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*भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पांच देश हमेशा गिने जाते हैं- | *भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पांच देश हमेशा गिने जाते हैं- | ||
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*ऐतिहासिक रूप से मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इस पर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था, लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, [[उज़बेक]], [[किरगीज़|किरगिज़]] और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई। इसलिए इसे कभी-कभी 'तुर्किस्तान' भी बुलाया जाता है। | *ऐतिहासिक रूप से मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इस पर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था, लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, [[उज़बेक]], [[किरगीज़|किरगिज़]] और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई। इसलिए इसे कभी-कभी 'तुर्किस्तान' भी बुलाया जाता है। | ||
*19वीं सदी के बाद मध्य एशिया के बड़े हिस्से पर पहले रूसी साम्राज्य और फिर सोवियत संघ का राज रहा, जो दोनों स्लावी-बहुसंख्यक थे। इस से बहुत से रूसी और यूक्रेनी लोग भी यहाँ पर आ बसे। | *19वीं सदी के बाद मध्य एशिया के बड़े हिस्से पर पहले रूसी साम्राज्य और फिर सोवियत संघ का राज रहा, जो दोनों स्लावी-बहुसंख्यक थे। इस से बहुत से रूसी और यूक्रेनी लोग भी यहाँ पर आ बसे। |
11:31, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
मध्य एशिया पृथ्वी पर एशिया महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता था। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे।
- भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पांच देश हमेशा गिने जाते हैं-
- कज़ाकिस्तान
- किरगिज़स्तान
- ताजिकिस्तान
- तुर्कमेनिस्तान
- उज़बेकिस्तान
- उपरोक्त देशों के अतिरिक्त मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है।
- मध्य एशिया का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है, हालांकि तियान शान जैसी पर्वत श्रृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं।
- ऐतिहासिक रूप से मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इस पर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था, लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई। इसलिए इसे कभी-कभी 'तुर्किस्तान' भी बुलाया जाता है।
- 19वीं सदी के बाद मध्य एशिया के बड़े हिस्से पर पहले रूसी साम्राज्य और फिर सोवियत संघ का राज रहा, जो दोनों स्लावी-बहुसंख्यक थे। इस से बहुत से रूसी और यूक्रेनी लोग भी यहाँ पर आ बसे।
- 1990 के दशक में सोवियत संघ के टूटने पर यहाँ के देश आज़ाद राष्ट्रों के रूप में उभरे।
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