कंटक माझ कुसुम परगास। भमर बिकल नहि पाबय पास।। भमरा भेल कुरय सब ठाम। तोहि बिनु मालति नहिं बिसराम।। रसमति मालति पुनु पुनु देखि। पिबय चाह मधु जीव उपेंखि।। ओ मधुजीवि तोहें मधुरासि। सांधि धरसि मधु मने न लजासि।। अपने मने धनि बुझ अबगाही। तोहर दूषन बध लागत काहि।। भनहि विद्यापति तओं पए जीव। अधर सुधारस जओं परपीब।।