असितमृग को 'ऐतरेय ब्राह्मण' में कश्यप परिवार की अपाधि बताया गया है।[1]
- ये जनमेजय के एक यज्ञ में सम्मिलित नहीं किये गये थे, कितु राजा ने जिस पुरोहित को यज्ञ करने के लिए नियुक्त किया, उस भूतवीर से असितमृग ने यज्ञ की परिचालना ले ली थी।
- जैमिनीय तथा षड्विंश ब्राह्मणों में असितमृगों को कश्यपों का पुत्र कहा गया है और उनमें से एक को 'कुसुरबिन्दु औद्दालकि' संज्ञा दी गयी है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 67 |