- बौद्ध साहित्य में उल्लिखित नदी जो कसिया या प्राचीन कुशीनगर के निकट बहती थी।
- बुद्ध का दाहसंस्कार इसी नदी के तट पर हुआ था।
- यह गंडक की सहायक नदी है जो अब प्राय: सूखी रहती है।
- बौद्ध साहित्य में इस नदी को हरिण्या भी कहा गया है।
- संभव है अतितवती और अचिरवती में केवल नाम-भेद हो।
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