"सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व |चित्र=Satyendra-Prasanno-Sinha.jpg |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व
 
{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व
 
|चित्र=Satyendra-Prasanno-Sinha.jpg
 
|चित्र=Satyendra-Prasanno-Sinha.jpg
|चित्र का नाम=सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा
+
|चित्र का नाम=सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा
|पूरा नाम=सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा
+
|पूरा नाम=सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा
 
|अन्य नाम=
 
|अन्य नाम=
 
|जन्म= [[24 मार्च]], [[1863]]
 
|जन्म= [[24 मार्च]], [[1863]]
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
|मृत्यु=[[4 मार्च]], [[1928]]
 
|मृत्यु=[[4 मार्च]], [[1928]]
 
|मृत्यु स्थान=[[बहरामपुर]]
 
|मृत्यु स्थान=[[बहरामपुर]]
|अविभावक=
+
|अभिभावक=
 
|पति/पत्नी=
 
|पति/पत्नी=
 
|संतान=
 
|संतान=
पंक्ति 22: पंक्ति 22:
 
|पुरस्कार-उपाधि='नाइट' की उपाधि ([[1914]] ),  
 
|पुरस्कार-उपाधि='नाइट' की उपाधि ([[1914]] ),  
 
|प्रसिद्धि=अधिवक्ता तथा राजनेता
 
|प्रसिद्धि=अधिवक्ता तथा राजनेता
|विशेष योगदान=सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा ने '[[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]]' में [[संविधान संशोधन|संशोधन]] के लिए मॉंटेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड प्रस्तावों के आधार पर बने '[[भारत सरकार अधिनियम- 1919]]' को 'हाउस ऑफ़ लॉड्र्स' में पारित करवाया।
+
|विशेष योगदान=सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा ने '[[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]]' में [[संविधान संशोधन|संशोधन]] के लिए मॉंटेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड प्रस्तावों के आधार पर बने '[[भारत सरकार अधिनियम- 1919]]' को 'हाउस ऑफ़ लॉड्र्स' में पारित करवाया।
 
|नागरिकता=भारतीय
 
|नागरिकता=भारतीय
 
|संबंधित लेख=
 
|संबंधित लेख=
पंक्ति 39: पंक्ति 39:
 
|अद्यतन=
 
|अद्यतन=
 
}}
 
}}
 
+
'''सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Satyendra Prasanno Sinha'' ; जन्म- [[24 मार्च]], [[1863]], [[बीरभूम ज़िला]], [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]]; मृत्यु- [[4 मार्च]], [[1928]], [[बहरामपुर]]) प्रसिद्ध भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जिनका क़ानूनी कार्यकाल बेहद सफल रहा था। वे बंगाल के [[महाधिवक्ता]] भी बनाये गए थे। वे ऐसे पहले भारतीय थे, जिन्होंने [[वाइसरॉय]] की काउंसिल में क़ानून सदस्य के रूप में प्रवेश करने का सम्मान प्राप्त किया था। सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा को प्रथम महायुद्ध के बाद 'लॉर्ड' की उपाधि दी गई थी।
'''सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Satyendra Prasanno Sinha'' ; जन्म- [[24 मार्च]], [[1863]], [[बीरभूम ज़िला]], [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]]; मृत्यु- [[4 मार्च]], [[1928]], [[बहरामपुर]]) प्रसिद्ध भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जिनका क़ानूनी कार्यकाल बेहद सफल रहा था। वे बंगाल के [[महाधिवक्ता]] भी बनाये गए थे। वे ऐसे पहले भारतीय थे, जिन्होंने [[वाइसरॉय]] की काउंसिल में क़ानून सदस्य के रूप में प्रवेश करने का सम्मान प्राप्त किया था। सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा को प्रथम महायुद्ध के बाद 'लॉर्ड' की उपाधि दी गई थी।
 
 
==जन्म तथा शिक्षा==
 
==जन्म तथा शिक्षा==
सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा का जन्म 24 मार्च, 1863 ई. को ब्रिटिशकालीन [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के [[बीरभूम ज़िला|बीरभूम ज़िले]] में हुआ था। उनके [[पिता]] एक ज़मींदार थे। इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा अपने गृह नगर से ही प्राप्त की थी। इसके बाद 'प्रेसीडेंसी कॉलेज', [[कलकत्ता]] से छात्रवृत्ति प्राप्त की। उन्हें [[लंदन]] के 'लिंकंस इन' के बार से आमंत्रण भी प्राप्त हुआ था।
+
सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा का जन्म 24 मार्च, 1863 ई. को ब्रिटिशकालीन [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के [[बीरभूम ज़िला|बीरभूम ज़िले]] में हुआ था। उनके [[पिता]] एक [[ज़मींदार]] थे। इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा अपने गृह नगर से ही प्राप्त की थी। इसके बाद 'प्रेसीडेंसी कॉलेज', [[कलकत्ता]] से छात्रवृत्ति प्राप्त की। उन्हें [[लंदन]] के 'लिंकंस इन' के बार से आमंत्रण भी प्राप्त हुआ था।
 
====विवाह====
 
====विवाह====
 
इनका विवाह 15 मई, 1880 में गोबिनदा मोहिनी मित्तर के साथ हुआ था, जो [[वर्धमान]] की रहने वाली थीं।
 
इनका विवाह 15 मई, 1880 में गोबिनदा मोहिनी मित्तर के साथ हुआ था, जो [[वर्धमान]] की रहने वाली थीं।
 
==उच्च पदों की प्राप्ति==
 
==उच्च पदों की प्राप्ति==
सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा [[वर्ष]] [[1907]] में बंगाल के महाधिवक्ता नियुक्त होने वाले और [[गवर्नर-जनरल]] की कार्यकारिणी परिषद में नियुक्त होने वाले पहले भारतीय थे। परिषद मे [[1909]]-[[1910]] के दौरान उन्होंने विधि-सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं अर्पित कीं।
+
सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा [[वर्ष]] [[1907]] में बंगाल के महाधिवक्ता नियुक्त होने वाले और [[गवर्नर-जनरल]] की कार्यकारिणी परिषद में नियुक्त होने वाले पहले भारतीय थे। परिषद मे [[1909]]-[[1910]] के दौरान उन्होंने विधि-सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं अर्पित कीं।
 
==महत्त्वपूर्ण बिन्दु==
 
==महत्त्वपूर्ण बिन्दु==
*सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा को [[1914]] में 'नाइट' की उपाधि प्रदान की गई थी।
+
*सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा को [[1914]] में 'नाइट' की उपाधि प्रदान की गई थी।
 
*[[वर्ष]] [[1915]] में उन्होंने बंबई (वर्तमान [[मुंबई]]) में '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी]]' के सत्र की अध्यक्षता की थी। इसके बाद [[ब्रिटेन]] के 'इंपीरियल युद्ध मंत्रिमंडल' में भी शामिल हुए।
 
*[[वर्ष]] [[1915]] में उन्होंने बंबई (वर्तमान [[मुंबई]]) में '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी]]' के सत्र की अध्यक्षता की थी। इसके बाद [[ब्रिटेन]] के 'इंपीरियल युद्ध मंत्रिमंडल' में भी शामिल हुए।
 
*[[1919]] में वे [[भारत]] के अवर सचिव के रूप में लॉयड जॉर्ज मंत्रिमंडल में आए। उन्हें 'रायपुर के बैरन सिन्हा' के रूप में यश प्राप्ति हुई।
 
*[[1919]] में वे [[भारत]] के अवर सचिव के रूप में लॉयड जॉर्ज मंत्रिमंडल में आए। उन्हें 'रायपुर के बैरन सिन्हा' के रूप में यश प्राप्ति हुई।
*सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा ने '[[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]]' में [[संविधान संशोधन|संशोधन]] के लिए मॉंटेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड प्रस्तावों के आधार पर बने '[[भारत सरकार अधिनियम- 1919]]' को 'हाउस ऑफ़ लॉड्र्स' में पारित करवाया।
+
*सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा ने '[[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]]' में [[संविधान संशोधन|संशोधन]] के लिए मॉंटेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड प्रस्तावों के आधार पर बने '[[भारत सरकार अधिनियम- 1919]]' को 'हाउस ऑफ़ लॉड्र्स' में पारित करवाया।
 
*वर्ष [[1920]] में उन्हें [[बिहार]] और [[उड़ीसा]] का गवर्नर नियुक्त किया गया था। ब्रिटिश शासन में इस पद पर आसीन होने वाले वह पहले भारतीय थे। ख़राब स्वास्थ्य के कारण उन्हें अगले वर्ष इस्तीफ़ा देना पड़ा।
 
*वर्ष [[1920]] में उन्हें [[बिहार]] और [[उड़ीसा]] का गवर्नर नियुक्त किया गया था। ब्रिटिश शासन में इस पद पर आसीन होने वाले वह पहले भारतीय थे। ख़राब स्वास्थ्य के कारण उन्हें अगले वर्ष इस्तीफ़ा देना पड़ा।
 
*वर्ष [[1926]] में उन्हें 'प्रिवी कौंसिल की न्यायिक समिति' का सदस्य नियुक्त किया गया था।
 
*वर्ष [[1926]] में उन्हें 'प्रिवी कौंसिल की न्यायिक समिति' का सदस्य नियुक्त किया गया था।
 
==निधन==
 
==निधन==
सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा का निधन [[4 मार्च]], [[1928]] को [[बहरामपुर]] में हुआ। सिन्हा जी ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें भारतीय राष्ट्रवासियों के बीच बहुत सम्मान प्राप्त था और ब्रिटिश सरकार में भी वे ऊंचे पदों पर रहे थे।
+
सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा का निधन [[4 मार्च]], [[1928]] को [[बहरामपुर]] में हुआ। सिन्हा जी ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें भारतीय राष्ट्रवासियों के बीच बहुत सम्मान प्राप्त था और ब्रिटिश सरकार में भी वे ऊंचे पदों पर रहे थे।
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
पंक्ति 64: पंक्ति 63:
 
[[Category:राजनेता]][[Category:अधिवक्ता]][[Category:भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस अध्यक्ष]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:राजनेता]][[Category:अधिवक्ता]][[Category:भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस अध्यक्ष]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
__NOTOC__
 

05:11, 24 मार्च 2018 के समय का अवतरण

सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा
सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा
पूरा नाम सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा
जन्म 24 मार्च, 1863
जन्म भूमि बीरभूम ज़िला, बंगाल
मृत्यु 4 मार्च, 1928
मृत्यु स्थान बहरामपुर
कर्म भूमि भारत
विद्यालय 'प्रेसीडेंसी कॉलेज', कलकत्ता
पुरस्कार-उपाधि 'नाइट' की उपाधि (1914 ),
प्रसिद्धि अधिवक्ता तथा राजनेता
विशेष योगदान सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा ने 'भारतीय संविधान' में संशोधन के लिए मॉंटेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड प्रस्तावों के आधार पर बने 'भारत सरकार अधिनियम- 1919' को 'हाउस ऑफ़ लॉड्र्स' में पारित करवाया।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी वर्ष 1920 में आपको बिहार और उड़ीसा का गवर्नर नियुक्त किया गया था। ब्रिटिश शासन में इस पद पर आसीन होने वाले वह पहले भारतीय थे।

सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा (अंग्रेज़ी: Satyendra Prasanno Sinha ; जन्म- 24 मार्च, 1863, बीरभूम ज़िला, बंगाल; मृत्यु- 4 मार्च, 1928, बहरामपुर) प्रसिद्ध भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जिनका क़ानूनी कार्यकाल बेहद सफल रहा था। वे बंगाल के महाधिवक्ता भी बनाये गए थे। वे ऐसे पहले भारतीय थे, जिन्होंने वाइसरॉय की काउंसिल में क़ानून सदस्य के रूप में प्रवेश करने का सम्मान प्राप्त किया था। सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा को प्रथम महायुद्ध के बाद 'लॉर्ड' की उपाधि दी गई थी।

जन्म तथा शिक्षा

सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा का जन्म 24 मार्च, 1863 ई. को ब्रिटिशकालीन बंगाल के बीरभूम ज़िले में हुआ था। उनके पिता एक ज़मींदार थे। इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा अपने गृह नगर से ही प्राप्त की थी। इसके बाद 'प्रेसीडेंसी कॉलेज', कलकत्ता से छात्रवृत्ति प्राप्त की। उन्हें लंदन के 'लिंकंस इन' के बार से आमंत्रण भी प्राप्त हुआ था।

विवाह

इनका विवाह 15 मई, 1880 में गोबिनदा मोहिनी मित्तर के साथ हुआ था, जो वर्धमान की रहने वाली थीं।

उच्च पदों की प्राप्ति

सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा वर्ष 1907 में बंगाल के महाधिवक्ता नियुक्त होने वाले और गवर्नर-जनरल की कार्यकारिणी परिषद में नियुक्त होने वाले पहले भारतीय थे। परिषद मे 1909-1910 के दौरान उन्होंने विधि-सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं अर्पित कीं।

महत्त्वपूर्ण बिन्दु

  • सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा को 1914 में 'नाइट' की उपाधि प्रदान की गई थी।
  • वर्ष 1915 में उन्होंने बंबई (वर्तमान मुंबई) में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी' के सत्र की अध्यक्षता की थी। इसके बाद ब्रिटेन के 'इंपीरियल युद्ध मंत्रिमंडल' में भी शामिल हुए।
  • 1919 में वे भारत के अवर सचिव के रूप में लॉयड जॉर्ज मंत्रिमंडल में आए। उन्हें 'रायपुर के बैरन सिन्हा' के रूप में यश प्राप्ति हुई।
  • सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा ने 'भारतीय संविधान' में संशोधन के लिए मॉंटेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड प्रस्तावों के आधार पर बने 'भारत सरकार अधिनियम- 1919' को 'हाउस ऑफ़ लॉड्र्स' में पारित करवाया।
  • वर्ष 1920 में उन्हें बिहार और उड़ीसा का गवर्नर नियुक्त किया गया था। ब्रिटिश शासन में इस पद पर आसीन होने वाले वह पहले भारतीय थे। ख़राब स्वास्थ्य के कारण उन्हें अगले वर्ष इस्तीफ़ा देना पड़ा।
  • वर्ष 1926 में उन्हें 'प्रिवी कौंसिल की न्यायिक समिति' का सदस्य नियुक्त किया गया था।

निधन

सत्येन्द्र प्रसन्नो सिन्हा का निधन 4 मार्च, 1928 को बहरामपुर में हुआ। सिन्हा जी ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें भारतीय राष्ट्रवासियों के बीच बहुत सम्मान प्राप्त था और ब्रिटिश सरकार में भी वे ऊंचे पदों पर रहे थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख