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*मुमुक्षु, जिसमें मुक्ति की चेतना जागृत हो, किन्तु उसके योग्य अभी नहीं है।  
 
*मुमुक्षु, जिसमें मुक्ति की चेतना जागृत हो, किन्तु उसके योग्य अभी नहीं है।  
 
*भक्त अथवा केवली, जो मात्र ईश्वर की उपासना में ही लीन हो, पवित्र हृदय हो और जो भक्ति गुण के कारण मुक्ति के मार्ग पर चल रहा हो और  *मुक्त, जो भगवन-पद को प्राप्त कर चुका हो।
 
*भक्त अथवा केवली, जो मात्र ईश्वर की उपासना में ही लीन हो, पवित्र हृदय हो और जो भक्ति गुण के कारण मुक्ति के मार्ग पर चल रहा हो और  *मुक्त, जो भगवन-पद को प्राप्त कर चुका हो।
 
(पुस्तक 'हिन्दू धर्मकोश') पृष्ठ संख्या-463
 
 
  
  
 
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08:25, 15 दिसम्बर 2010 का अवतरण

  • भक्त भक्तिमार्ग के सिद्धान्तानुसार भक्त उसे कहा जाता है, जिसने ईश्वर के भजन में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया हो। साधारण आत्माओं को चार भागों में विभक्त किया गया है|
  • बद्ध, जो इस जीवन की समस्याओं से बँधा है|
  • मुमुक्षु, जिसमें मुक्ति की चेतना जागृत हो, किन्तु उसके योग्य अभी नहीं है।
  • भक्त अथवा केवली, जो मात्र ईश्वर की उपासना में ही लीन हो, पवित्र हृदय हो और जो भक्ति गुण के कारण मुक्ति के मार्ग पर चल रहा हो और *मुक्त, जो भगवन-पद को प्राप्त कर चुका हो।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ