अश्लेषा नक्षत्र
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अश्लेषा (अंग्रेज़ी: Ashlesha Nakshatra) नक्षत्र नौवाँ नक्षत्र है। यह कर्क राशि के अंतर्गत आता है। इस नक्षत्र को विष वाला नक्षत्र भी कहा जाता है। इस नक्षत्र का संबंध परिवर्तन से भी होता है। अश्लेषा नक्षत्र का स्वामी 'बुध' है और इसमें जन्म लेने वालों पर बुध का प्रभाव देखने को मिलता है।
- अश्लेषा का अर्थ होता है आलिंगन करना। अश्लेषा नक्षत्र के समूह में 6 तारे हैं जो कि चक्राकार हैं। मतांतर से इसे सर्पाकार भी माना जाता है।
- इस नक्षत्र के तारा चक्र को सर्पराज वासुकी के सिर में स्थान मिला है। इसका संबंध सर्प की कुंडली से है। यह सबको समेटने वाला सुंदर व आकर्षक व्यक्तित्व वाला होता है।
- सर्प को देवताओं का समिति और देवी शक्ति युक्त माना जाता है। भगवान विष्णु सर्प की शैय्या पर हैं। भगवान शंकर के आभूषण हैं सर्प।
- अश्लेषा नक्षत्र वंशानुगत गुणों व विशिष्ट क्षमताओं को भी प्रकट करता है। यह पूर्व जन्म के आधे अधूरे कार्यों को भी पूर्ण करने की भूमिका निभाता है।
- अश्लेषा नक्षत्र के देवता नागों के राजा शेषनाग को माना गया है।
- सूर्य के नजदीक होने से इसे प्रातः देखा जा सकता है।
- अश्लेषा में सर्प का व्रत और पूजन किया जाता है।
- नागकेशर के पेड़ को अश्लेषा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है।
- इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग नागकेशर की पूजा करते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के ख़ाली हिस्से में नागकेशर के पेड को लगाते हैं।
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