अवधिदर्शन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:36, 13 अप्रैल 2018 का अवतरण (''''अवधिदर्शन''' जल, पृथ्वी, पवन आदि को यथावत देखना...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

अवधिदर्शन जल, पृथ्वी, पवन आदि को यथावत देखना। जैन धर्म में प्रचलित इस शब्द का प्रयोग हिन्दी साहित्य में किया गया है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • पुस्तक- पौराणिक कोश |लेखक- राणा प्रसाद शर्मा | पृष्ठ संख्या- 561

संबंधित लेख

जैन धर्म शब्दावली

त्रिरत्न तड़ितकुमार ढुढ़िया चक्रेश्वरी चन्द्रप्रभ चंडकौशिक गोपालदारक गुण व्रत गवालीक खरतरगच्छ कृष्ण (जैन) कुंभ (जैन) काश्यप (जैन) कायोत्सर्ग कंदीत आदेयकर्म अस्तेय असुर कुमार अविरति अवसर्पिणी अवधिदर्शन अरुणोद (जैन) अद्धामिश्रित वचन अतिरिक्तकंबला अतिपांडुकंबला अतिथि संविभाग अच्युत (जैन) अच्छुप्ता अचक्षु दर्शनावरणीय अंतराय