अंधा साँप

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अंधा साँप (टिफ़लॉप्स ब्रैमिनस) देखने में केंचुए जैसा लगता है, लेकिन इसका रंग अधिक गहरा होता है। टिफ़लॉप्स पेड़ों की नीची जगहों में यह अक्सर पाया जाता है। यह साँप ऊष्ण कटिबंधीय तथा उपोष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में भी पाये जाते है। इनके सारे शरीर पर कोरछादी शल्क बने होते हैं।

  • इसकी लंबाई 160 और 1700 मि.मी. के बीच होती है। प्राय: यह सड़े-गले कूड़े-कचरों के गड्ढों में मिलता है। इसमें विष नहीं होता।
  • ये सर्प प्राय: अंडे देने वाले होते हैं। अंधे साँप की पूँछ का सिरा कुंद होता है तथा उसके अंत में एक छोटा बिंदु-सा बना रहता है।
  • नर्म मिट्टी में तेज़ीसे बिल बनाने की इनकी दक्षता अपूर्व होती है। इनकी चाल भी धीमी होती है। अधिकतर अंधे सांप अपनी पूँछ का काँटा गड़ाकर झटका लेते हुए आगे बढ़ते हैं।
  • अक्सर ये अपने मुँह को खोलते और बंद करते रहते हैं, जिससे ऐसा जान पड़ता है कि ये आक्रमण को आतुर हैं।
  • इन साँपो का आहार मुख्यत: नर्म शरीर वाले कीड़े और उनके लार्वे हैं।
  • महेंद्र, मुखर्जी एवं दास जैसे सर्प विशेषज्ञों ने कहा है कि इन साँपों में भित्तिकास्थि युग्मित होती है। इनकी देह पर तैल ग्रंथियाँ बनी होती हैं।
  • टिफ़लॉप्स पेड़ों की नीची जगहों में यह अक्सर पाया जाता है। इसी से जंतु विज्ञान में इसका नाम 'टिफ़लॉप्स ब्रैमिनस' पड़ा।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अंधा साँप (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 12 जून, 2015।

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