"वासुदेव (कुषाण)" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो ("वासुदेव (कुषाण)" असुरक्षित कर दिया)
छो (Text replace - "सिक़्क़े" to "सिक्के")
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
(कोई अंतर नहीं)

11:03, 3 मार्च 2013 के समय का अवतरण

  • हुविष्क के बाद वासुदेव कुषाण साम्राज्य का स्वामी बना।
  • उसके सिक्कों पर शिव और नंदी की प्रतिमाएँ अंकित हैं।
  • यवनों आदि के विदेशी देवताओं से अंकित उसके कोई सिक्के उपलब्ध नहीं हुए। इससे सूचित होता है, कि उसने प्राचीन हिन्दू धर्म को पूर्ण रूप से अपना लिया था। उसका वासुदेव नाम भी इसी बात का निर्देश करता है।
  • ऐसा प्रतीत होता है कि राजा वासुदेव के शासन काल में कुषाण साम्राज्य की शक्ति क्षीण होनी शुरू हो गई थी।
  • उत्तरापथ में इस समय अनेक ऐसी राजशक्तियों का प्रादुर्भाव हुआ, जिन्होंने कुषाणों के गौरव का अन्त कर अपनी शक्ति का विकास किया था।
  • हुविष्क के शासन काल में ही दक्षिणापथ में शकों ने एक बार फिर अपना उत्कर्ष किया था।
  • रुद्रदामा के नेतृत्व में शक लोग एक बार फिर दक्षिणापथ की प्रधान राजशक्ति बन गए।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख