ए रहीम दर दर फिरहिं -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:23, 28 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('<div class="bgrahimdv"> ए ‘रहीम, दर-दर फिरहिं, माँगि मधुकरी खाहिं ।<...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

ए ‘रहीम, दर-दर फिरहिं, माँगि मधुकरी खाहिं ।
यारो यारी छाँड़िदो, वे ‘रहीम’ अब नाहिं ॥

अर्थ

रहीम आज द्वार-द्वार पर मधुकरी माँगता गुजर कर रहा है। वे दिन लद गये, तब का वह रहीम नहीं रहा। दोस्तो छोड़ दो दोस्ती, जो इसके साथ तुमने की थी।


पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख