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         '''[[रामधारी सिंह 'दिनकर']]''' [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं निबंधकार हैं। 'दिनकर' आधुनिक युग के श्रेष्ठ [[वीर रस]] के कवि के रूप में स्थापित हैं। 'दिनकर' [[पद्म भूषण]] के अतिरिक्त अपनी गद्य रचना '[[संस्कृति के चार अध्याय]]' के लिये [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] तथा काव्य-नाटक [[उर्वशी -रामधारी सिंह दिनकर|उर्वशी]] के लिये [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] से सम्मानित हैं। 'दिनकर' [[भारत]] की प्रथम [[संसद]] में [[राज्यसभा]] के सदस्य भी चुने गये। 12 वर्ष तक संसद सदस्य रहने के बाद इन्हें 'भागलपुर विश्वविद्यालय' का कुलपति नियुक्त किया गया लेकिन अगले ही वर्ष [[भारत सरकार]] ने इन्हें अपना 'हिन्दी सलाहकार' नियुक्त किया। [[रामधारी सिंह 'दिनकर'|... और पढ़ें]]
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         '''[[जयशंकर प्रसाद]]''' [[हिंदी|हिन्दी]] नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे। [[कविता]], [[नाटक]], [[कहानी]], [[उपन्यास]] सभी क्षेत्रों में प्रसाद जी एक नवीन 'स्कूल' और नवीन जीवन-दर्शन की स्थापना करने में सफल हुए। वे 'छायावाद' के संस्थापकों और उन्नायकों में से एक हैं। कहा जाता है कि नौ वर्ष की अवस्था में ही जयशंकर प्रसाद ने 'कलाधर' उपनाम से [[ब्रजभाषा]] में एक [[सवैया]] लिखकर अपने गुरु रसमयसिद्ध को दिखाया था।  [[जयशंकर प्रसाद|... और पढ़ें]]
 
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14:51, 9 सितम्बर 2014 का अवतरण

एक व्यक्तित्व
Jaishankar-Prasad.jpg

        जयशंकर प्रसाद हिन्दी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे। कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास सभी क्षेत्रों में प्रसाद जी एक नवीन 'स्कूल' और नवीन जीवन-दर्शन की स्थापना करने में सफल हुए। वे 'छायावाद' के संस्थापकों और उन्नायकों में से एक हैं। कहा जाता है कि नौ वर्ष की अवस्था में ही जयशंकर प्रसाद ने 'कलाधर' उपनाम से ब्रजभाषा में एक सवैया लिखकर अपने गुरु रसमयसिद्ध को दिखाया था। ... और पढ़ें


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