उषा गांगुली
उषा गांगुली
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पूरा नाम | उषा गांगुली |
जन्म | 1945 |
जन्म भूमि | कानपुर, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 23 अप्रॅल, 2020 |
मृत्यु स्थान | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | रंगमंच तथा नाट्य निर्देशन |
मुख्य रचनाएँ | नाटक महाभोज, लोक कथा, होली, कोर्ट मार्शेल, रुदाली, मुक्ति, शोभायात्रा, काशीनामा |
पुरस्कार-उपाधि | संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1998) |
प्रसिद्धि | रंगमंच अभिनेत्री और निर्देशक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | उषा गांगुली ने 'रेनकोट' (2004) की स्क्रिप्ट पर काम किया था, जो रितुपर्णो घोष द्वारा निर्देशित 'ओ हेनरी द गिफ्ट ऑफ द मैगी' पर आधारित एक हिंदी फिल्म थी। |
उषा गांगुली (अंग्रेज़ी: Usha Ganguly, जन्म- 1945, कानपुर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 23 अप्रॅल, 2020, कोलकाता, पश्चिम बंगाल) प्रसिद्ध भारतीय समाज सेविका तथा रंगमंच की अभिनेत्री और निर्देशक थीं। कोलकाता जहां बंगाली थियेटर का बोलबाला था, वहां उन्होंने हिंदी थियेटर स्थापित किया। उनको वहां वैकल्पिक हिंदी रंगमंच के एक नए रूप को लाने का श्रेय दिया जाता है। उषा गांगुली का नाटक 'काशी का अस्सी' बहुत चर्चित रहा था। उन्हें वर्ष 1998 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
परिचय
उषा गांगुली का जन्म 1945 में उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में हुआ था। उन्होंने 1976 में रंगकर्मी थियेटर ग्रुप की स्थापना की, जो अपने प्रोडक्शंस, जैसे कि महाभोज, रुदाली, कोर्ट मार्शल के लिए जानी जाती है। उषा गांगुली कोलकाता में हिंदी रंगमंच का अभ्यास करने वाली एकमात्र थियेटर निर्देशक थीं, जो काफी हद तक बंगाली भाषी थीं।[1]
कॅरियर
उषा गांगुली ने अपने कॅरियर की शुरुआत 1970 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध एक अंडरग्रेजुएट कॉलेज, भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज, कलकत्ता में एक शिक्षक के रूप में की थी। साथ ही उन्होंने उसी साल संगत कला मंदिर से अभिनय की शुरुआत की और अपने पहले नाटक 'मिठी की' से काम शुरू किया। 'गाडी'[2] में उन्होंने वसंतसेना की भूमिका निभाई थी। उन्होंने 2008 में अपनी सेवानिवृत्ति तक, भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज में हिंदी व्याख्याता के रूप में अध्यापन कार्य जारी रखा और साथ में थियेटर का अभ्यास किया।
उन्होंने 'रेनकोट' (2004) की स्क्रिप्ट पर काम किया था, जो रितुपर्णो घोष द्वारा निर्देशित 'ओ हेनरी द गिफ्ट ऑफ द मैगी' पर आधारित एक हिंदी फिल्म थी। फिल्म में अजय देवगन और ऐश्वर्या राय ने काम किया था।
मुख्य नाटक
उषा गांगुली के चर्चित नाटकों में मुख्य हैं[1]-
- महाभोज (1984)
- लोक कथा (1987)
- होली (1989)
- कोर्ट मार्शेल (1991
- रुदाली (1992)
- मुक्ति (1999)
- शोभायात्रा (2000)
- काशीनामा (2003)
- मानसी (बंगाली में, 2011)
उनके कुछ बेहद पॉपुलर नाटक रहे 'महाभोज', 'लोक कथा', 'रुदाली'। 'रुदाली' नाटक महाश्वेता देवी की इसी नाम की एक कहानी पर आधारित था। 1992 में इसके लिए उषा को बेस्ट डायरेक्टर का सम्मान भी दिया गया था। बर्तोल्त ब्रेख्त की लम्बी कहानी 'मदर करेज एंड हर चिल्ड्रेन' पर आधारित 'हिम्मत माई', और स्वदेश दीपक के लिखे नाटक 'कोर्ट मार्शल' को भी उन्होंने डायरेक्ट किया। उनके ओरिजिनल नाटकों में 'अंतर्यात्रा' और 'खोज' बहुत पॉपुलर हुए। 2004 में फिल्म आई थी 'रेनकोट', उसकी स्क्रिप्ट पर भी उन्होंने काम किया था।
अपने नाटकों के किरदारों को समझने और उन्हें बेहतर तरीके से स्टेज पर उतारने के लिए उषा तगड़ी रिसर्च करती थीं। महाश्वेता देवी की कहानी रुदाली को नाटक के रूप में ढालने के लिए उन्होंने पंजाब में ‘स्यापे’ और बिहार में ‘रुदाली’ की परम्पराओं के बारे में जानकारी इकठ्ठा की। रुदालियां वो होती थीं, जो किसी के मरने पर शोक जताने जाया करती थीं और बुक्का फाड़-फाड़ कर रोती थीं।
रंगमंडली का निर्माण
अपने अभिनय, निर्देशन व बतौर संगठक जो अनूठा काम उषा गांगुली ने किया, वो एक परिघटना की तरह है। वे इकलौती ऐसी महिला रंगकर्मी थीं, जिन्होंने आजादी के पश्चात हिन्दी रंगमंच की पहली पेशेवर रंगमंडली का निर्माण किया। हबीब तनवीर को छोड़कर चार दशकों से भी अधिक वक्त तक अपने नाट्य संगठन को सफलतापूर्वक चलाए रखने वाली कोई दूसरी मिसाल नहीं है। उषा गांगुली द्वारा स्थापित ‘रंगकर्मी’ की गिनती भारत के बेहतरीन नाट्य समूहों में होती है। उनका वामपंथी आन्दोलन से जुड़ाव व मार्क्सवाद के प्रति गहरी प्रतिबद्धता उन्हें रंग-निर्देशकों की भीड़ से बिल्कुल अलहदा बना देता था।[3]
सम्मान व पुरस्कार
साल 1998 में उषा गांगुली को संगीत नाटक अकादमी, भारत के राष्ट्रीय संगीत अकादमी, नृत्य और नाटक द्वारा दिए गए निर्देशन के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें 'गुडिया घर' नाटक के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा भी सम्मानित भी किया गया।
मृत्यु
जानी-मानी रंगकर्मी उषा गांगुली का निधन 23 अप्रॅल, 2020 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ। उनकी उम्र 75 वर्ष थी। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक़ उषा गांगुली रीढ़ की हड्डी की समस्या से लंबे वक्त से परेशान थीं। शहर के लेक गार्डेंस इलाके में स्थित अपने फ्लैट में वह सुबह सात बजे घरेलू सहायिका को अचेत अवस्था में मिलीं। जब डॉक्टर को बुलाया गया तो उसने बताया कि कुछ समय पहले दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हुई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 मशहूर रंगकर्मी उषा गांगुली का निधन (हिंदी) prabhatkhabar.com। अभिगमन तिथि: 28 दिसंबर, 2020।
- ↑ शूद्रक द्वारा मृच्छकटिकम पर आधारित, 1970
- ↑ वो डायरेक्टर, जो हिंदी थिएटर को जर्मनी और अमेरिका तक ले गईं (हिंदी) thelallantop.com। अभिगमन तिथि: 28 दिसंबर, 2020।
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