कल्बे सादिक़
कल्बे सादिक़
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पूरा नाम | डॉ. कल्बे सादिक |
जन्म | 1 जनवरी, 1936 |
जन्म भूमि | लखनऊ, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 24 नवंबर, 2020 |
मृत्यु स्थान | लखनऊ, उत्तर प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
पुरस्कार-उपाधि | 'पद्म भूषण' (2021) |
प्रसिद्धि | शिया धर्म गुरु |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | डॉ. कल्बे सादिक़ शिक्षा और ख़ासकर लड़कियों व गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए हमेशा सक्रिय रहे। |
कल्बे सादिक़ (अंग्रेज़ी: Kalbe Sadiq, जन्म- 1 जनवरी, 1936, लखनऊ; मृत्यु- 24 नवंबर, 2020, लखनऊ) उत्तर प्रदेश में 'ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड' के उपाध्यक्ष व शिया धर्म गुरु थे। देश-विदेश में ख्याति प्राप्त डॉ. कल्बे सादिक़ शिक्षा और ख़ासकर लड़कियों व गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए हमेशा सक्रिय रहे। यूनिटी कालेज और एरा मेडिकल कालेज के वह संरक्षक भी थे। भारत सरकार द्वारा उन्हें मरणोपरांत 'पद्म भूषण' (2021) से सम्मानित किया गया है।
शिक्षा
कल्बे सादिक़ ने लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया था। इसके बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की। वे पी.एच.डी. धारक भी थे।
उदारवादी छवि
डॉ. कल्बे सादिक को पूरी दुनिया आपसी भाईचारे और मोहब्बत का पैगाम देते शिया धर्म गुरु के रूप में जानती है। उन्होंने हर बात में शिक्षा को बढ़ावा दिया। विदेशों में मजलिस पढ़ने जाते थे और मोहब्बत का पैगाम देते थे। वह दुनिया भर में अपनी उदारवादी छवि के लिए पहचाने जाते थे। मुस्लिम समाज से रूढ़िवादी परंपराओं को खत्म करने के लिए वे आजीवन लड़ाई लड़ते रहे। उन्होंने न सिर्फ रूढ़िवादियों को विरोध किया, बल्कि शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए।[1]
झेलना पड़ा समाज का विरोध
समाज में मौलाना कल्बे सादिक के सुधारों का विरोध भी होता रहा था। कहा जाता है कि वह चांद देख कर ईद का ऐलान नहीं करते थे, बल्कि रमज़ान की शुरुआत में ही ईद और बकरीद की तारीख़ों की घोषणा कर देते थे। उनके इन कदमों का काफ़ी विरोध भी होता रहा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जानिए कौन थे डॉ. कल्बे सादिक (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 30 जनवरी, 2020।
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