असम
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राजधानी | दिसपुर |
राजभाषा(एँ) | असमिया भाषा, बोडो भाषा, कार्बी भाषा |
स्थापना | 15 अगस्त, 1947 |
जनसंख्या | 26,655,528 [1] |
· घनत्व | 340 [2] /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 78,438 वर्ग किमी |
भौगोलिक निर्देशांक | 26°09′N 91°46′E |
जलवायु | उष्णकटिबंधीय |
तापमान | औसत 23 °C |
· ग्रीष्म | 38 °C |
· शरद | 8 °C |
ज़िले | 27 [2] |
सबसे बड़ा नगर | गुवाहाटी |
मुख्य पर्यटन स्थल | काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, कामाख्या पीठ, भीमशंकर ज्योतिर्लिंग |
लिंग अनुपात | 1000 : 965 ♂/♀ |
साक्षरता | 64.28% |
· स्त्री | 54.60% |
· पुरुष | 71.30% |
राज्यपाल | जगदीश मुखी |
मुख्यमंत्री | हिमंता बिस्वा सरमा |
राजकीय पशु | एक सींग वाला गैण्डा (Indian one-horned rhinoceros) |
राजकीय पक्षी | सफेद पंख वाली बतख (White-winged Duck) |
राजकीय पुष्प | फ़ॉक्स टेल आर्चिड (Rhynchostylis retusa) |
राजकीय वृक्ष | होलोंग (Hollong) |
बाहरी कड़ियाँ | अधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 15:29, 11 जून 2022 (IST)
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असम (अंग्रेज़ी:Assam) या आसाम उत्तर पूर्वी भारत में एक राज्य है। असम अन्य उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है। असम भारत का एक सरहदी राज्य है। भारत-भूटान और भारत-बांग्लादेश सरहद कुछ हिस्सों में असम से जुड़ी है। यहाँ पर कपिली नदी और ब्रह्मपुत्र नदी भी बहती है। असम पूर्वोत्तर दिशा में भारत का प्रहरी है और पूर्वोत्तर राज्यों का प्रवेशद्वार भी है। असम की उत्तर दिशा में भूटान और अरुणाचल प्रदेश, पूर्व दिशा में मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश और दक्षिणी दिशा में मेघालय, मिज़ोरम और त्रिपुरा राज्य हैं।
इतिहास
विद्वानों का मत है कि 'असम' शब्द संस्कृत के 'असोमा' शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है अनुपम या अद्वितीय। किन्तु अधिकतर विद्वानों का मानना है कि यह शब्द मूल रूप से 'अहोम' से बना है। ब्रिटिश शासन में जब इस राज्य का विलय किया गया, उससे पहले लगभग छह सौ वर्ष तक इस राज्य पर 'अहोम' राजाओं का शासन रहा था। आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य जैसी विभिन्न जातियां प्राचीन समय से इस प्रदेश की पहाड़ियों और घाटियों में अलग अलग समय पर आकर रहीं और बस गयीं जिसका यहाँ की मिश्रित संस्कृति में बहुत गहरा प्रभाव पड़ा।
इस राज्य के विकास में इन सभी जातियों ने अपना योगदान दिया। इस प्रकार असम राज्य में संस्कृति और सभ्यता की एक प्राचीन और समृद्ध परंपरा रही है।
प्राचीन नाम
प्राचीन समय में यह राज्य 'प्राग्ज्योतिष' अर्थात् 'पूर्वी ज्योतिष का स्थान' कहलाता था। कालान्तर में इसका नाम 'कामरूप' पड़ गया। कामरूप राज्य का सबसे पुराना उदाहरण इलाहाबाद में समुद्रगुप्त के शिलालेख से मिलता है। इस शिलालेख में कामरूप का विवरण ऐसे सीमावर्ती देश के रूप में मिलता है, जो गुप्त साम्राज्य के अधीन था और गुप्त साम्राज्य के साथ इस राज्य के मैत्रीपूर्ण संबंध थे। चीन के विद्वान् यात्री ह्वेनसांग लगभग 743 ईस्वी में राजा कुमारभास्कर वर्मन के निमंत्रण पर कामरूप में आया था। ह्वेनसांग ने कामरूप का उल्लेख 'कामोलुपा' के रूप में किया है। 11वीं शताब्दी के अरब इतिहासकार अलबरूनी की पुस्तक में भी 'कामरूप' का विवरण प्राप्त होता है। इस प्रकार प्राचीन काल से लेकर 12वीं शताब्दी ईस्वी तक समस्त आर्यावर्त में पूर्वी सीमांत देश को 'प्राग्ज्योतिष' और 'कामरूप' के नाम से जाना जाता था और यहाँ के नरेश स्वयं को 'प्राग्ज्योतिष नरेश' कहलाया करते थे। सन 1228 में पूर्वी पहाडियों पर 'अहोम' लोगों के आने से इतिहास में मोड़ आया। उन्होंने लगभग छह सौ वर्षों तक असम राज्य पर शासन किया। 1819 में बदनचन्द्र की हत्या के बाद सन् 1826 में यह राज्य ब्रिटिश सरकार के अधिकार में आ गया। इस समय 'बर्मी' लोगों ने 'यंडाबू संधि' को मानकर असम को ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया था।
इन्हें भी देखें: कामरूप एवं अहोम
भूगोल
भू-आकृति
मैदानी इलाक़ों एवं नदी घाटियों वाले असम को तीन प्रमुख भौतिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है-
- उत्तर में ब्रह्मपुत्र नदी घाटी
- दक्षिण में बरक नदी घाटी एवं कार्बी तथा आलंग ज़िलों के पर्वतीय क्षेत्र
- इन दोनों घाटियों के मध्य स्थित उत्तरी कछार की पहाड़ियाँ।
ब्रह्मपुत्र नदी घाटी असम का प्रमुख भौतिक क्षेत्र है। यह नदी असम के पूर्वोत्तर सिरे पर सादिया के पास प्रवेश करती है, फिर पश्चिम में पूरे असम में लगभग 724 किमी. लंबे मार्ग में प्रवाहित होकर दक्षिण की ओर मुड़कर बांग्लादेश के मैदानी इलाक़ों में चली जाती है। ब्रह्मपुत्र नदी घाटी, छोटी एकल पहाड़ियों और मैदानी इलाक़ों में अचानक उठते शिखरों, जिनकी चौड़ाई 80 किमी. से ज़्यादा नहीं है, से भरी हुई है। पश्चिम दिशा को छोड़कर बाक़ी सभी दिशाओं में यह पर्वत्तों से घिरी हुई है। पड़ोस की पहाड़ियों से निकली कई जलधाराओं एवं उपनदियों का जल इसमें समाहित होता है। बरक नदी घाटी दक्षिण-पूर्व दिशा में विस्तृत निम्न भूमि के क्षेत्र की संरचना करती है, जो कृषि के लिए महत्त्वपूर्ण है एवं इससे अपेक्षाकृत सघन बसी जनसंख्या को मदद मिलती है, हालांकि इस घाटी का एक छोटा सा ही हिस्सा राज्य के सीमाक्षेत्र में है।
भू-विज्ञान
भू- विज्ञान के अनुसार, ब्रह्मपुत्र एवं बरक नदी घाटी में जमा (अवसादित) मिट्टी जलोढ़ है, जो 16 लाख साल पुरानी है। इनमें विभिन्न प्रकार के तृतीयक निक्षेप (16-664 लाख वर्ष पुराने) हैं। इन अवसादों में बलुआ पत्थर, रेत के कण, रेतीली मिट्टी, मिश्रित मिट्टी, कोयले के टुकड़े, स्लेटी पत्थर एवं चूना-पत्थर प्रमुख हैं। मेघालय पठार के हिस्से कार्बी आलंग एवं उत्तरी कछार की पहाड़ियाँ संभवत: गोंडवाना लैंड[3] का विस्तरण है। केपिली नदी की खाड़ियों द्वारा अलग कर दी गई उच्चभूमि की स्थलाकृति विषम है। इसमें मिकिर पहाड़ियों का एक उत्तरी ढाल आता है, जिसकी औसत ऊँचाई 475 मीटर है, जो कार्बी आलंग ज़िले के मध्य भाग में पहुँचकर लगभग 1,006 मीटर हो जाती है। उत्तरी पर्वतश्रेणियाँ दक्षिण-पश्चिम के डबाका (दिसपुर के पूर्व में) से शुरू होकर पूवोत्तर में बोकारवाट तक फैली हैं। इनकी औसत ऊँचाई 610 मीटर है। उत्तरी पर्वतश्रेणी के मुख्य शिखरों में बसुनधारी पहाड़ियाँ (774 मीटर), रायसेंग (738 मीटर) मेहेकांगथू (689 मीटर) एवं कुद पहाड़ियों (626 मीटर) शामिल हैं। दक्षिण की रेंगमा पहाड़ियों की औसत ऊँचाई लगभग 914 मीटर है। इन पहाड़ियों के मुख्य शिखर चेंगेहिशोन (1,359 मीटर) एवं खुनबामन पहाड़ियाँ (1,131 मीटर) हैं।
असम में भूकंप का आना सामान्य बात है। 1897 में शिलांग पठार में अधिकेंद्रित, 1930 में धुबुरी में अधिकेंद्रित एवं 1950 के अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास तिब्बत में स्थित झिहाऊ (रीमा) में अधिकेंद्रित भूकंप आधुनिक समय के सबसे तीव्र भूकंप रहे। 1950 के भूकंप को तो इतिहास का सबसे विनाशकारी भूकंप माना जाता है। इस भूकंप के भीषण भूस्खलनों ने पहाड़ी जलधाराओं का मार्ग अवरुद्ध कर दिया था। बाँधों के टूट जाने पर भूकंप की तुलना में बाढ़ की वजह से जनजीवन और संपत्ति की कहीं अधिक हानि हुई।
अर्थव्यवस्था
समग्र पूर्वोत्तर क्षेत्र में असम की अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यह मुख्यतया कृषि और संबद्ध कार्यकलापों में लगी हुई है। इसकी भारत में ब्रह्मपुत्र घाटी के साथ-साथ सबसे अधिक उर्वर भूमि फैली हुई है जो कि वाणिज्यिक आधार पर विविध नकदी फसलों और खाद्य फसलों की पैदावार के लिए उपयुक्त है। यहाँ पर प्राकृतिक संसाधन जैसे तेल और प्राकृतिक गैस, कोयला, रबड इत्यादि, खनिज जैसे ग्रेनाइट, चूना पत्थर इत्यादि तथा वन और जल संसाधन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह राज्य अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की तुलना में औद्योगिक रूप से अधिक विकसित है। यह चाय और तेल पेट्रोलियम क्षेत्र में अपने बड़े उद्योगों के लिए जाना जाता है। यह राज्य कुटीर उद्योगों से संबंधित कला और शिल्प के लिए प्रसिद्ध है। कुटीर उद्योगों में हथकरघा, रेशमकीट पालन, केन और बाँस की वस्तुएँ, बढई गिरी पीतल और बेल मेटल शिल्प शामिल है। असम में एन्डी, मूगा, टसर जैसे विभिन्न प्रकार के रेशम का उत्पादन होता है।[4]
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कृषि
असम राज्य एक कृषि प्रधान राज्य है। कृषि यहाँ की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। चावल इस राज्य की मुख्य खाद्य फ़सल है और जूट, चाय, कपास, तिलहन, गन्ना और आलू आदि यहाँ की नकदी फ़सलें हैं। राज्य की प्रमुख बाग़वानी फ़सलें संतरा, केला, अनन्नास, सुपारी, नारियल, अमरुद, आम, कटहल और नीबू आदि हैं। इन सभी की खेती छोटे स्तर पर की जाती है। इस राज्य में लगभग 39.44 लाख हेक्टयर भूमि कुल खेती योग्य भूमि है। इसमें से क़रीब 27.01 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही खेती की जाती है।
असम में लगभग दो- तिहाई जनसंख्या खेती करती है। इसके अलावा दस प्रतिशत लोग चाय बगानों, वनों या अन्य कृषि आधारित व्यवसायों में कार्यरत है। कुल कृषि योग्य क्षेत्र के दो-तिहाई हिस्सों में चावल होता है। विदेशी मुद्रा के आय के स्रोत के रूप में महत्त्वपूर्ण चाय और पटसन की पैदावार मुख्यत: ब्रह्मपुत्र घाटी में होती है। अन्य फसलों में तिलहन, दालें (मटर, फलियां या मसूर), खली (एक तिलहन, इसके पत्ते चारे के काम आते हैं), सरसों, आलू एवं फल है। राज्य के खाद्यान्न की कुल पैदावार खपत से ज़्यादा है जबकि तिलहन एवं दालों से यहाँ की आवश्यकता पूरी नहीं हो पाती। अब दुहरी फ़सलों एवं कृषि के आधुनिक तरीक़ों का प्रयोग होने लगा है।
खनिज
राज्य के मुख्य खनिज कोयला, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल एवं चूना पत्थर हैं। ऊपरी असम के पूर्वोत्तर ज़िले शिवसागर एवं डिब्रूगढ़ में खनिज तेल मिलता है। देश के कुल पेट्रोल एवं प्राकृतिक गैस के उत्पादन का छठा हिस्सा असम से निकलता है। ऊपरी असम एवं कार्बी आलंग ज़िले में कोयले का खनन होता है, जिसका उपयोग स्थानीय रेल विभाग, चाय बगान एवं भाप के इंजन वाले पानी के जहाजों में होता है। चूना-पत्थर मिकिर की पहाड़ियों से निकलता है।
उद्योग
असम में चाय और तेल को छोड़कर अन्य महत्त्वपूर्ण उद्योगों की कमी है। कमज़ोर परिवहन प्रणाली, पर्याप्त स्थानीय बाज़ार की कमी और शेष भारत से अलग पड़ जाने के कारण यहाँ का औद्योगिक विकास अवरुद्ध हुआ है। फिर भी अनेक नई औद्योगिक इकाइयां शुरू की जा चुकी है। उर्वरक, जूट, काग़ज़, रेशम व चीनी की मिलें एवं एक सीमेंट कारख़ाना इनमें शामिल है। आरा मिलों एवं प्लाईवुड तथा दियासलाई के कारख़ानों में लकड़ी के संसाधनों का उपयोग हो रहा है। 20वीं सदी की शुरुआत में दिगबोई में और 1962 में गुवाहाटी स्थित तेलशोधन कारख़ाने ने उत्पादन कार्य प्रारंभ कर दिया था। बिहार राज्य के तेलशोधन कारख़ाने को असम से पाइप लाइन के द्वारा खनिज तेल भेजा जाता है।
शिक्षा
- असम में छह से बारह वर्ष की उम्र तक के बच्चों के लिए माध्यमिक स्तर तक अनिवार्य तथा नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था है।
- गुवाहाटी, योरहाट एवं डिब्रूगढ़ में विश्वविद्यालय हैं।
- राज्य के 80 से भी ज़्यादा केंद्रों से लोक कल्याण की विभिन्न योजनाओं का संचालन हो रहा है।
- जो महिलाओं एवं बच्चों के लिए मनोरंजन तथा अन्य सांस्कृतिक सुविधाओं की व्यवस्था करती हैं।
- शिक्षण संस्थान
- असम कृषि विश्वविद्यालय
- असम विश्वविद्यालय
- डिब्रुगढ़ विश्वविद्यालय
- गुवाहाटी विश्वविद्यालय
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी
- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मानद विश्वविद्यालय)
- तेजपुर विश्वविद्यालय
यातायात
अपर्याप्त परिवहन एवं संचार व्यवस्था ने असम के औद्योगिक विकास की गति धीमी कर दी है। विषम भौगोलिक संरचना के कारण यहाँ पर एक सुचारू परिवहन व्यवस्था के विकास में कठिनाई हो रही है। असम शेष भारत से केवल एक रेलमार्ग और एक प्रमुख राजमार्ग से जुड़ा हुआ है। ब्रह्मपुत्र नदी में अंतर्देशीय जल परिवहन, जिसका अपना ऐतिहासिक महत्त्व था, 1947 में देश के विभाजन में गुवाहाटी, डिब्रूगढ़, जोरहाट, तेज़पुर व सिल्वर और कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) के बीच वायुमार्ग द्वारा समुचित आवागमन हो रहा है।
सड़क मार्ग
असम में सड़कों की कुल लंबाई 37,515 किलोमीटर थी जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई 2,754 कि.मी. शामिल है। भारत-बंगलादेश सीमा पर 27 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने एवं 160 किलोमीटर सीमा पर कांटेदार तार-बाड़ लगाने का कार्य पूरा किया जा चुका है।
रेलवे मार्ग
असम में रेलमार्गों की लंबाई 2,284.28 किलोमीटर है जिसमें छोटी रेल लाइन 1,057.12 कि.मी. और बड़ी लाइन 1,227.16 कि.मी. शामिल हैं।
हवाई मार्ग
नागरिक विमानों की नियमित उड़ानें लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई हवाई अड्डा (गुवाहाटी), सलोनीबाड़ी (तेजपुर), मोहनबाड़ी (डिब्रूगढ़), सिलोनीबाड़ी (उत्तरी लखीमपुर), कंभीरग्राम (सिलचर), और रोवरियाह (जोरहाट) से होती हैं।
कला
- कला और हस्तशिल्प से सम्बंधित कुटीर उद्योगों के लिए असम सदैव विख्यात रहा है।
- हथकरघा, रेशम, बेंत और बांस की वस्तुएं, गलीचों की बुनाई, काष्ठ शिल्प, पीतल आदि धातुओं के शिल्प प्रमुख कुटीर उद्योग हैं।
- असम में विभिन्न प्रकार का रेशम - एंडी, मूँगा, टसर आदि का उत्पादन होता है।
- मूँगा नामक रेशम की किस्म का उत्पादन विश्व भर में सिर्फ़ असम में ही होता है।
सांस्कृतिक जीवन
असम का सांस्कृतिक जीवन विभिन्न सांस्कृतिक संस्थानों एवं धार्मिक केंद्रों, जैसे सत्र एवं नमोगृह की गतिविधियों से गुंथा हुआ है। पिछले 400 सालों से असम में सत्र ही वहाँ की जनता के धार्मिक एवं सामाजिक कल्याण की देखरेख कर रहे हैं। असमी लोग हिन्दू धर्म के सभी त्योहारों को मानते हैं, लेकिन उनका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पर्व बिहू है, जो वर्ष में तीन बार मनाया जाता है। मूलत: ये कृषि पर्व हैं, जिन्हें लोग धर्म और जाति के भेदभाव को भूलकर हर्षोंल्लास से मनाते हैं। पहला और मुख्य बिहू पर्व वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला बोहांग बिहू (मध्य अप्रैल हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से वैशाख मास का पहला दिन) है, जो नए वर्ष के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। इसे रंगोली (यहाँ रंग अर्थ उल्लास एवं आनंद) बिहू के नाम से भी जाना जाता है। यह नृत्य और संगीत का उत्सव है। इस दिन स्त्रियाँ अपने परिवार के सदस्यों को हाथ से बुना हुआ गमछा भेंट में देती हैं। दूसरा माघ बिहू (मध्य जनवरी हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से माघ मास) फ़सल कटने के उपलक्ष्य में मानाया जाता है। भोगाली बिहू (भोग का अर्थ उल्लास एवं भोज) के नाम से प्रसिद्ध यह प्रीतिभोज एवं आग जलाकर खुशियाँ मनाने का पर्व है।
तीसरे और अंतिम कटि बिहु (मध्य अक्तूबर।) को कंगाली बिहू के नाम से जाना जाता है, क्योंकि वर्ष के इस भाग में आम आदमी का घर अगली फ़सल कटाई से पहले भंडारण के खत्म हो जाने के कारण खाद्यान्न रहित हो जाता है। बुनाई असम के लोगों, विशेषकर महिलाओं के सांस्कृतिक जीवन का एक अभिन्न अंग है। प्रत्येक असमी घर में, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या समाज का हो, कम से कम एक हथकरघा अवश्य देखने को मिल जाएगा। हर स्त्री का महीन रेशम एवं सूती वस्त्रों के उत्पादन की कला में पारंगत होना अनिवार्य है।
त्योहार
- असम में अनेक रंगारंग त्योहार मनाए जाते हैं। 'बिहू' असम का मुख्य पर्व है।
- यह वर्ष में तीन बार मनाया जाता है- 'रंगाली बिहू' या 'बोहाग बिहू' फ़सल की बुआई की शुरुआत का प्रतीक है।
- इसी से नए वर्ष का शुभारंभ भी होता है। 'भोगली बिहू' या 'माघ बिहू' फ़सल की कटाई का त्योहार है और 'काती बिहू' या 'कांगली बिहू' शरद ऋतु का एक मेला है।
- लगभग सभी त्योहार धार्मिक कारणों से मनाए जाते हैं।
- वैष्णव लोग प्रमुख वैष्णव संतों की जयंती तथा पुण्यतिथि पर भजन गाते हैं और परंपरागत नाट्य शैली में 'भावना' नामक नाटकों का मंचन करते हैं।
- कामाख्या मंदिर में अंबुबाशी और उमानंदा तथा शिव मंदिरों के पास अन्य स्थानों पर शिवरात्रि मेला, दीपावली, अशोक अष्टमी मेला, पौष मेला, परशुराम मेला, अंबुकाशी मेला, दोल-जात्रा, ईद, क्रिसमस और दुर्गा पूजा, आदि धार्मिक त्योहार राज्य भर में श्रद्धा के साथ मनाए जाते हैं।
विशेषताएँ
- असम अपने जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। वन संपदा कुल क्षेत्रफल का 22.21 प्रतिशत है।
- राज्य में पांच राष्ट्रीय पार्क और 11 वन्यजीव अभयारण्य और पक्षी विहार हैं। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और मानस राष्ट्रीय उद्यान 'एक सींग वाले गैंडों' और 'रॉयल बंगाल टाइगर' के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
- असम में कृषि पर आधारित उद्योगों में चाय का प्रमुख स्थान है।
- राज्य में छह औद्योगिक विकास केंद्र हैं।
- राज्य में चार 'तेलशोधक कारखाने' (रिफ़ाइनरी) काम कर रही हैं।
- नागारिक विमानों की नियमित उड़ानें गोपीनाथ बाड़दोलाई हवाई अड्डा (गुवाहाटी), सलोनीबाड़ी (तेजपुर), मोहनबाड़ी (उत्तरी लखीमपुर), कुंभीरग्राम (सिलचर), और रोवरियाह (जोरहाट) से होती हैं।
पर्यटन स्थल
गुवाहाटी में तथा उसके आसपास प्रमुख पर्यटन स्थलों में कामाख्या मंदिर, उमानंदा (मयूरद्वीप), नवग्रह मंदिर वशिष्ठ आश्रम, डोलगोबिंद, गांधी मंडप, राज्य का चिडियाघर, राज्य संग्रहालय, शुक्रेश्वर मंदिर, गीता मंदिर, पुरातत्त्व की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण मदन कामदेव मंदिर और सरायघट पुल आदि प्रसिद्ध हैं।
- अन्य दर्शनीय स्थल
- काजीरंगा राट्रीय पार्क (एक सींग वाले गैंडों के लिए प्रसिद्ध)
- मानस बाघ परियोजना, पोबीतोरा और ओरंग (वन्यजीव उद्यान)
- शिवसागर (शिव मंदि, रंगघर,कारेंगघर)
- तेजपुर (भैरवी मंदिर और रमणीक सथान)
- भलुकपुंग (अंगलिंग), हॉफलांग (स्वास्थ्यप्रद स्थान और जतिंगा पहाडियां)
- माजुली (विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप)
- चंदुबी झील (पिकनिक स्थल)
- हाजो (बौद्ध, हिन्दू और इस्लाम)
- बताद्रव (महान वैष्णव संत शंकरदेव की जन्मभूमि)
- आर सुआलकूची (रेशम उद्योग के लिए प्रसिद्ध)।
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वीथिका
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ब्रह्म मंदिर, कोकराझाड़, असम
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शिवडोल मन्दिर, शिवसागर
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 2001 की जनगणना के अनुसार
- ↑ 2.0 2.1 Assam at a Glance (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) असम की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 26 मई, 2011।
- ↑ एक प्राचीन दक्षिण गोलर्द्ध स्थित भूखंड, जिसमें दक्षिण अमेरिका, अफ़्रीका, ऑस्ट्रेलिया एवं भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ हिस्से आते थे
- ↑ निवेश के अवसर (हिन्दी) (पी.एच.पी.) व्यापार ज्ञान संसाधन। अभिगमन तिथि: 9 जून, 2011।
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