आगासी

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प्रसिद्ध प्रकृतिवादी, विख्यात भूशास्त्री तथा आदर्शवादी शिक्षक जीन लुई रोडोल्फ आगासी का जन्म स्विट्ज़रलैंड में मोराट झील के तट पर 20 मई, 1807 को हुआ था। बचपन से ही आपकी अभिरुचि प्राणिशास्त्र के अध्ययन में थी। लोज़ान में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने ज़ूरिक, हाइडेलबर्ग और म्यूनिख विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया। हाइडेलबर्ग से आपने 'डॉक्टर ऑव फिलॉसफी' की उपाधि प्राप्त की। 1830 में आपको म्यूनिख विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑव मेडिसिन की उपाधि मिली।

तत्पश्चात्‌ आगासी पेरिस गए। वहाँ आपको क्यूवियर के साथ काम करने का अवसर मिला। शीघ्र ही आपकी नियुक्ति न शाटेल नगर में प्रोफेसर के पद पर हो गई। 1846 में आपको बोस्टन के लोवेल इंस्टिट्यूट में भाषणमाला देने का निमंत्रण मिला। इस कार्य में आपको अभूतपूर्व सफलता मिली और शीघ्र ही दूसरी भाषणमाला देने के लिए आपके चार्ल्सटन जाना पड़ा। आपकी ख्याति चारों ओर फैल गई। हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने 1848 में प्राणिशास्त्र विज्ञान में प्रोफेसर के पद पर आपकी नियुक्ति की। तब से जीवनपर्यंत आपने, तन, मन, धन से इस विश्वविद्यालय की सेवा की।

आपका सबसे महान्‌ ग्रंथ 'रिसर्च सु ले प्वासों फ़ोसिल' सन्‌ 1833 से 1842 के बीच पाँच भागों में प्रकाशित हुआ। इस ग्रंथ में पुराजीव, मछलियों तथा अन्य परिमृत (एक्सटिंक्ट) जीवों का वर्णन दिया गया है। इसके अतिरिक्त आपकी अन्य रचानाएँ निम्नलिखित हैं :

सिलेक्टा जेनेरा ए स्पिसीज़ पिसियम; हिस्ट्री ऑव दि फ्रेश वाटर फ़िशेज़ ऑव सेंट्रल यूरोप; एतूद सु ले ग्लासिए; कंट्रिब्यूशंस टु दि नैचुरल हिस्ट्री ऑव युनाइटेड स्टेट्स; मेथड्स ऑव स्टडी इन नैचुरल हिस्ट्री; जिलालॉजिकल स्केचेज़; द स्ट्रक्चर ऑव ऐनिमल लाइफ; ए जर्नी टु ब्रैज़ील; ऐने एसे इन क्लासिफ़िकेशन। 12 दिसंबर, 1873 को आपकी मृत्यु हो गई।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 353 |

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