एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "१"।

"साँचा:साप्ताहिक सम्पादकीय" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 25 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{| style="background:transparent; width:100%"
+
<h4>[[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</h4>
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 15 जनवरी 2015|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
+
<div class="hamariaapki-new headbg34">
|-
+
[[चित्र:4-crow-meeting.jpg|100px|border|right|link=भारतकोश सम्पादकीय 3 मार्च 2012]]
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
+
<center>[[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|कौऔं का वायरस]]</center>
{| style="background:transparent; width:100%" align="left"
 
|- valign="top"
 
|
 
<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 15 जनवरी 2015|भूली-बिसरी कड़ियों का भारत]]</center>
 
[[चित्र:Aryabhata.jpg|right|80px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 15 जनवरी 2015]]
 
 
<poem>
 
<poem>
        आइए [[अशोक]] के काल याने तीसरी चौथी शताब्दी ईसा पूर्व चलते हैं, देखें क्या चल रहा है! महर्षि [[पाणिनि]] विश्व प्रसिद्ध संस्कृत व्याकरण के ग्रंथ [[अष्टाध्यायी]] को पूरा करने में निमग्न हैं। ये उस तरफ़ कौन बैठा है ? ये तो महर्षि [[पिंगल महर्षि|पिंगल]] हैं पाणिनि के छोटे भाई, इनकी गणित में रुचि है, संख्याओं से खेलते रहते हैं और शून्य की खोज करके ग्रंथों की रचना कर रहे हैं। साथ ही कंप्यूटर में प्रयुक्त होने वाले बाइनरी सिस्टम को भी खोज कर अपने भुर्जपत्रों में सहेज रहे हैं।… [[भारतकोश सम्पादकीय 15 जनवरी 2015|पूरा पढ़ें]]
+
        यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। [[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|...पूरा पढ़ें]]
 
</poem>
 
</poem>
 
<center>
 
<center>
पंक्ति 15: पंक्ति 10:
 
|-
 
|-
 
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
 
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 8 जुलाई 2015|अभिभावक]] ·
+
| [[सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी]]
| [[भारतकोश सम्पादकीय 3 मार्च 2015|भारत की जाति-वर्ण व्यवस्था]]  
+
| [[शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र -आदित्य चौधरी|शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र]]
 +
| [[शर्मदार की मौत -आदित्य चौधरी|शर्मदार की मौत]]
 
|}
 
|}
----
 
[[आदित्य चौधरी|आदित्य चौधरी के सभी सम्पादकीय एवं कविताएँ पढ़ने के लिए क्लिक कीजिए]]
 
 
</center>
 
</center>
|}
+
* [http://adityachaudhary.org अधिक जानकारी के लिए देखें- adityachaudhary.org]
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]][[Category:सम्पादकीय (अद्यतन)]]</noinclude>
+
</div>
 +
<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]][[Category:सम्पादकीय (अद्यतन)]]</noinclude>
 +
__NOEDITSECTION__

13:56, 6 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी

4-crow-meeting.jpg
कौऔं का वायरस

         यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। ...पूरा पढ़ें

पिछले सभी लेख सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र शर्मदार की मौत