करत निपुनई गुन बिना -रहीम

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करत निपुनई गुन बिना, ‘रहिमन’ निपुन हजूर।
मानहुं टेरत बिटप चढि, मोहि समान को कूर॥

अर्थ

बिना ही निपुणता और बिना ही किसी गुण के जो व्यक्ति बुद्धिमानों के आगे डींग मारता फिरता है। वह मानो वृक्ष पर चढ़कर घोषणा करता है निरी अपनी मूर्खता की।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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