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==राजनैतिक जीवन==
 
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वह नरम विचार के नेताओं का समय था। भूपेंद्र नाथ बोस की गणना उनमें प्रमुख रूप से की जाती थी। उनका महत्त्व इसी से प्रकट है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने [[1914]] में अपना मद्रास अधिवेशन का उन्हें अध्यक्ष बनाया था। परंतु ज्यों-ज्यों [[कांग्रेस]] संघर्ष की दिशा में आगे बढ़ने लगी, भूपेंद्र नाथ बोस उससे हटकर [[ब्रिटिश सरकार]] के निकट चले गए।  
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वह नरम विचार के नेताओं का समय था। भूपेंद्र नाथ बोस की गणना उनमें प्रमुख रूप से की जाती थी। उनका महत्त्व इसी से प्रकट है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने [[1914]] में मद्रास अधिवेशन का उन्हें अध्यक्ष बनाया था। परंतु ज्यों-ज्यों [[कांग्रेस]] संघर्ष की दिशा में आगे बढ़ने लगी, भूपेंद्र नाथ बोस उससे हटकर [[ब्रिटिश सरकार]] के निकट चले गए।  
 
==अन्य सरकारी पद==
 
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इसके बाद भूपेंद्र नाथ बोस का पूरा जीवन विभिन्न सरकारी पदों पर ही बीता। [[1917]] में भारत मंत्री की कौंसिल के सदस्य नामजद होकर वे [[इंग्लैंड]] गए। [[1923]] में उन्हें [[बंगाल]] के गर्वनर की कौंसिल का सदस्य बनाया गया।  
 
इसके बाद भूपेंद्र नाथ बोस का पूरा जीवन विभिन्न सरकारी पदों पर ही बीता। [[1917]] में भारत मंत्री की कौंसिल के सदस्य नामजद होकर वे [[इंग्लैंड]] गए। [[1923]] में उन्हें [[बंगाल]] के गर्वनर की कौंसिल का सदस्य बनाया गया।  

10:15, 24 जनवरी 2017 का अवतरण

भूपेंद्र नाथ बोस
भूपेंद्र नाथ बोस
पूरा नाम भूपेंद्र नाथ बोस
जन्म 1859
जन्म भूमि बंगाल
मृत्यु 1924
मृत्यु स्थान कोलकाता
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनेता
पार्टी कांग्रेस
शिक्षा एम.ए.
विद्यालय प्रेसीडेंसी कॉलेज
अन्य जानकारी भूपेंद्र नाथ बोस 1904 से 1910 तक बंगाल लेजिस्लेचर के सदस्य रहे तथा बंगाल प्रदेश राजनीतिक सम्मेलन की भी उन्होंने अध्यक्षता की।
अद्यतन‎ 04:31, 17 जनवरी-2017 (IST)

भूपेंद्र नाथ बोस (अंग्रेज़ी: Bhupendra Nath Bose, जन्म- 1859, बंगाल; मृत्यु- 1924, कोलकाता) भारतीय राजनीतिज्ञ थे और 1914 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे। वे कोलकाता कॉरपोरेशन में म्युनिसिपल कमिश्नर थे।[1]

जन्म एवं परिचय

भूपेंद्र नाथ बोस का जन्म 1859 ई. में कृष्णा नगर बंगाल में हुआ था। उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने एम.ए. और कानून की शिक्षा कोलकाता से पूरी की। आरंभ में भूपेंद्र नाथ ने सार्वजनिक कार्यों में रुचि ली। भूपेंद्र नाथ उदार विचारों के व्यक्ति थे। शिक्षा, नारी उत्थान, अस्पृश्यता निवारण आदि कार्यों में उन्होंने सहयोग दिया। भूपेंद्र नाथ यथासंभव सरकार का समर्थन करने के पक्षपाती थे। साथ ही यह भी कहते थे कि "अनिवार्य होने पर हमें विरोध के लिए भी तत्पर रहना चाहिए।" 1904 से 1910 तक भूपेंद्र नाथ बंगाल लेजिस्लेचर के सदस्य रहे। बंग-भंग के विरोध में जो आंदोलन चला उसके वे समर्थक थे। बंगाल प्रदेश राजनीतिक सम्मेलन की भी उन्होंने अध्यक्षता की।

राजनैतिक जीवन

वह नरम विचार के नेताओं का समय था। भूपेंद्र नाथ बोस की गणना उनमें प्रमुख रूप से की जाती थी। उनका महत्त्व इसी से प्रकट है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1914 में मद्रास अधिवेशन का उन्हें अध्यक्ष बनाया था। परंतु ज्यों-ज्यों कांग्रेस संघर्ष की दिशा में आगे बढ़ने लगी, भूपेंद्र नाथ बोस उससे हटकर ब्रिटिश सरकार के निकट चले गए।

अन्य सरकारी पद

इसके बाद भूपेंद्र नाथ बोस का पूरा जीवन विभिन्न सरकारी पदों पर ही बीता। 1917 में भारत मंत्री की कौंसिल के सदस्य नामजद होकर वे इंग्लैंड गए। 1923 में उन्हें बंगाल के गर्वनर की कौंसिल का सदस्य बनाया गया।

निधन

भूपेंद्र नाथ बोस 1924 में कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति थे, तभी उनका देहांत हो गया।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 580 |

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