आन्तर्वशिक

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आन्तर्वशिक मौर्य साम्राज्य में राजा की निजी अंगरक्षक सेना के अध्यक्ष को कहते थे।

  • अन्त:पुर के अन्दर भी आन्तर्वशिक के विश्वस्त सैनिक राजा की रक्षा के लिये सदा तत्पर रहते थे।
  • जिस समय राजा रानी से मिलता था, तभी वह अकेला होता था। पर उस समय भी यह भली-भाँति देख लिया जाता था कि रानी के शयनागार में कोई अन्य व्यक्ति तो छिपा हुआ नहीं है।
  • परिचारिकाएँ रानी की भी अच्छी तरह तलाशी ले लेती थीं। यह सब प्रबन्ध आन्तर्वशिक के ही अधीन होता था।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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