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-भू-राजस्व कर | -भू-राजस्व कर | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
+ | ||[[चोल साम्राज्य]] का अभ्युदय नौवीं शताब्दी में हुआ और दक्षिण प्राय:द्वीप का अधिकांश भाग इसके अधिकार में था। चोल शासकों ने [[श्रीलंका]] पर भी विजय प्राप्त कर ली थी और मालदीव द्वीपों पर भी इनका अधिकार था। कुछ समय तक इनका प्रभाव कलिंग और तुंगभद्र दोआब पर भी छाया था। इनके पास शक्तिशाली नौसेना थी और ये दक्षिण पूर्वी एशिया में अपना प्रभाव क़ायम करने में सफल हो सके।{{point}}'''अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चोल साम्राज्य]] | ||
{एक [[पाल वंश|पाल]] राजा को दीर्घकाल तक कलचुरि कर्ण के साथ युद्धरत रहना पड़ा। बौद्ध आचार्य श्रीज्ञान की मध्यस्थता से दोनों में शांति स्थापित हुई, वह राजा था: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-247,प्रश्न-1168 | {एक [[पाल वंश|पाल]] राजा को दीर्घकाल तक कलचुरि कर्ण के साथ युद्धरत रहना पड़ा। बौद्ध आचार्य श्रीज्ञान की मध्यस्थता से दोनों में शांति स्थापित हुई, वह राजा था: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-247,प्रश्न-1168 | ||
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-[[देवपाल]] | -[[देवपाल]] | ||
-[[धर्मपाल]] | -[[धर्मपाल]] | ||
+ | ||[[नयपाल]] [[बिहार]] और [[बंगाल]] के [[पाल वंश]] के शासक महीपाल का पुत्र और उत्तराधिकारी था। वह पाल वंश का दसवाँ शासक था, और उसने लगभग 1038 से 1055 ई. तक राज्य किया था। उसके राज्य काल में दीर्घकाल तक कलचुरियों से संघर्ष चलता रहा।{{point}}'''अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नयपाल]] | ||
− | {[[बुद्ध]] के | + | {[[बुद्ध]] के प्रवचनों का संकलप प्रसिद्ध [[धम्मपद]] निम्नलिखित में से किस [[ग्रंथ]] का अंग है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-202,प्रश्न-485 |
|type="()"} | |type="()"} | ||
+सत्तुपिटक | +सत्तुपिटक | ||
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-[[अभिधम्मपिटक]] | -[[अभिधम्मपिटक]] | ||
-[[दीघनिकाय]] | -[[दीघनिकाय]] | ||
+ | ||[[धम्मपद]] बौद्ध साहित्य का सर्वोत्कृष्ट लोकप्रिय ग्रंथ है। इसमें बुद्ध भगवान के नैतिक उपदेशों का संग्रह है। धम्मपद एक पालि शब्द है, जिसका अर्थ है- "सिद्धांत के शब्द" या "सत्य का मार्ग"।{{point}}'''अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[धम्मपद]] | ||
{निम्नलिखित में से किनका [[अशोक के अभिलेख|अशोक के अभिलेखों]] में उल्लेख हुआ है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-212,प्रश्न-653 | {निम्नलिखित में से किनका [[अशोक के अभिलेख|अशोक के अभिलेखों]] में उल्लेख हुआ है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-212,प्रश्न-653 | ||
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-पांड्य, सतियपुत्र, आंध्र एवं चेर | -पांड्य, सतियपुत्र, आंध्र एवं चेर | ||
-[[चोल]], [[पांड्य राजवंश|पांड्य]], भोज एवं आंध्र | -[[चोल]], [[पांड्य राजवंश|पांड्य]], भोज एवं आंध्र | ||
+ | ||मौर्य सम्राट [[अशोक]] के इतिहास की सम्पूर्ण जानकारी उसके अभिलेखों से मिलती है। यह माना जाता है कि, अशोक को अभिलेखों की प्रेरणा ईरान के शासक 'डेरियस' से मिली थी। अशोक के लगभग 40 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। ये ब्राह्मी, खरोष्ठी और आर्मेइक- ग्रीक लिपियों में लिखे गये हैं।{{point}}'''अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक के अभिलेख]] | ||
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12:04, 10 नवम्बर 2017 का अवतरण
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