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− | [[चित्र: | + | <center>[[सत्ता का रंग -आदित्य चौधरी|सत्ता का रंग]]</center> |
− | + | [[चित्र:Shershah-suri.jpg|border|right|140px|link=सत्ता का रंग -आदित्य चौधरी]] | |
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− | + | [[शेरशाह सूरी]] जब [[दिल्ली]] की गद्दी पर बैठा तो कहते हैं कि सबसे पहले वह शाही बाग़ के तालाब में अपना चेहरा देखकर यह परखने गया कि उसका माथा बादशाहों जैसा चौड़ा है या नहीं ! | |
− | + | जब शेरशाह से पूछा गया "आपके बादशाह बनने पर क्या-क्या किया जाय ?" | |
− | + | तब शेरशाह ने कहा "वही किया जाय जो बादशाह बनने पर किया जाता है!" | |
+ | एक साधारण से ज़मीदार परिवार में जन्मा ये 'फ़रीद' जब [[हुमायूँ]] को हराकर 'बादशाह शेरशाह सूरी' बना तो उसने सबसे पहले यही सोचा कि उसका आचरण बिल्कुल बादशाहों जैसा ही हो। शेरशाह ने सड़कें, सराय, प्याऊ आदि विकास कार्य तो किए, लेकिन [[हिंदू|हिंदुओं]] पर लगने वाले कर '[[जज़िया]]' को नहीं हटाया, क्योंकि अफ़ग़ानी सहयोगियों को ख़ुश रखना ज़्यादा ज़रूरी था। [[सत्ता का रंग -आदित्य चौधरी|पूरा पढ़ें]] | ||
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] → | | [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] → | ||
− | | [[ | + | | [[घूँघट से मरघट तक -आदित्य चौधरी|घूँघट से मरघट तक]] |
| [[भारतकोश सम्पादकीय 4 जून 2016|शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र]] | | [[भारतकोश सम्पादकीय 4 जून 2016|शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र]] | ||
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14:04, 11 नवम्बर 2016 का अवतरण
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