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10:17, 12 नवम्बर 2012 के समय का अवतरण
कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी एक बहुत ही सयाना कौआ अपने तीन बच्चों को दुनियादारी की ट्रेनिंग देते हुए गूढ़-ज्ञान की बातें बता रहा था। "सुनो ध्यान से! भगवान ने हमको ही सबसे ज़्यादा चालाक बनाया हो ऐसा नहीं है। असल में दूसरी तरह के कौए हमसे भी ज़्यादा चालाक हैं और हमको चैन से खाने-पीने और जीने नहीं देते। हमारी जान इसीलिए बची हुई है कि हमने जान बचाने की आदत डाल रखी है। इन ख़तरनाक कौऔं से बचने के लिए एक बहुत ज़रूरी आदत तुमको डालनी ही होगी। हमेशा-हमेशा याद रखो! अगर इस दुनिया में सरवाइव करना है तो जान बचाने की आदत डाल लेनी चाहिए, तो जान बचाने के लिए... " ये क़िस्सा तो यहीं ख़त्म होता है लेकिन एक सवाल पैदा होता है कि कोई आदत कितने वक़्त में पड़ जाती है? तो जवाब है '23 दिन'। ये इस क्षेत्र के विद्वानों का अध्ययन है कि 23 दिनों तक लगातार कोई कार्य, किसी समय विशेष पर करते रहें तो 24 वें दिन ठीक उसी समय बेचैनी शुरू हो जाती है और उस कार्य को करने के बाद ही ख़त्म होती है। हमारी 'बॉडी क्लॉक' 23 दिन में प्रशिक्षित हो कर उस कार्य की 'फ़ाइल' को आदत वाले 'फ़ोल्डर' में डाल देती है और 'अलार्म' भी लगा देती है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ