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13:10, 7 अगस्त 2016 का अवतरण
आज का दिन - 29 मार्च 2024 (भारतीय समयानुसार)
- राष्ट्रीय शाके 1946, 09 गते 16, चैत्र, शुक्रवार
- विक्रम सम्वत् 2080, चैत्र, कृष्ण पक्ष, चतुर्थी, शुक्रवार, विशाखा
- इस्लामी हिजरी 1445, 18, रमज़ान, जुम्मा, ज़ुबाना
- गुड फ़्राइडे, उत्पल दत्त (जन्म), भवानी प्रसाद मिश्र (जन्म), रोमेश भंडारी (जन्म), सियारामशरण गुप्त (मृत्यु), श्याम सुंदर कलानी (मृत्यु)
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भारतकोश हलचल
एकनाथ षष्ठी (31 मार्च) • नौचंदी मेला मेरठ प्रारम्भ (31 मार्च) • ईस्टर संडे (31 मार्च) • रंग पंचमी (30 मार्च) • राजस्थान दिवस (30 मार्च) • गुड फ़्राइडे (29 मार्च) • दाऊजी का हुरंगा (27 मार्च) • रंगजी मन्दिर महोत्सव, वृन्दावन (27 मार्च) • तुकाराम जयन्ती (27 मार्च) • विश्व रंगमंच दिवस (27 मार्च) • फाल्गुन पूर्णिमा (25 मार्च) • होली (25 मार्च) • चैतन्य महाप्रभु जयन्ती (25 मार्च) • होलाष्टक समाप्त (24 मार्च) • होलिका दहन (24 मार्च) • पौर्णमासी व्रत (24 मार्च) • विश्व क्षयरोग दिवस (24 मार्च) • बलिदान दिवस (23 मार्च) • विश्व मौसम विज्ञान दिवस (23 मार्च) • प्रदोष व्रत (22 मार्च) • विश्व जल दिवस (22 मार्च) • विश्व वानिकी दिवस (21 मार्च) • विश्व कठपुतली दिवस (21 मार्च) • अंतरराष्ट्रीय रंगभेद उन्मूलन दिवस (21 मार्च) • विश्व कविता दिवस (21 मार्च) • आमलक्य एकादशी (20 मार्च) • लट्ठमार होली-जन्मभूमि मथुरा (20 मार्च) • मेला खाटू श्याम जी राजस्थान (20 मार्च) • विश्व गौरैया दिवस (20 मार्च) • लट्ठमार होली नंदगाँव (19 मार्च) • लट्ठमार होली बरसाना (18 मार्च) • आयुध निर्माण दिवस (18 मार्च) • होलाष्टक प्रारम्भ (17 मार्च) • लड्डू होली श्रीजी मंदिर, वृन्दावन (17 मार्च) • दादू दयाल जयन्ती (17 मार्च) • विश्व नींद दिवस (15 मार्च)
जन्म
गुरु अंगद देव (31 मार्च) • आनंदी गोपाल जोशी (31 मार्च) • रमा शंकर व्यास (31 मार्च) • शीला दीक्षित (31 मार्च) • पी. जे. कुरियन (31 मार्च) • राजेंद्र नारायण सिंह देव (31 मार्च) • मीरा कुमार (31 मार्च) • कोनेरू हम्पी (31 मार्च) • कमला दास (31 मार्च) • देविका रानी (30 मार्च) • यशस्विनी सिंह देसवाल (30 मार्च) • भवानी प्रसाद मिश्र (29 मार्च) • रोमेश भंडारी (29 मार्च) • उत्पल दत्त (29 मार्च)
मृत्यु
श्यामजी कृष्ण वर्मा (31 मार्च) • सरदार पूर्ण सिंह (31 मार्च) • मीना कुमारी (31 मार्च) • मनोहर श्याम जोशी (30 मार्च) • आनंद बख़्शी (30 मार्च) • गुरु हर किशन सिंह (30 मार्च) • सियारामशरण गुप्त (29 मार्च) • श्याम सुंदर कलानी (29 मार्च)
भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। ...पूरा पढ़ें
पिछले सभी लेख → | सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी | शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र | शर्मदार की मौत |
एक आलेख
संसद भवन नई दिल्ली में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। ... और पढ़ें
पिछले आलेख → | राष्ट्रपति | रसखान की भाषा | मौर्य काल |
एक व्यक्तित्व
महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो कार्ल मार्क्स, लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी इतिहास, पुरातत्त्व, स्थापत्य, भाषाशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। ... और पढ़ें
पिछले लेख → | पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर | जे. आर. डी. टाटा | आर. के. लक्ष्मण |
कबड्डी एक सामूहिक खेल है, जो प्रमुख रूप से भारत में खेला जाता है। कबड्डी नाम का प्रयोग प्राय: उत्तर भारत में किया जाता है, इस खेल को दक्षिण भारत में चेडु-गुडु और पूरब में हु तू तू के नाम से भी जानते हैं। भारत के साथ पड़ोसी देशों में भी कबड्डी बड़े पैमाने पर खेली जाती है। विभिन्न क्षेत्रों में इसके अलग-अलग नाम हैं। बांग्लादेश में हा-दो-दो; श्रीलंका में गुड्डु और थाईलैंण्ड में थीचुब। यद्यपि यह खेल थोड़ी भिन्नता के साथ खेला जाता है, पर शत्रु क्षेत्र में आक्रमण का मूलतंत्र सभी में समान रहता है। ...और पढ़ें
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दीपावली अथवा 'दिवाली' भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। त्योहारों का जो वातावरण धनतेरस से प्रारम्भ होता है, वह आज के दिन पूरे चरम पर आता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने श्रीराम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी, विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती है। ब्रह्म पुराण के अनुसार इस अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं। जो घर हर प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और सुंदर तरीक़े से सुसज्जित और प्रकाशयुक्त होता है, वहां अंश रूप में ठहर जाती हैं। ... और पढ़ें
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ब्रज डिस्कवरी पर हम आपको एक ऐसी यात्रा का भागीदार बनाना चाहते हैं जिसका रिश्ता ब्रज के इतिहास, संस्कृति, समाज, पुरातत्व, कला, धर्म-संप्रदाय, पर्यटन स्थल, प्रतिभाओं आदि से है।
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