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<h4>[[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</h4>
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[[चित्र:4-crow-meeting.jpg|100px|border|right|link=भारतकोश सम्पादकीय 3 मार्च 2012]]
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<center>[[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|कौऔं का वायरस]]</center>
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 23 सितम्बर 2014|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
 
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<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 23 सितम्बर 2014|‘ब्रज’ एक अद्‌भुत संस्कृति]]</center>
 
[[चित्र:Braj-Kolaz.jpg|right|120px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 23 सितम्बर 2014]]
 
 
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            [[ब्रज]] का ज़िक्र आते ही जो सबसे पहली आवाज़ हमारी स्मृति में आती है, वह है घाटों से टकराती हुई [[यमुना]] की लहरों की आवाज़… [[कृष्ण]] के साथ-साथ खेलकर यमुना ने [[बुद्ध]] और [[महावीर]] के प्रवचनों को साक्षात उन्हीं के मुख से अपनी लहरों को थाम कर सुना… [[फ़ाह्यान]] की चीनी भाषा में कहे गये मो-तो-लो (मोरों का नृत्य स्थल ‘मथुरा’) को भी समझ लिया और [[प्लिनी]] के ‘जोमनेस’ उच्चारण को भी… यमुना की ये लहरें [[रसखान|रसख़ान]] और [[रहीम]] के दोहों पर झूमी हैं… [[सूरदास|सूर]] और [[मीरां|मीरा]] के पदों पर नाची हैं… [[भारतकोश सम्पादकीय 23 सितम्बर 2014|पूरा पढ़ें]]
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        यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। [[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|...पूरा पढ़ें]]
 
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
 
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 30 जुलाई 2014|टोंटा गॅन्ग का सी.ई.ओ.]] ·
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 27 मई 2014|जनतंत्र की जाति]] ·
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| [[शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र -आदित्य चौधरी|शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र]]
| [[भारतकोश सम्पादकीय 1 मार्च 2014|असंसदीय संसद]]  
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| [[शर्मदार की मौत -आदित्य चौधरी|शर्मदार की मौत]]
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* [http://adityachaudhary.org अधिक जानकारी के लिए देखें- adityachaudhary.org]
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13:56, 6 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी

4-crow-meeting.jpg
कौऔं का वायरस

         यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। ...पूरा पढ़ें

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