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पुरातत्वको का मानना है कि मंदिर का का निर्माण ८वी ९ वी शताब्दी में हुआ था| लोक मान्यता है कि सम्भवतः मुसलमान शासको ने भव्य मंदिर को ध्वस्त करा दिया|भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग कि प्रथम सर्वेयर जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम ने सुर्य मंदिर तथा तुषारण विहार को देखा था|
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मंदिर पर बेल, बूटे, पत्ते तथा [[देवता|देवताओं]] के चित्र खुदे है। मंदिर के ऊपर एक विशाल [[शिवलिंग]] है जिसकी चौड़ाई लगभग 4 फुट तथा लम्बाई 7 फुट है। शिवलिंग के उत्तर की ओर काले पत्थर में सूर्य देवता की मूर्ति खुदी है। मूर्ति को देखने से स्पष्ठ होता है कि एक हाथ में चक्र, पुष्प और शंख तथा दूसरा हाथ आशीर्वाद की स्तिथि में है। इसके अतिरिक्त मंदिर में भगवान [[बुद्ध]] की मूर्तियाँ हैं।
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मंदिर पर बेल,बूटे,पत्ते तथा देवताओं के चित्र खुदे है|मंदिर के ऊपर एक विशाल [[शिवलिंग]] है जिसकी चौड़ाई लगभग ४ फिट तथा लम्बाई ७ फिट है|शिवलिंग के उत्तर की ओर काले पत्थर में सुर्य देवता की मूर्ति खुदी है,मूर्ति को देखने से स्पष्ठ होता है कि एक हाथ में चक्र,पुष्प और शंख तथा दूसरा हाथ आशीर्वाद कि स्तिथि में है|इसके अतिरिक्त मंदिर में भगवान [[बुद्ध]] कि मुर्तिया है|
 
  
 
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मंदिर का कुल क्षेत्रफल 13 विषय 7 विस्वांशी है। वर्तमान में केवल सात विस्वा भूमि ही शेष रह गया है। शेष भूमि पर लोगों ने कब्जा कर लिया है।
 
 
 
==भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण==
 
==भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण==
पुरातत्व विभाग ने पुरावशेष एवं बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम1972 के तहत सात मूर्तियों एवं अन्य वस्तुओं का पंजीकरण 28 जनवरी 2011 को कर लिया। पुरातत्व विभाग ने इस स्थल को सूर्य मंदिर स्वरूप नगर दर्ज किया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भारत सरकार नई दिल्ली के निदेशक सी. दोरजे ने 20 अप्रैल को अधीक्षण पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, लखनऊ को पत्र भेजकर सूर्य मंदिर के संरक्षण का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया। शनिवार को डा. समाज शेखर ने ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण एवं विकास के लिए ग्राम प्रधान कमलाकांत के साथ डीएम एके बरनवाल से मुलाकात की। जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि जल्द ही राजस्व एवं विकास विभाग व पंचायत को जोड़कर एक समिति बनाकर स्थल का सर्वागीण विकास किया जाएगा।  
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पुरातत्व विभाग ने [[पुरावशेष]] एवं बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम 1972 के तहत सात मूर्तियों एवं अन्य वस्तुओं का पंजीकरण 28 जनवरी, 2011 को कर लिया। पुरातत्व विभाग ने इस स्थल को सूर्य मंदिर स्वरूप नगर दर्ज किया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भारत सरकार [[नई दिल्ली]] के निदेशक सी. दोरजे ने अधीक्षण पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, लखनऊ को पत्र भेजकर सूर्य मंदिर के संरक्षण का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया। डॉ. समाज शेखर ने ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण एवं विकास के लिए ग्राम प्रधान कमलाकांत के साथ डीएम एके बरनवाल से मुलाकात की। जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि जल्द ही राजस्व एवं विकास विभाग व पंचायत को जोड़कर एक समिति बनाकर स्थल का सर्वागीण विकास किया जाएगा।  
 
 
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12:15, 5 दिसम्बर 2011 का अवतरण

भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद अंतर्गत के मानधाता विकासखंड के स्वरूपपुर गांव में स्थित सूर्य मंदिर काफी प्राचीन है। यह मंदिर ऐतिहासिक सूर्य मंदिरों में से है जो लोगों की आस्था का प्रतीक बना है। मंदिर के आस-पास की गई खुदाई तथा उत्खनन के समय प्रतीक चिन्ह और प्राचीन पत्थर एवं भग्नावशेष प्राप्त हुए थे। इन भग्न अवशेषों में कई बौद्ध कालीन मूर्तिया भी प्राप्त है। माना जाता है कि इस मंदिर का का निर्माण 8वीं-9वीं शताब्दी में हुआ था।

इतिहास

पुरातत्व विज्ञानियों का मानना है कि मंदिर का का निर्माण 8वीं-9वीं शताब्दी में हुआ था। लोक मान्यता है कि सम्भवतः मुसलमान शासकों ने भव्य मंदिर को ध्वस्त करा दिया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की प्रथम सर्वेयर जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम ने सूर्य मंदिर तथा तुषारण विहार को देखा था।

प्रतिमा

मंदिर पर बेल, बूटे, पत्ते तथा देवताओं के चित्र खुदे है। मंदिर के ऊपर एक विशाल शिवलिंग है जिसकी चौड़ाई लगभग 4 फुट तथा लम्बाई 7 फुट है। शिवलिंग के उत्तर की ओर काले पत्थर में सूर्य देवता की मूर्ति खुदी है। मूर्ति को देखने से स्पष्ठ होता है कि एक हाथ में चक्र, पुष्प और शंख तथा दूसरा हाथ आशीर्वाद की स्तिथि में है। इसके अतिरिक्त मंदिर में भगवान बुद्ध की मूर्तियाँ हैं।

क्षेत्रफल

मंदिर का कुल क्षेत्रफल 13 विषय 7 विस्वांशी है। वर्तमान में केवल सात विस्वा भूमि ही शेष रह गया है। शेष भूमि पर लोगों ने कब्जा कर लिया है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण

पुरातत्व विभाग ने पुरावशेष एवं बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम 1972 के तहत सात मूर्तियों एवं अन्य वस्तुओं का पंजीकरण 28 जनवरी, 2011 को कर लिया। पुरातत्व विभाग ने इस स्थल को सूर्य मंदिर स्वरूप नगर दर्ज किया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भारत सरकार नई दिल्ली के निदेशक सी. दोरजे ने अधीक्षण पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, लखनऊ को पत्र भेजकर सूर्य मंदिर के संरक्षण का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया। डॉ. समाज शेखर ने ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण एवं विकास के लिए ग्राम प्रधान कमलाकांत के साथ डीएम एके बरनवाल से मुलाकात की। जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि जल्द ही राजस्व एवं विकास विभाग व पंचायत को जोड़कर एक समिति बनाकर स्थल का सर्वागीण विकास किया जाएगा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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