अजिनं

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अजिनं [अज्+इनच्]

1. चीता, बाघ, सिंह या हाथी आदि, विशेषकर काले हिरन की रोएँदार खाल, जिसके आसन बनते हैं या जो तपस्वियों, संन्यासियों के पहनने के काम आती है-अथाजिनापाढधरः- कुमा. 5/30, 67; कि. 11/15,
2. चमड़े का थैला या धौंकनी।

सम.-पत्रा, -पत्री, -पत्रिका चमगादड़, -योनिः हरिण, कृष्णसार मृग-वासिन् (विशेषण) मृगचर्म पहनने वाला, –सङ्घः मृगचर्म का व्यवसाय करने वाला।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 16 |

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