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*सृष्टि की आयु का अनुमान लगाने के लिये चार [[युग|युगों]] [[सत युग]], [[त्रेता युग]], [[द्वापर युग]] और [[कलि युग]] का एक 'महायुग' माना जाता है ।  
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<font color="#993300">'''अन्य सम्बंधित लिंक'''</font>
 
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*[[दिवस]]
 
*[[मास]]
 
*[[वर्ष]]
 
*[[नक्षत्र ]]
 
*[[संवत]]
 
*[[मन्वन्तर]]
 
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'''मन्वंतर / Manvantar'''<br />
 
*सृष्टि की आयु का अनुमान लगाने के लिये चार [[युग|युगों]]  
 
#[[सत युग]],
 
#[[त्रेता युग]],
 
#[[द्वापर युग]],और  
 
#[[कलि युग]] का एक 'महायुग' माना जाता है ।  
 
 
*71 महायुग मिलकर एक 'मन्वंतर' बनाता है।
 
*71 महायुग मिलकर एक 'मन्वंतर' बनाता है।
*महायुग की अवधि 43 लाख 20 हजार वर्ष मानी गई है।  
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*महायुग की अवधि 43 लाख 20 हज़ार वर्ष मानी गई है।  
 
*14 मन्वंतरों का एक '[[कल्प]]' होता है।  
 
*14 मन्वंतरों का एक '[[कल्प]]' होता है।  
 
*प्रत्येक मन्वंतर में सृष्टि का एक मनु होता है और उसी के नाम पर उस मन्वंतर का नाम पड़ता है।  
 
*प्रत्येक मन्वंतर में सृष्टि का एक मनु होता है और उसी के नाम पर उस मन्वंतर का नाम पड़ता है।  
*मानवीय गणना के अनुसार एक मन्वंतर में तीस करोड़ ,अड़सठ लाख , बीस हजार वर्ष होते हैं ।
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*मानवीय गणना के अनुसार एक मन्वंतर में तीस करोड़ ,अड़सठ लाख , बीस हज़ार वर्ष होते हैं ।
 
*[[पुराण|पुराणों]] में चौदह मन्वंतर इस प्रकार हैं-   
 
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*इनमें से चाक्षुस तक के मन्वंतर बीत चुके हैं ।  
 
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*वैवस्वत इस समय चल रहा है । संकल्प आदि में इसी का नामोच्चार होता है ।  
 
*वैवस्वत इस समय चल रहा है । संकल्प आदि में इसी का नामोच्चार होता है ।  
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==संबंधित लेख==
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{{काल गणना}}
  
 
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[[Category:काल गणना]]
[[Category:विविध]]
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[[Category:पौराणिक कोश]]
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[[Category:खगोल शास्त्र]]
 
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14:40, 9 नवम्बर 2013 के समय का अवतरण

  • सृष्टि की आयु का अनुमान लगाने के लिये चार युगों सत युग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलि युग का एक 'महायुग' माना जाता है ।
  • 71 महायुग मिलकर एक 'मन्वंतर' बनाता है।
  • महायुग की अवधि 43 लाख 20 हज़ार वर्ष मानी गई है।
  • 14 मन्वंतरों का एक 'कल्प' होता है।
  • प्रत्येक मन्वंतर में सृष्टि का एक मनु होता है और उसी के नाम पर उस मन्वंतर का नाम पड़ता है।
  • मानवीय गणना के अनुसार एक मन्वंतर में तीस करोड़ ,अड़सठ लाख , बीस हज़ार वर्ष होते हैं ।
  • पुराणों में चौदह मन्वंतर इस प्रकार हैं-
  1. स्वायंभुव ,
  2. स्वारोचिष,
  3. उत्तम ,
  4. तामस,
  5. रैवत,
  6. चाक्षुष,
  7. वैवस्वत,
  8. अर्क सावर्णि,
  9. दक्ष सावर्णि,
  10. ब्रह्म सावर्णि,
  11. धर्म सावर्णि,
  12. रुद्र सावर्णि,
  13. रौच्य,
  14. भौत्य।
  • इनमें से चाक्षुस तक के मन्वंतर बीत चुके हैं ।
  • वैवस्वत इस समय चल रहा है । संकल्प आदि में इसी का नामोच्चार होता है ।

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