविधान के अंतर्गत प्रथम आम चुनाव संपन्न हुआ। तत्पश्चात गठित प्रथम [[लोक सभा अध्यक्ष|लोक सभा के अध्यक्ष]] के रूप में [[जी.वी. मावलंकर]] को चुना गया तथा वे अपनी मृत्यु 27 फरवरी, 1956 तक इस पद पर रहे।
  
{फ्रांसीसी और अमेरिकी क्रांतियों ने किस अवधारणा का समर्थन किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-115,प्रश्न-32
+
{[[सर्वोच्च न्यायालय]] के न्यायाधीशों को पद शपथ किसके द्वारा दिलाई जाती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-152,प्रश्न-91
 
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|type="()"}
+प्राकृतिक अधिकार
+
+[[राष्ट्रपति]]
-वैधिक अधिकार
+
-[[उपराष्ट्रपति]]
-संवैधानिक अधिकार
+
-[[लोक सभा अध्यक्ष|लोक सभा के अध्यक्ष]]
-[[बाइबिल]] में उल्लिखित अधिकार
+
-कानून मंत्री
||फ्रांसीसी और अमेरिकी क्रांतियां, दोनों ही ऐसे विचारों एवं आदर्शों की उपज थीं जिन्होंने प्राकृतिक तथा समानता के अधिकारों के आधार पर देश तथा समाज की उन्नति की मांग की थी।
+
||भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 (6) के अनुसार, [[उच्चतम न्यायालय]] का न्यायधीश होने के लिए नियुक्त प्रत्येक व्यक्ति, अपना पद ग्रहण करने के पहले [[राष्ट्रपति]] था उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त व्यक्ति के समक्ष शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा।
  
{[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] कब स्थापित हुआ था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-24
+
{भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में संविधान संशोधन प्रक्रिया उल्लिखित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-162,प्रश्न-147
 
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-24 अगस्त, 1943 को
+
-352
-24 अगस्त, 1945 को
+
+368
-24 अगस्त, 1949 को
+
-370
+24 अक्टूबर, 1945 को
+
-382
||[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र अधिकार-पत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई। इसकी संरचना में सुरक्षा परिषद वाले सबसे शक्तिशाली देश ([[संयुक्त राज्य अमेरिका]], [[फ्रांस]], [[रूस]] और [[ब्रिटेन]]) द्वितीय विश्व युद्ध में बहुत अहम देश थे। वर्तमान में 193 देश इसके सदस्य हैं। इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क (संयुक्त राज्य अमेरिका) में है।
+
||अनुच्छेद 368 (1) [[संसद]] को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान करता है। अनुच्छेद 368 यह कहता है कि इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी, संसद अपनी संविधायी शक्ति का प्रयोग करते हुए, इस संविधान के किसी उपबंध का परिवर्द्धन, परिवर्तन या निरसन के रूप में इस अनुच्छेद में उल्लिखित प्रक्रिया के अनुसार संशोधन कर सकेगी।
  
{'कंफेशन' नामक पुस्तक के रचियता कौन हैं- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-32
+
{भारतीय संविधान को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है?
 
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|type="()"}
-लॉक
+
-तीसरी अनुसूची
-मॉन्टेस्क्यू
+
+चौथी अनुसूची
+रूसो
+
-पांचवीं अनुसूची
-लेनिन
+
-छठीं अनुसूची
||कन्फेशन रूसो की पुस्तक है।
+
||[[भारतीय संविधान]] की चौथी अनुसूची [[राज्य सभा]] में स्थानों के आवंटन से संबंधित है।
  
  

12:57, 12 मार्च 2018 का अवतरण

1 {संसद में 'शून्य काल' का क्या अर्थ है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-140,प्रश्न-20

प्रश्नकाल एवं अन्य कार्यों में प्रारंभ होने के समय के बीच की अवधि
सरकारी पक्ष को प्रदत्त समय जिसमें वह सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर देता है
संसद के एक अधिवेशन और आगामी अधिवेशन के बीच का समय
कार्य स्थगन प्रस्ताव हेतु निर्धारित समय

2 इंट्रोडक्शन टू दी स्टडी ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के लेखक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-203,प्रश्न-21

एल.डी. व्हाइट
डब्लू.एफ. विलोबी
हेनरी फेयोल
ऊरविक

3 किसी प्रांत के राज्यपाल को- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-183,प्रश्न-262

कोई विवेकाधिकार नहीं है।
बहुत व्यापक विवेकाधिकार है।
कुछ निश्चित मामलों में विवेकाधिकार (वेशेषाधिकार) है।
उपर्युक्त में से कोई नहीं हैं।

4 भारत में लोक सभा के प्रथम अध्यक्ष कौन थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-140,प्रश्न-23

जी.वी. भावलंकर
ए.एस. अय्यंगार
हुकुम सिंह
नीलम संजीव रेड्डी

5 सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पद शपथ किसके द्वारा दिलाई जाती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-152,प्रश्न-91

राष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति
लोक सभा के अध्यक्ष
कानून मंत्री

6 भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में संविधान संशोधन प्रक्रिया उल्लिखित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-162,प्रश्न-147

352
368
370
382

7 भारतीय संविधान को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है?

तीसरी अनुसूची
चौथी अनुसूची
पांचवीं अनुसूची
छठीं अनुसूची