अपान्तरतमा हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत और मान्यताओं के अनुसार नारायण के भो: शब्द से उत्पन्न एक महर्षि थे। एक महात्मा (सिद्ध) का नाम जो माया से आवृत होने के कारण भगवान विष्णु की माया का रहस्य समझने में असमर्थ रहे।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 13 |
- ↑ भाग. 6.15.12, 9.4.57
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